Nadi Dosh: नाड़ी दोष क्या होता है? क्या नाड़ी दोष से शादी करना ठीक है?

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nadi dosh in kundali

Nadi Dosh: क्या आप जानते हैं कि नाड़ी दोष क्या है? इस लेख में, हम नाड़ी दोष के प्रकार, प्रभाव, निवारण और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में विस्तार से जानेंगे।

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Nadi Dosh:

यह कहा जाता है कि विवाह जीवन की एक नई आरंभिक यात्रा है। इस दृष्टि से, शादी के बाद व्यक्ति नए संबंध बनाता है, नए वातावरण में जाता है और नए रिश्तों का अनुभव करता है। इससे पहले कि इस नई यात्रा को आरंभ किया जाए, विवाही जोड़े अक्सर अपनी कुंडली का मिलान करवाते हैं ताकि उनका शादीशुदा जीवन सुखमय हो।

कुंडली मिलान (Kundali Milan) में, नाड़ी दोष (Nadi Dosh) एक अशुभ दोष माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में यह दोष होता है, तो उनकी आने वाली पीढ़ियाँ कमजोर हो सकती हैं और बच्चों की संतान की समस्या हो सकती है। चलिए, हम बात करते हैं कि कुंडली में नाड़ी दोष क्या होता है? (What is Nadi Dosh in Kundali) और क्या नाड़ी दोष से शादी करना ठीक है?

नाड़ी दोष क्या होता है? (Nadi Dosh Kya Hota Hai/ What is Nadi Dosh in Kundali)?

सबसे पहले जानते हैं कि नाड़ी क्या होता है? (What is Nadi?)

नाड़ी प्राण ऊर्जा का प्रवाह है जो हमारे शरीर में तीन चैनलों (नाड़ी) में बहती है: इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना।

नाड़ी दोष, जिसे नाड़ी मिलान (Nadi Milaan) या नाड़ी संयोग भी कहा जाता है, ज्योतिष शास्त्र में, नाड़ी दोष एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो विवाह और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। यह दोष तब बनता है जब वर और वधू की नाड़ी समान होती है। नाड़ी, सूक्ष्म ऊर्जा चैनलों को संदर्भित करती है जो शरीर में बहती हैं।

नाड़ी दोष के कारण (Nadi Dosh ke Kaaran)

विवाहित जीवन में कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि:

  • असंतोष और कलह: नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी के बीच मतभेद और कलह बढ़ सकती है।
  • स्वास्थ्य समस्याएं: नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  • संतान प्राप्ति में बाधाएं: नाड़ी दोष के कारण संतान प्राप्ति में बाधाएं आ सकती हैं।

नाड़ी दोष के प्रकार (Types of Nadi Dosh)

ज्योतिष शास्त्र में नाड़ी दोष को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:

  1. आदि नाड़ी दोष (Aadi Nadi Dosh):

  • जब वर और वधू की नाड़ी समान होती है, तो यह नाड़ी दोष आदि नाड़ी दोष कहलाता है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह नाड़ी दोष विवाहित जीवन में असंतोष, कलह और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • आदि नाड़ी दोष को सबसे गंभीर नाड़ी दोष माना जाता है।
  1. मध्य नाड़ी दोष (Madhya Nadi Dosh):

  • जब वर और वधू की नाड़ी एक दूसरे के विपरीत होती है, तो यह नाड़ी दोष मध्य नाड़ी दोष कहलाता है।
  • यह नाड़ी दोष भी विवाहित जीवन में कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे कि मतभेद और कलह।
  • मध्य नाड़ी दोष को आदि नाड़ी दोष से कम गंभीर माना जाता है।
  1. अंत्य नाड़ी दोष (Antya Nadi Dosh):

