Court Marriage: घर बैठे कोर्ट मैरिज कैसे करें? जाने इसके नियम और शर्तें

0
220
Court Marriage

Court Marriage: कोर्ट मैरिज एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत दो वयस्क व्यक्ति किसी भी धर्म या जाति के होते हुए भी शादी कर सकते हैं। यह प्रक्रिया पारंपरिक शादी समारोह के बिना कोर्ट में होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि घर बैठे कोर्ट मैरिज कैसे करें?

 किस धर्म में तलाक सबसे ज्यादा होते हैं?

Court Marriage:

भारत में कोर्ट मैरिज (Court Marriage) करने के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत आवेदन करना होता है। इस एक्ट के तहत किसी भी धर्म या जाति के दो वयस्क व्यक्ति शादी कर सकते हैं। कोर्ट मैरिज करने के लिए दोनों पक्षों को कुछ दस्तावेज भी जमा करने होते हैं।

कोर्ट मैरिज क्या है? (What is Court Marriage?)

कोर्ट मैरेज, जिसे विशेष विवाह अधिनियम के तहत किया जाने वाला विवाह भी कहा जाता है, एक वैध और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त विवाह है। यह किसी भी धर्म या जाति के दो वयस्क व्यक्तियों के बीच हो सकता है। कोर्ट मैरिज के लिए, दोनों पक्षों की आयु 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। दोनों पक्षों को स्वस्थ और मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए। दोनों पक्षों को भारत का नागरिक होना चाहिए।

कोर्ट मैरिज की शर्तें (Court Marriage Conditions)

कोर्ट मैरिज करने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी होनी चाहिए:

  • आयु: लड़की की आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • सिविल स्टेटस: दोनों पक्षों की शादी पहले नहीं होनी चाहिए। यदि पहले शादी हुई है, तो यह विवाह विच्छेदित या पति या पत्नी की मृत्यु के कारण समाप्त होना चाहिए।
  • रिश्तेदारी: दोनों पक्षों के बीच कोई कानूनी निषेध संबंध नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, माता-पिता, भाई-बहन, चचेरे भाई-बहन आदि एक दूसरे से शादी नहीं कर सकते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य: दोनों पक्षों को मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और शादी के लिए अपनी सहमति देने में सक्षम होना चाहिए।

कोर्ट मैरिज के नियम 2023 (Court Marriage Rules 2023)

कोर्ट मैरिज नियम 2023 भारत में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए बनाए गए नियम हैं। इन नियमों के तहत, कोर्ट मैरिज करने के लिए निम्नलिखित शर्तें लागू होती हैं:

  • दोनों पक्षों की आयु 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • दोनों पक्षों को स्वस्थ और मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए।
  • दोनों पक्षों को हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध या जैन धर्मों में से किसी एक का अनुयायी होना चाहिए।

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया (Court Marriage Process)

भारत में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल और तेज है। दोनों पक्षों को अपने राज्य के कर एवं निबंधन विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ, दोनों पक्षों को आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। इन दस्तावेजों में शामिल हैं:

चरण 1: आवश्यक दस्तावेज एकत्र करें

कोर्ट मैरिज के लिए, निम्नलिखित दस्तावेज आवश्यक हैं:

  • दोनों पक्षों के आधार कार्ड

आधार कार्ड एक महत्वपूर्ण पहचान पत्र है। यह भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है।

  • दोनों पक्षों के जन्म प्रमाण पत्र

जन्म प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो व्यक्ति की जन्म तिथि और स्थान को प्रमाणित करता है।

  • दोनों पक्षों के निवास प्रमाण पत्र

निवास प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो व्यक्ति के वर्तमान निवास स्थान को प्रमाणित करता है।

यदि कोई पक्ष 21 वर्ष से कम आयु का है, तो उसके माता-पिता की सहमति पत्र की आवश्यकता होती है।

चरण 2: ऑनलाइन आवेदन करें

दोनों पक्षों को अपने राज्य के कर एवं निबंधन विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन फॉर्म भरते समय, सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करें और आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करें।

आवेदन फॉर्म में, आपको निम्नलिखित जानकारी प्रदान करनी होगी:

  • दोनों पक्षों के नाम
  • दोनों पक्षों की जन्म तिथि
  • दोनों पक्षों का धर्म
  • दोनों पक्षों का निवास स्थान

आवेदन फॉर्म के साथ, आपको निम्नलिखित दस्तावेजों को अपलोड करना होगा:

  • दोनों पक्षों के आधार कार्ड
  • दोनों पक्षों के जन्म प्रमाण पत्र
  • दोनों पक्षों के निवास प्रमाण पत्र

यदि कोई पक्ष 21 वर्ष से कम आयु का है, तो उसके माता-पिता की सहमति पत्र को भी अपलोड करना होगा।

चरण 3: आवेदन शुल्क का भुगतान करें

आवेदन जमा करने के बाद, आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा। आवेदन शुल्क की राशि राज्य के अनुसार अलग-अलग होती है।

आवेदन शुल्क का भुगतान ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है।

चरण 4: आवेदन की समीक्षा करें

आवेदन जमा करने के बाद, अधिकारियों द्वारा आवेदन की समीक्षा की जाएगी। यदि आवेदन में कोई कमी है, तो अधिकारियों द्वारा आपको सूचित किया जाएगा।

आवेदन की समीक्षा में आमतौर पर 1 से 2 दिन लगते हैं।

चरण 5: विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करें

आवेदन की समीक्षा के बाद, यदि आवेदन स्वीकृत हो जाता है, तो आपको विवाह प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। विवाह प्रमाणपत्र आमतौर पर 10 से 15 दिन में जारी किया जाता है।

विवाह प्रमाणपत्र (Marriage Certificate) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो विवाह को कानूनी रूप से मान्यता देता है।

कोर्ट मैरिज में खर्च (Expenses In Court Marriage)

कोर्ट मैरिज में खर्च मुख्य रूप से दो खर्चों में बांटा जा सकता है:

  • आवेदन शुल्क
  • अन्य खर्च

आवेदन शुल्क:

आवेदन शुल्क की राशि राज्य के अनुसार अलग-अलग होती है। आमतौर पर, आवेदन शुल्क की राशि 1000 रुपये से 2000 रुपये के बीच होती है।

अन्य खर्च:

अन्य खर्चों में शामिल हैं:

  • दस्तावेज़ों की प्रतिलिपियाँ
  • वकील की फीस (वैकल्पिक)

दस्तावेज़ों की प्रतिलिपियों का खर्च आमतौर पर 50 रुपये से 100 रुपये प्रति प्रतिलिपि होता है। वकील की फीस की राशि अलग-अलग वकील के अनुसार अलग-अलग होती है।

कुल मिलाकर, कोर्ट मैरिज में खर्च आमतौर पर 2000 रुपये से 5000 रुपये के बीच होता है।

कोर्ट मैरिज में खर्च कम करने के लिए कुछ सुझाव

  • आवेदन शुल्क राज्य के अनुसार अलग-अलग होता है। इसलिए, अपने राज्य में सबसे कम आवेदन शुल्क वाले जिले में आवेदन करें।
  • दस्तावेज़ों की प्रतिलिपियाँ स्वयं बनाएं। इससे आपको दस्तावेज़ों की प्रतिलिपियों का खर्च कम हो जाएगा।
  • यदि आपके पास कोई कानूनी सलाह की आवश्यकता है, तो किसी अनुभवी वकील से परामर्श लें। इससे आपको वकील की फीस का खर्च कम हो जाएगा।

कोर्ट मैरिज डॉक्यूमेंट (Court Marriage Document)

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज निम्नलिखित हैं:

  • दोनों पक्षों के आधार कार्ड
  • दोनों पक्षों के जन्म प्रमाण पत्र
  • दोनों पक्षों के निवास प्रमाण पत्र

यदि कोई पक्ष 21 वर्ष से कम आयु का है, तो उसके माता-पिता की सहमति पत्र की आवश्यकता होती है।

आधार कार्ड (Aadhar Card)

आधार कार्ड एक महत्वपूर्ण पहचान पत्र है। यह भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है। आधार कार्ड में व्यक्ति का नाम, पता, जन्म तिथि, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है।

जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate)

जन्म प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो व्यक्ति की जन्म तिथि और स्थान को प्रमाणित करता है। जन्म प्रमाण पत्र में व्यक्ति का नाम, जन्म तिथि, जन्म स्थान, और माता-पिता का नाम शामिल होता है।

निवास प्रमाण पत्र (Address Proof)

निवास प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो व्यक्ति के वर्तमान निवास स्थान को प्रमाणित करता है। निवास प्रमाण पत्र में व्यक्ति का नाम, पता, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है।

माता-पिता की सहमति पत्र (Parental Consent Letter)