  • जब वर और वधू की नाड़ी एक दूसरे के बीच में होती है, तो यह नाड़ी दोष अंत्य नाड़ी दोष कहलाता है।
  • यह नाड़ी दोष विवाहित जीवन में कम से कम समस्याएं पैदा करता है।
  • अंत्य नाड़ी दोष को सबसे कम गंभीर नाड़ी दोष माना जाता है।

नाड़ी दोष के प्रभाव (Effects of Nadi Dosh)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में नाड़ी दोष (Nadi Dosha in Kundali) विवाहित जीवन में कई नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है।

  1. वैवाहिक जीवन में कलह और असंतोष:

  • नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी के बीच मतभेद और कलह बढ़ सकती है।
  • यह वैवाहिक जीवन में तनाव और अशांति का कारण बन सकता है।
  • नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी के बीच तालमेल की कमी हो सकती है।
  • यह आपसी समझ और विश्वास को कम कर सकता है।
  1. स्वास्थ्य समस्याएं:

  • नाड़ी दोष के कारण पति-पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  • यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर सकता है।
  • नाड़ी दोष के कारण पुरुषों में नपुंसकता और महिलाओं में बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • यह पुरानी बीमारियों और मानसिक विकारों का कारण बन सकता है।
  1. संतान प्राप्ति में बाधाएं:

  • नाड़ी दोष के कारण संतान प्राप्ति में बाधाएं आ सकती हैं।
  • यह गर्भधारण और गर्भावस्था में समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • नाड़ी दोष के कारण गर्भपात और जन्म दोष हो सकते हैं।
  • यह संतान की मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
  1. आर्थिक समस्याएं:

  • नाड़ी दोष के कारण आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं।
  • यह धन की कमी और व्यावसायिक असफलता का कारण बन सकता है।
  • नाड़ी दोष के कारण परिवार में कर्ज और वित्तीय तनाव बढ़ सकता है।
  • यह गरीबी और अभाव का कारण बन सकता है।
  1. सामाजिक समस्याएं:

  • नाड़ी दोष के कारण सामाजिक समस्याएं हो सकती हैं।
  • यह परिवार और समाज में तनाव और अशांति का कारण बन सकता है।
  • नाड़ी दोष के कारण सामाजिक बहिष्कार और अपमान हो सकता है।
  • यह मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुंडली में नाड़ी दोष के प्रभाव (Effects of Nadi Dosha in Kundali) हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकते हैं।

कुछ लोगों को नाड़ी दोष के नकारात्मक प्रभाव नहीं होते हैं, जबकि अन्य को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

नाड़ी के 8 गुण क्या है? (What are the 8 Qualities of Nadi Dosh?)

नाड़ी के 8 गुण नीचे दिए गए हैं जो इस प्रकार हैं:

  1. वर्ण: यह गुण मनुष्य की सामाजिक स्थिति और कार्यक्षमता को दर्शाता है।
  • ब्राह्मण: शिक्षा, ज्ञान और धर्म से जुड़े कार्य।
  • क्षत्रिय: शासन, रक्षा और नेतृत्व से जुड़े कार्य।
  • वैश्य: व्यापार, कृषि और व्यवसाय से जुड़े कार्य।
  • शूद्र: सेवा, श्रम और कारीगरी से जुड़े कार्य।
  1. वश्य: यह गुण मनुष्य के व्यक्तित्व और आकर्षण को दर्शाता है।
  • आदि: मधुर, सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व।
  • मध्य: शांत, संयमित और गंभीर व्यक्तित्व।
  • अन्त्य: कठोर, तेजस्वी और प्रभावशाली व्यक्तित्व।
  1. तारा: यह गुण मनुष्य के भाग्य और जीवन में होने वाली घटनाओं को दर्शाता है।
  • देव: सुख, समृद्धि और सफलता से भरा भाग्य।
  • मानव: मिश्रित भाग्य, जिसमें सुख और दुख दोनों शामिल होते हैं।
  • राक्षस: कष्ट, संघर्ष और बाधाओं से भरा भाग्य।
  1. योनि: यह गुण मनुष्य की यौन प्रवृत्ति और संतान प्राप्ति की संभावना को दर्शाता है।
  • देव: उत्तम यौन प्रवृत्ति और संतान प्राप्ति की अच्छी संभावना।
  • मानव: मध्यम यौन प्रवृत्ति और संतान प्राप्ति की सामान्य संभावना।
  • राक्षस: कम यौन प्रवृत्ति और संतान प्राप्ति में कठिनाई।
  1. ग्रह मैत्री: यह गुण मनुष्य के जीवन में ग्रहों की स्थिति और उनसे मिलने वाले प्रभाव को दर्शाता है।
  • मित्र: ग्रहों की अनुकूल स्थिति और सकारात्मक प्रभाव।
  • शत्रु: ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति और नकारात्मक प्रभाव।
  • उदासीन: ग्रहों का मध्यम प्रभाव।
  1. गण: यह गुण मनुष्य के गुणों और भौतिक समृद्धि को दर्शाता है।
  • देव: सदाचारी, दयालु और समृद्ध जीवन।
  • मानव: मिश्रित गुणों वाला और सामान्य जीवन।
  • राक्षस: क्रोधी, लालची और कष्टपूर्ण जीवन।
  1. भकूट: यह गुण मनुष्य के जीवन में प्रेम और सुख को दर्शाता है।
  • अष्टकूट: पति-पत्नी के बीच प्रेम, सुख और समन्वय।
  • षट्कूट: पति-पत्नी के बीच मध्यम प्रेम और सुख।
  • चतुष्कूट: पति-पत्नी के बीच कम प्रेम और सुख।
  1. नाड़ी: यह गुण मनुष्य के स्वास्थ्य और जीवनकाल को दर्शाता है।
  • आदि: उत्तम स्वास्थ्य और लंबा जीवनकाल।
  • मध्य: मध्यम स्वास्थ्य और सामान्य जीवनकाल।
  • अन्त्य: कमजोर स्वास्थ्य और कम जीवनकाल।

नाड़ी दोष निवारण पूजा (Nadi Dosh Nivaran Puja)

नाड़ी दोष निवारण पूजा एक विशेष पूजा है जो नाड़ी दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए की जाती है। यह पूजा भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होती है।

  • महामृत्युंजय मंत्र:

नाड़ी दोष से मुक्ति पाने का सबसे सरल उपाय है महामृत्युंजय मंत्र का जप। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है, जो मृत्यु के देवता भी हैं। इस मंत्र का जप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।

  • दान-पुण्य:

नाड़ी दोष से मुक्ति के लिए ब्राह्मण को स्वर्ण-नाड़ी, अनाज, कपड़ा और गाय दान करना भी एक प्रभावी उपाय है। ऐसा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे पुण्य प्राप्त होता है।

  • विशेष विवाह:

नाड़ी दोष वाली महिला का विवाह भी वास्तविक विवाह से पहले भगवान विष्णु से होता है। यह नाड़ी दोष अपवाद और उपाय माना जाता है। इस विधि में महिला भगवान विष्णु से विवाह करती है और उसके बाद ही वास्तविक विवाह होता है।

  • कुंडली मिलान:

शादी से पहले किसी भी कुंडली मिलान के लिए गुण मिलान करवाना बहुत महत्वपूर्ण है। गुण मिलान में नाड़ी दोष की भी जांच की जाती है। यदि नाड़ी दोष हो तो ज्योतिषी से उपाय पूछकर उसे करना चाहिए।

  • ज्योतिषी से परामर्श:

नाड़ी दोष अपवाद और उपचार के लिए एक वास्तविक ज्योतिषी से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। ज्योतिषी आपकी कुंडली का अध्ययन करके आपको उचित उपाय बता सकते हैं।

नाड़ी दोष कैसे पता करें? (How to Check Nadi Dosha?)