यदि कोई पक्ष 21 वर्ष से कम आयु का है, तो उसके माता-पिता की सहमति पत्र की आवश्यकता होती है। माता-पिता की सहमति पत्र में माता-पिता के नाम, पता, और सहमति की तारीख शामिल होती है।

इन दस्तावेजों को ऑनलाइन आवेदन करते समय अपलोड करना होता है।

कोर्ट मैरिज दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए कुछ सुझाव

  • दस्तावेज़ों को जल्द से जल्द प्राप्त करें। इससे आपको कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया में देरी नहीं होगी।
  • दस्तावेज़ों की प्रतिलिपियाँ प्राप्त करें। इससे आपको भविष्य में किसी भी समस्या से बचने में मदद मिलेगी।
  • दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता की जांच करें। इससे आपको किसी भी तरह के धोखाधड़ी से बचने में मदद मिलेगी।

ऑनलाइन कोर्ट मैरिज का आवेदन कैसे करें? (How To Apply For Court Marriage Online?)

कोर्ट मैरिज का आवेदन करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. अपने राज्य के कर एवं निबंधन विभाग की वेबसाइट पर जाएं।
  2. “ऑनलाइन विवाह पंजीकरण” लिंक पर क्लिक करें।
  3. “नया आवेदन” लिंक पर क्लिक करें।
  4. अपने आधार कार्ड नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करें।
  5. आपके मोबाइल नंबर पर ओटीपी प्राप्त होगा।
  6. ओटीपी दर्ज करें और “सबमिट” बटन पर क्लिक करें।
  7. फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
  8. फीस का भुगतान करें।
  9. आवेदन सबमिट करें।

आवेदन सबमिट करने के बाद, आपको एक ईमेल प्राप्त होगा जिसमें आपके आवेदन की स्थिति का विवरण होगा। यदि आपका आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है, तो आपको एक विवाह प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।

कोर्ट मैरिज के फायदे (Benefits Of Court Marriage)

  • कानूनी मान्यता: कोर्ट मैरिज भारत में कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है। इससे दोनों पक्षों को कई कानूनी अधिकार और लाभ मिलते हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा: कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को सामाजिक सुरक्षा मिलती है। उदाहरण के लिए, वे अपने बच्चों को कानूनी रूप से गोद ले सकते हैं और उन्हें विरासत में मिल सकते हैं।
  • आर्थिक लाभ: कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को आर्थिक लाभ मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे एक दूसरे के स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठा सकते हैं और एक दूसरे के कर लाभों को साझा कर सकते हैं।
  • सादगी: कोर्ट मैरिज एक सरल प्रक्रिया है। इसमें किसी तरह के धार्मिक या सांस्कृतिक रीति-रिवाजों का पालन करने की आवश्यकता नहीं होती है।

कोर्ट मैरिज के नुकसान (Disadvantages of Court Marriage)

  • परिवार का विरोध: कुछ मामलों में, कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को अपने परिवार का विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
  • सामाजिक बहिष्कार: कुछ मामलों में, कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है।
  • कानूनी समस्याएं: कोर्ट मैरिज करने से पहले सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करना महत्वपूर्ण है। यदि आप इन आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, तो आपकी कोर्ट मैरिज अवैध हो सकती है।
  • वित्तीय समस्याएं: कोर्ट मैरिज करने के लिए कुछ खर्च होते हैं। इन खर्चों को वहन करना कुछ जोड़ों के लिए मुश्किल हो सकता है।

कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट कैसे चेक करें? (How To Check Court Marriage Certificate?)

भारत में कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट (Court Marriage Certificate) की प्रामाणिकता की जांच करने के लिए, आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:

  1. कर एवं निबंधन विभाग की वेबसाइट पर चेक करें

आप अपने राज्य के कर एवं निबंधन विभाग की वेबसाइट पर जाकर कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट की प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं। वेबसाइट पर, आपको एक विकल्प मिलेगा “विवाह पंजीकरण सत्यापन”। इस विकल्प पर क्लिक करने के बाद, आपको विवाह प्रमाणपत्र का प्रमाणपत्र क्रमांक, आवेदन संख्या, और विवाह का दिनांक प्रदान करना होगा। इन विवरणों को प्रदान करने के बाद, आप विवाह प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं।

  1. रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर चेक करें

आप अपने विवाह के रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर भी कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट की प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं। रजिस्ट्री कार्यालय में, आप विवाह प्रमाणपत्र की मूल प्रति देख सकते हैं और उसकी प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं।

  1. वकील से सलाह लें

यदि आप कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट की प्रामाणिकता की जांच के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं, तो आप किसी अनुभवी वकील से सलाह ले सकते हैं। वकील आपको कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट की प्रामाणिकता की जांच करने में मदद कर सकता है।

कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट की प्रामाणिकता की जांच करने के लिए, आपको निम्नलिखित विवरणों की जांच करनी चाहिए:

  • विवाह प्रमाणपत्र में दी गई जानकारी सही है या नहीं।
  • विवाह प्रमाणपत्र पर जारी करने वाले अधिकारी का हस्ताक्षर सही है या नहीं।
  • विवाह प्रमाणपत्र पर मुहर सही है या नहीं।

यदि आप इन विवरणों की जांच करके भी सुनिश्चित नहीं हो सकते हैं कि विवाह प्रमाणपत्र प्रामाणिक है या नहीं, तो आपको किसी अनुभवी वकील से सलाह लेनी चाहिए।

कोर्ट मैरिज के बाद पुलिस सुरक्षा (Police Protection After Court Marriage)

कोर्ट मैरिज के बाद पुलिस सुरक्षा दो तरह से प्राप्त की जा सकती है:

  1. इंटिमेशन लेटर भेजकर

यदि कोर्ट मैरिज करने वाले दोनों पक्षों को अपनी शादी को लेकर किसी व्यक्ति से डर है, तो वे शादी के बाद अपने निकटतम थाने के SHO (थाना अध्यक्ष) को बाई पोस्ट एक इंटिमेशन लेटर भेज सकते हैं। इस लेटर में, उन्हें अपनी शादी की जानकारी और अपनी सुरक्षा की मांग करनी होगी। इस लेटर के साथ, उन्हें अपना मैरिज सर्टिफिकेट भी भेजना होगा।

  1. हाई कोर्ट में याचिका दायर करके

यदि कोर्ट मैरिज करने वाले दोनों पक्षों को अपनी शादी को लेकर गंभीर खतरा महसूस हो रहा है, तो वे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर सकते हैं। इस याचिका में, उन्हें अपनी शादी की जानकारी और अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग करनी होगी।

इंटिमेशन लेटर भेजने से पुलिस को यह पता चल जाएगा कि कोर्ट मैरिज करने वाले दोनों पक्षों को अपनी शादी को लेकर खतरा महसूस हो रहा है। इससे पुलिस दोनों पक्षों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई कर सकती है।

हाई कोर्ट में याचिका दायर करने से पुलिस को यह आदेश मिल सकता है कि वह कोर्ट मैरिज करने वाले दोनों पक्षों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करे।

कोर्ट मैरिज के बाद आने वाली समस्याएं (Problems After Court Marriage)

कोर्ट मैरिज के बाद कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं में से कुछ प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  • परिवार का विरोध

कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को परिवार का विरोध का सामना करने के कई कारण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, परिवार के सदस्यों को लगता है कि कोर्ट मैरिज करने से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान होगा। उन्हें लगता है कि कोर्ट मैरिज करना उनकी संस्कृति या धर्म के खिलाफ है। या, उन्हें लगता है कि कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़े एक-दूसरे के लिए सही नहीं हैं।

परिवार का विरोध कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों के लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है। इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव और विवाद पैदा हो सकता है। इससे दोनों पक्षों को मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशानी हो सकती है।

  • सामाजिक बहिष्कार

कुछ मामलों में, कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। समाज के लोग इन जोड़ों को अलग-थलग कर देते हैं और उन्हें स्वीकार नहीं करते हैं। इससे दोनों पक्षों के आत्मविश्वास को ठेस पहुंच सकती है।

सामाजिक बहिष्कार कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों के लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है। इससे दोनों पक्षों को मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशानी हो सकती है। इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव और विवाद पैदा हो सकता है।

  • कानूनी समस्याएं

कोर्ट मैरिज के बाद कुछ कानूनी समस्याएं भी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई पक्ष 21 वर्ष से कम आयु का है, तो उसके माता-पिता की सहमति के बिना कोर्ट मैरिज करना अवैध है। इस स्थिति में, कोर्ट मैरिज को रद्द किया जा सकता है।

कानूनी समस्याओं से बचने के लिए, कोर्ट मैरिज करने से पहले सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करना महत्वपूर्ण है। यदि आप इन आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, तो आपकी कोर्ट मैरिज अवैध हो सकती है।