नाड़ी दोष एक ज्योतिषीय अवधारणा है जो विवाह और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। यह तब बनता है जब वर और वधू की नाड़ी समान होती है। नाड़ी दोष का पता लगाने के लिए कई तरीके हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. जन्म कुंडली (Janam Kundali):

  • जन्म कुंडली में नाड़ी का उल्लेख होता है।
  • ज्योतिषी जन्म कुंडली का विश्लेषण करके नाड़ी दोष की पहचान कर सकता है।
  • ज्योतिषी नाड़ी दोष की गंभीरता का भी आकलन कर सकता है।

जन्म कुंडली में नाड़ी का पता लगाने के लिए:

  • चंद्रमा: चंद्रमा को नाड़ी का कारक माना जाता है।
  • नक्षत्र: नक्षत्रों का भी नाड़ी से संबंध होता है।
  • ग्रह: कुछ ग्रहों की स्थिति भी नाड़ी को प्रभावित करती है।
  1. नाड़ी परीक्षण( Nadi Calculator):

  • नाड़ी परीक्षण एक पारंपरिक तरीका है जिसके द्वारा नाड़ी का पता लगाया जाता है।
  • नाड़ी परीक्षण में, एक अनुभवी व्यक्ति नाड़ी की गति और ताल को महसूस करके नाड़ी का पता लगाता है।
  • नाड़ी परीक्षण में तीन नाड़ी का विश्लेषण किया जाता है: आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अंत्य नाड़ी।
  1. ऑनलाइन नाडी दोष कैलकुलेटर टूल (Online Nadi Dosh Calculator Tool):

  • कुछ ऑनलाइन टूल उपलब्ध हैं जिनके द्वारा नाड़ी का पता लगाया जा सकता है।
  • नाडी दोष कैलकुलेटर (Nadi Dosha Calculator) में, आपको अपनी जन्मतिथि और जन्म समय दर्ज करना होता है।
  • टूल आपको आपकी नाड़ी और नाड़ी दोष के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।

ऑनलाइन टूल का उपयोग करते समय:

  • विश्वसनीय टूल का उपयोग करें।
  • अपनी जन्मतिथि और जन्म समय सही ढंग से दर्ज करें।
  • टूल द्वारा प्रदान की गई जानकारी को ज्योतिषी से सत्यापित करें।
  1. नाड़ी ज्योतिष (Nadi Jyotishi):

  • नाड़ी ज्योतिष एक विशेष प्रकार का ज्योतिष है जो नाड़ी पर केंद्रित है।
  • नाड़ी ज्योतिषी नाड़ी दोष की पहचान करने और उसके प्रभावों को कम करने के लिए उपाय बताने में मदद कर सकते हैं।
  • नाड़ी ज्योतिषी नाड़ी दोष के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान भी बता सकते हैं।

नाड़ी दोष कब नहीं माना जाता? (When is Nadi Dosha Not Considered?)

नाड़ी दोष कुछ परिस्थितियों में नहीं माना जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  1. जन्म नक्षत्र और चरण (Birth Nakshatra And Phase):

  • अलग-अलग नक्षत्र: यदि वर और वधू का जन्म अलग-अलग नक्षत्रों में हुआ है, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।
  • अलग-अलग चरण: यदि वर और वधू का जन्म एक ही नक्षत्र में हुआ है, लेकिन चरण अलग-अलग हैं, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।
  • उदाहरण: यदि वर का जन्म कृतिका नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है और वधू का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।
  1. जन्म राशि (Birth Zodiac):

  • यदि वर और वधू की जन्म राशि अलग-अलग होती है, तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है।
  • उदाहरण: यदि वर का जन्म मेष राशि में हुआ है और वधू का जन्म वृषभ राशि में हुआ है, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।
  1. कुंडली मिलान (Kundali Milan):

  • यदि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष के प्रभाव कम हो जाते हैं, तो नाड़ी दोष का प्रभाव नहीं माना जाता है।
  • ज्योतिषी कुंडली मिलान में अन्य योगों का विश्लेषण करके नाड़ी दोष के प्रभावों को कम करने का आकलन कर सकता है।
  1. नाड़ी दोष निवारण उपाय (Nadi Dosh Nivaran Upay):

  • यदि नाड़ी दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं, तो नाड़ी दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
  • ज्योतिषी नाड़ी दोष के लिए विशिष्ट मंत्र, यज्ञ और दान बता सकता है, जो नाड़ी दोष के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  1. अन्य परिस्थितियां:

  • कुछ ज्योतिषियों का मानना ​​है कि यदि वर और वधू की जन्मतिथि और जन्म समय में कुछ विशेष योग होते हैं, तो नाड़ी दोष का प्रभाव नहीं होता है।
  • कुछ ज्योतिषियों का मानना ​​है कि यदि वर और वधू के बीच प्रेम और तालमेल होता है, तो नाड़ी दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

विवाह में नाड़ी मिलान क्यों किया जाता हैं? (Why Nadi Matching Is Done In Marriage?)

विवाह में नाड़ी मिलान (Nadi Milan in Marriage) एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय पहलू है जो वर और वधू की अनुकूलता और वैवाहिक जीवन की सफलता का आकलन करने में मदद करता है।

कैसे बनता है कुंडली में नाड़ी दोष? (How is Nadi Dosh Formed In The Horoscope?)

कुंडली में नाड़ी दोष (Nadi Dosha in Kundali) तब बनता है जब वर और वधू की जन्म कुंडली (Janam Kundali of Bride And Groom)  में चंद्रमा एक ही नक्षत्र में हो। यदि चंद्रमा एक ही नक्षत्र में नहीं है, तो नाड़ी दोष नहीं बनता है।

वर वधू की नाड़ी एक हो तो आगे क्या समस्या आ सकती है? (Effects of Same Nadi Dosha on Marriage)

ज्योतिष शास्त्र में, वर और वधू की नाड़ी एक हो तो इसे नाड़ी दोष माना जाता है। नाड़ी दोष विवाह और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

एक नाड़ी दोष के कारण होने वाली समस्याएं (Same Nadi Marriage Affect):

  • विवाह में तालमेल की कमी: नाड़ी दोष के कारण विवाह में तालमेल और आपसी समझ की कमी हो सकती है।
  • बार-बार झगड़े: नाड़ी दोष के कारण वर और वधू के बीच बार-बार झगड़े हो सकते हैं।
  • विवाह विच्छेद: नाड़ी दोष के कारण विवाह विच्छेद की संभावना बढ़ सकती है।
  • प्रजनन क्षमता में कमी: नाड़ी दोष के कारण प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है।
  • गर्भपात: नाड़ी दोष के कारण गर्भपात की संभावना बढ़ सकती है।

निष्कर्ष:

नाड़ी दोष (Nadi Dosh) एक जटिल अवधारणा है और इसका प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है। शादी से पहले कुंडली मिलान (Kundali Milan Before Marriage) करवाकर और ज्योतिषी से सलाह लेकर आप नाड़ी दोष के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप शादी के लिए एक ऐसा व्यक्ति चुनें जो आपके साथ प्यार, सम्मान और समझ का रिश्ता बना सके।

Nadi Dosh: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्र: कुंडली में नाड़ी दोष होने से क्या होता है?

उत्तर:

  • नाड़ी दोष विवाह और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
  • नाड़ी दोष के कारण विवाह में तालमेल की कमी, बार-बार झगड़े, विवाह विच्छेद, प्रजनन क्षमता में कमी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और सामाजिक समस्याएं हो सकती हैं।

प्रश्र: नाड़ी के 8 गुण क्या है?

उत्तर: नाड़ी के 8 गुण हैं: वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी।

प्रश्र: वर वधू की नाड़ी एक हो तो आगे क्या समस्या आ सकती है?

उत्तर: नाड़ी दोष के कारण विवाह में तालमेल की कमी, बार-बार झगड़े, विवाह विच्छेद, प्रजनन क्षमता में कमी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और सामाजिक समस्याएं हो सकती हैं।

प्रश्र: कौन कौन से नक्षत्र में नाड़ी दोष नहीं लगता?

उत्तर:

  • यदि वर और वधू का जन्म अलग-अलग नक्षत्रों में हुआ है, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।
  • यदि वर और वधू का जन्म एक ही नक्षत्र में हुआ है, लेकिन चरण अलग-अलग हैं, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।

प्रश्र:  ब्राह्मण में नाड़ी दोष क्या है?

उत्तर:

  • ब्राह्मणों में नाड़ी दोष का प्रभाव अन्य जातियों की तुलना में अधिक माना जाता है।
  • ब्राह्मणों में नाड़ी दोष के कारण विवाह में तालमेल की कमी, बार-बार झगड़े, विवाह विच्छेद, प्रजनन क्षमता में कमी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और सामाजिक समस्याएं हो सकती हैं।

प्रश्र: नाड़ी दोष कब नहीं माना जाता?

उत्तर:

  • यदि वर और वधू का जन्म अलग-अलग नक्षत्रों में हुआ है, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।
  • यदि वर और वधू का जन्म एक ही नक्षत्र में हुआ है, लेकिन चरण अलग-अलग हैं, तो नाड़ी दोष नहीं होगा।
  • यदि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष के प्रभाव कम हो जाते हैं, तो नाड़ी दोष का प्रभाव नहीं माना जाता है।
  • यदि नाड़ी दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं, तो नाड़ी दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

प्रश्र: नाड़ी दोष कैसे पता करे?

उत्तर: 

  • नाड़ी दोष का पता ज्योतिषी द्वारा कुंडली मिलान के माध्यम से लगाया जा सकता है।
  • ज्योतिषी वर और वधू की जन्म कुंडली का विश्लेषण करके नाड़ी दोष का पता लगा सकते हैं।

प्रश्र: नाड़ी दोष किसको लगता है?

उत्तर:

  • कुंडली में नाड़ी दोष तब बनता है जब वर और वधू की जन्म कुंडली में चंद्रमा एक ही नक्षत्र में हो। 
  • जिन वर वधु का जन्म एक ही नक्षत्र में हुआ है। 
  • जिन वर वधु का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणों में हुआ है। 
  • जिन वर वधु की कुंडली में नाड़ी दोष योग बनता है।

प्रश्र: आदि नाड़ी क्या है?

उत्तर: आदि नाड़ी (Adi Nadi) तीन नाड़ियों में से पहली नाड़ी है। आदि नाड़ी सूर्य, चंद्रमा और गुरु ग्रहों से संबंधित होती है। आदि नाड़ी ऊर्जा, जीवन शक्ति और सकारात्मकता का प्रतिनिधित्व करती है।

प्रश्र: क्या नाड़ी दोष में विवाह हो सकता है?

उत्तर:

  • नाड़ी दोष में विवाह हो सकता है, लेकिन ज्योतिषीय उपायों द्वारा नाड़ी दोष के प्रभावों को कम करना महत्वपूर्ण है।
  • ज्योतिषी नाड़ी दोष निवारण पूजा, ज्योतिषीय उपाय और जीवनशैली में बदलाव करके नाड़ी दोष के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

प्रश्र: कुंडली में नाड़ी दोष क्या होता है?

उत्तर: नाड़ी दोष एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो विवाह और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। जब वर और वधू की नाड़ी समान होती है, तो माना जाता है कि उनके बीच तालमेल और अनुकूलता कम हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप विवाह में समस्याएं, प्रजनन क्षमता में कमी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और सामाजिक समस्याएं हो सकती हैं।

जीजा साली के शायरी, कोट्स, जोक्स

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