  • वित्तीय समस्याएं

कोर्ट मैरिज करने के लिए कुछ खर्च होते हैं। इन खर्चों में आवेदन शुल्क, दस्तावेज़ों की प्रतिलिपियाँ, और वकील की फीस शामिल हो सकते हैं। इन खर्चों को वहन करना कुछ जोड़ों के लिए मुश्किल हो सकता है।

वित्तीय समस्याओं से बचने के लिए, कोर्ट मैरिज करने से पहले इन खर्चों के बारे में पता होना चाहिए। यदि आप इन खर्चों को वहन नहीं कर सकते हैं, तो आप कोर्ट मैरिज करने का विचार छोड़ सकते हैं।

कोर्ट मैरिज के बाद समस्याओं से बचने के लिए उपाय

कोर्ट मैरिज के बाद समस्याओं से बचने के लिए, निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • अपने परिवार और दोस्तों से बात करें

अपने परिवार और दोस्तों से बात करना कोर्ट मैरिज के बाद होने वाली समस्याओं से बचने का एक अच्छा तरीका है। उन्हें अपने निर्णय के बारे में बताएं और उनकी राय लें। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि वे आपके निर्णय के बारे में कैसा महसूस करते हैं।

यदि आपके परिवार और दोस्तों का समर्थन है, तो यह आपको कोर्ट मैरिज के बाद होने वाली समस्याओं का सामना करने में मदद कर सकता है।

  • अपने अधिकारों के बारे में जानें

कोर्ट मैरिज के बाद आपके क्या अधिकार हैं, इस बारे में जानकारी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपके पास क्या अधिकार हैं और आप उनका उपयोग कैसे कर सकते हैं।

यदि आप अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं, तो आप किसी अनुभवी वकील से सलाह ले सकते हैं।

  • कानूनी सलाह लें

कोर्ट मैरिज के बाद होने वाली कानूनी समस्याओं से बचने के लिए, किसी अनुभवी वकील से सलाह लेना हमेशा एक अच्छा विचार है। एक वकील आपको कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने और कानूनी समस्याओं से बचने में मदद कर सकता है।

एक दिन में कोर्ट मैरिज कैसे करें? (How To Do Court Marriage in One Day?)

भारत में एक दिन में कोर्ट मैरिज करना (Court Marriage In One Day) संभव नहीं है। कोर्ट मैरिज के लिए कम से कम 30-40 दिन का समय लगता है। इसका कारण यह है कि कोर्ट मैरिज के लिए एक आवेदन करना होता है, जिसे 30 दिनों के लिए नोटिस बोर्ड पर लगाया जाता है। इस दौरान, यदि कोई आपत्ति करता है, तो कोर्ट मैरिज को रद्द किया जा सकता है।

एक दिन में कोर्ट मैरिज करने का एक तरीका यह है कि आप आर्य समाज में शादी करें और फिर उसी शादी का पंजीकरण कोर्ट से हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत करा लें। हालांकि, यह तरीका केवल उन जोड़ों के लिए उपयुक्त है जो हिंदू, सिख, जैन या बौद्ध हैं।

यदि आप मुस्लिम या ईसाई हैं, तो आप हिंदू धर्म में परिवर्तन करके हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर कर सकते हैं। हालांकि, यह एक लंबी प्रक्रिया है और इसमें कई दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष:

कोर्ट मैरिज (Court Marriage) एक आसान और कानूनी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से आप अपनी शादी को वैध रूप से रजिस्टर करवा सकते हैं।

Court Marriage: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्र: लीगल कोर्ट मैरिज कैसे करें?

उत्तर: लीगल कोर्ट मैरिज करने के लिए, आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  1. एक आवेदन पत्र भरें और इसे कोर्ट में जमा करें।
  2. आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ संलग्न करें।
  3. 30 दिनों के लिए नोटिस बोर्ड पर आवेदन पत्र लगाया जाएगा।
  4. यदि कोई आपत्ति नहीं होती है, तो कोर्ट मैरिज की तारीख निर्धारित की जाएगी।
  5. निर्धारित तारीख पर, आप कोर्ट में जाकर शादी कर सकते हैं।

प्रश्र: रजिस्टर मैरिज कैसे करे?

उत्तर: रजिस्टर मैरिज करने के लिए, आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  1. एक आवेदन पत्र भरें और इसे कोर्ट में जमा करें।
  2. आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ संलग्न करें।
  3. कोर्ट मैरिज की तारीख निर्धारित की जाएगी।
  4. निर्धारित तारीख पर, आप कोर्ट में जाकर शादी कर सकते हैं।

प्रश्र: क्या ऑनलाइन कोर्ट मैरिज हो सकती है?

उत्तर: भारत में, अभी तक ऑनलाइन कोर्ट मैरिज संभव नहीं है। कोर्ट मैरिज करने के लिए, आपको व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में जाना होगा।

प्रश्र: कोर्ट मैरिज कौन करवाता है?

उत्तर: कोर्ट मैरिज एक सिविल सेरेमनी है, जिसे एक मजिस्ट्रेट या जज करवाता है।

प्रश्र: कोर्ट मैरिज कितने दिन में हो जाती है?

उत्तर: कोर्ट मैरिज के लिए कम से कम 30-40 दिन का समय लगता है। इसका कारण यह है कि कोर्ट मैरिज के लिए एक आवेदन करना होता है, जिसे 30 दिनों के लिए नोटिस बोर्ड पर लगाया जाता है। इस दौरान, यदि कोई आपत्ति करता है, तो कोर्ट मैरिज को रद्द किया जा सकता है।

प्रश्र: कोर्ट मैरिज करने पर कितना खर्च आता है?

उत्तर: कोर्ट मैरिज करने पर लगने वाला खर्च राज्य और कोर्ट के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर, कोर्ट मैरिज पर लगने वाला खर्च 1000 रुपये से 5000 रुपये के बीच होता है।

प्रश्र: क्या कोर्ट मैरिज के लिए माता पिता की सहमति जरूरी है?

उत्तर: कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी नहीं है। हालांकि, यदि कोई पक्ष 21 वर्ष से कम आयु का है, तो उसके माता-पिता की सहमति आवश्यक है।

प्रश्र: क्या एक दिन में कोर्ट मैरिज करना संभव है?

उत्तर: एक दिन में कोर्ट मैरिज करना संभव नहीं है। कोर्ट मैरिज के लिए कम से कम 30-40 दिन का समय लगता है।

प्रश्र: मैरिज सर्टिफिकेट कितने टाइम लगता है?

उत्तर: मैरिज सर्टिफिकेट प्राप्त करने में आमतौर पर 30 दिनों से 60 दिनों का समय लगता है।

प्रश्र: कोर्ट मैरिज करने पर क्या लाभ मिलता है?

उत्तर: कोर्ट मैरिज करने पर निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  • कानूनी मान्यता: कोर्ट मैरिज भारत में कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है। इससे दोनों पक्षों को कई कानूनी अधिकार और लाभ मिलते हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा: कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को सामाजिक सुरक्षा मिलती है। उदाहरण के लिए, वे अपने बच्चों को कानूनी रूप से गोद ले सकते हैं और उन्हें विरासत में मिल सकते हैं।
  • आर्थिक लाभ: कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को आर्थिक लाभ मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे एक दूसरे के स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठा सकते हैं और एक दूसरे के कर लाभों को साझा कर सकते हैं।

प्रश्र: भारत में 2023 में कोर्ट मैरिज के नए नियम क्या हैं?

उत्तर: भारत में 2023 में कोर्ट मैरिज के नए नियम (Court Marriage Rules 2023) निम्नलिखित हैं:

  • कोर्ट मैरिज के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई है।
  • कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।
  • कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।

प्रश्र: कोर्ट मैरिज कहां होती है?

उत्तर: भारत में कोर्ट मैरिज किसी भी जिला कोर्ट में हो सकती है। इसके लिए, आपको उस राज्य के कोर्ट में आवेदन करना होगा, जहां आप शादी करना चाहते हैं।

प्रश्र: भारत में विवाह ऑनलाइन पंजीकृत कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, भारत में विवाह ऑनलाइन पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। विवाह को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में जाकर पंजीकृत करना होगा।

प्रश्र: क्या दूसरे राज्य में कोर्ट मैरिज संभव है?

उत्तर: हां, दूसरे राज्य में कोर्ट मैरिज संभव है। इसके लिए, आपको उस राज्य के कोर्ट में आवेदन करना होगा, जहां आप शादी करना चाहते हैं।

प्रश्र: भारत में विवाह पंजीकरण के लिए कौन गवाह हो सकता है?

उत्तर: भारत में विवाह पंजीकरण के लिए निम्नलिखित व्यक्ति गवाह हो सकते हैं:

  • 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति।
  • कोर्ट द्वारा नियुक्त कोई भी व्यक्ति।
  • विवाह के समय उपस्थित कोई भी व्यक्ति।

2024 में आने वाले व्रत और त्योहार

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें