Bhakoot Dosh in Kundali: क्या आप भकूट दोष के बारे में जानना चाहते हैं? यह लेख आपको भकूट दोष, इसके प्रकार, प्रभाव, और निवारण के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
नाड़ी दोष क्या होता है? क्या नाड़ी दोष से शादी करना ठीक है?
Bhakoot Dosh in Kundali:
ज्योतिष में, भकूट दोष को कुंडली मिलान (Kundali Milan) में एक महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। यह दो व्यक्तियों के बीच असंगति और असंतोष का संकेत देता है।
जब दो व्यक्तियों की कुंडली में भकूट दोष होता है, तो इसका मतलब है कि उनके बीच व्यक्तिगत, भावनात्मक, और सामाजिक स्तर पर मतभेद और तनाव हो सकता है। यह लेख आपको भकूट दोष (Bhakoot Dosh) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा, जिसमें इसके प्रकार, प्रभाव, और निवारण शामिल हैं।
भकूट का अर्थ (Meaning of Bhakoot)
भकूट शब्द का अर्थ भाग्य, भाग्य, या किस्मत होता है। ज्योतिष में, भकूट का उपयोग कुंडली (Kundali) में एक विशेष बिंदु को संदर्भित करने के लिए भी किया जाता है। यह बिंदु चंद्रमा और केतु के बीच स्थित होता है।
भकूट दोष में, भकूट का अर्थ (Meaning of Bhakoot) दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम होता है। यह दो व्यक्तियों की कुंडली में असंगति और असंतोष का संकेत देता है।
कुंडली में भकूट दोष क्या होता है? (What is Bhakoot Dosh in Kundali?)
भकूट दोष का मतलब – कुंडली में भकूट दोष एक ऐसा दोष होता है जो दो व्यक्तियों के बीच असंगति और असंतोष का संकेत देता है। यह दोष तब होता है जब दो व्यक्तियों की कुंडली में भकूट नामक बिंदु नकारात्मक स्थिति में होता है।
भकूट बिंदु चंद्रमा और केतु के बीच स्थित होता है। ज्योतिष में, यह माना जाता है कि यह बिंदु व्यक्ति के भाग्य और किस्मत को दर्शाता है।
भकूट दोष कुंडली मिलान (Bhakoot Dosh Kundali Milan) का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो वर-वधू के बीच मानसिक और भावनात्मक तालमेल को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब वर-वधू की चंद्रमा राशियां 6-8, 9-5, या 12-2 भावों में स्थित होती हैं, तो भकूट दोष बनता है।
भकूट दोष कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Bhakoot Dosh)
भकूट दोष के प्रकार इस तरह से हैं:
अष्टम भकूट दोष(Ashtam Bhakoot Dosh):
जब चंद्रमा 6-8 भावों में स्थित होते हैं। यह सबसे गंभीर भकुट दोष माना जाता है। यह वर-वधू के बीच गहरे मतभेद, तनाव और अशांति पैदा कर सकता है।
नवम पंचम भकूट दोष (Navam Pancham Bhakoot Dosh):
जब चंद्रमा 9-5 भावों में स्थित होते हैं। यह अष्टम भकूट से कम गंभीर होता है। यह वर-वधू के बीच कुछ मतभेद और तनाव पैदा कर सकता है।
द्वादश द्वितीय भकूट दोष (Dwadash Dwitiya Bhakoot Dosh):
जब चंद्रमा 12-2 भावों में स्थित होते हैं। यह सबसे कम गंभीर भकूट दोष माना जाता है। यह वर-वधू के बीच कुछ मामूली मतभेद पैदा कर सकता है।
भकूट दोष का प्रभाव (Effect of Bhakoot Dosh)
भकूट दोष के प्रभावों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
- मानसिक और भावनात्मक प्रभाव:
- मतभेद और तनाव: भकूट दोष वर-वधू के बीच मतभेद, झगड़े और तनाव पैदा कर सकता है।
- असंतोष और निराशा: भकूट दोष वर-वधू को वैवाहिक जीवन से असंतुष्ट और निराश महसूस करा सकता है।
- असुरक्षा और ईर्ष्या: भकूट दोष वर-वधू में असुरक्षा और ईर्ष्या की भावना पैदा कर सकता है।
- अकेलापन और अलगाव: भकूट दोष वर-वधू को अकेला और अलग-थलग महसूस करा सकता है।
- शारीरिक प्रभाव:
- यौन संबंधों में समस्याएं: भकूट दोष वर-वधू के बीच यौन संबंधों में समस्याएं पैदा कर सकता है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: भकूट दोष वर-वधू को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
- प्रजनन संबंधी समस्याएं: भकूट दोष वर-वधू को प्रजनन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
- सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
- पारिवारिक कलह: भकूट दोष वर-वधू के परिवारों में कलह पैदा कर सकता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट: भकूट दोष वर-वधू की सामाजिक प्रतिष्ठा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
- आर्थिक परेशानियां: भकूट दोष वर-वधू के लिए आर्थिक परेशानियां पैदा कर सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भकूट दोष ही वैवाहिक जीवन में समस्याओं का एकमात्र कारण नहीं होता है। अन्य कारक भी हैं जो वैवाहिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि वर-वधू की परिपक्वता, समझदारी, और आपसी तालमेल।
भकूट मिलान कितना जरूरी है? (How Important is Bhakoot Milan?)
भकूट मिलान (Bhakoot Milan) वर-वधू के बीच मानसिक और भावनात्मक तालमेल का आकलन करने में मदद करता है। यह वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह वर-वधू के बीच संभावित मतभेदों और टकरावों को कम करने में मदद करता है। इसलिए भकूट मिलान एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो वैवाहिक जीवन को सफल बनाता है।
भकूट दोष का परिहार (Bhakoot Dosh ka Parihar)
भकूट मिलान में तीन प्रकार के दोष होते हैं: षडाष्टक दोष, नव-पंचम दोष, और द्वि-द्वार्दश दोष। इन तीनों दोषों का परिहार भिन्न-भिन्न तरीकों से होता है।
षडाष्टक भकूट दोष (Shadashtak Bhakoot Dosh):
यह दोष तब बनता है जब वर-वधू की चंद्रमा राशियां 6-8 भावों में स्थित होती हैं। यह दोष तीन प्रकार का होता है:
- मित्र षडाष्टक: यदि वर-वधु की राशियां मेष-वृश्चिक, वृष-तुला, मिथुन-मकर, कर्क-धनु, सिंह-मीन या कन्या-कुंभ हैं, तो यह मित्र षडाष्टक कहलाता है। यह शुभ माना जाता है।
- शत्रु वैर षडाष्टक: यदि वर-वधु की चंद्र राशि स्वामियों का षडाष्टक शत्रुतापूर्ण है, तो यह परिहार योग्य है।
- त्याज्य षडाष्टक: मेष-कन्या, वृष-धनु, मिथुन-वृश्चिक, कर्क-कुंभ, सिंह-मकर और तुला-मीन राशियों का आपस में शत्रु षडाष्टक होता है और इसे पूर्ण रूप से त्याज्य माना जाता है।
षडाष्टक दोष के प्रभाव (Effects of Shadashtak Dosh):
- मानसिक और भावनात्मक तालमेल में कमी
- मतभेद, झगड़े और तनाव
- आकर्षण की कमी
- वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कमी
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
- आर्थिक परेशानियां
षडाष्टक भकूट दोष का परिहार (Shadashtak Dosh ka Parihar):
- दान-पुण्य: गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करें। चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करें, जैसे कि चांदी, दूध, और चावल।
- मंत्रों का जाप: महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, और शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।
- तंत्र-मंत्र: कुछ ज्योतिषी षडाष्टक दोष के निवारण के लिए तंत्र-मंत्रों का भी उपयोग करते हैं।
- उपाय: वर-वधू को एक-दूसरे के प्रति धैर्यवान और समझदार होना चाहिए। उन्हें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखना चाहिए। उन्हें नियमित रूप से धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए।
नव-पंचम भकूट दोष (Navpancham Bhakoot Dosh):
यह दोष तब बनता है जब वर-वधू की चंद्रमा राशियां 9-5 भावों में स्थित होती हैं। यह दोष संतान, शिक्षा और प्रेम संबंधों में बाधाएं पैदा कर सकता है।
नव-पंचम दोष के प्रभाव (Effects of Navpancham Dosh):
- संतान प्राप्ति में देरी
- शिक्षा में बाधाएं
- प्रेम संबंधों में असफलता
- वैवाहिक जीवन में अस्थिरता
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
- आर्थिक परेशानियां
नव-पंचम दोष का परिहार (Navpancham Dosh ka Parihar):
- दान-पुण्य: भगवान शिव और पार्वती की पूजा करें। गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करें। चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करें, जैसे कि चांदी, दूध, और चावल।
- मंत्रों का जाप: महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, और शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।
- रत्न धारण: मोती और पन्ना रत्न धारण करें।
- धार्मिक अनुष्ठान: नवग्रह पूजा, शिव पूजा, और दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान करें।
द्वि-द्वार्दश भकूट दोष (Dwi – Dwadash Bhakoot Dosh):
यह दोष तब बनता है जब वर-वधू की चंद्रमा राशियां 2-12 भावों में स्थित होती हैं। यह दोष धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन में बाधाएं पैदा कर सकता है।
द्वि-द्वार्दश दोष के प्रभाव (Effects of Dwi – Dwadash Dosh):
- धन हानि
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
- पारिवारिक कलह
- वैवाहिक जीवन में अस्थिरता
- मानसिक और भावनात्मक तनाव
- सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट
द्वि-द्वार्दश दोष का परिहार (Dwi – Dwadash Dosh ka Parihar):
- दान-पुण्य: भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करें। गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करें। चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करें, जैसे कि चांदी, दूध, और चावल।
- मंत्रों का जाप: महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें।
- रत्न धारण: मोती और पन्ना रत्न धारण करें।
- धार्मिक अनुष्ठान: विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा, और ग्रह शांति पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान करें।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भकूट मिलान में केवल दोषों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि गुण मिलान, ग्रहों की स्थिति और दशाएं भी महत्वपूर्ण हैं।
भकूट दोष निवारण पूजा (Bhakoot Dosh Nivaran Puja)
भकूट दोष कुंडली मिलान में एक महत्वपूर्ण पहलू है जो वर-वधू के बीच मानसिक और भावनात्मक तालमेल को दर्शाता है।
भकूट दोष निवारण पूजा विधि (Bhakoot Dosh Nivaran Puja Vidhi):
- पूजा की सामग्री:
- भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति/चित्र
- चंद्रमा यंत्र
- चांदी की प्लेट
- चंदन
- फूल
- फल
- मिठाई
- दीप
- अगरबत्ती
- कपूर
- दक्षिणा
- पान के पत्ते
- सुपारी
- पूजा विधि:
- स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थान को साफ करके सजाएं।
- भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति/चित्र को चांदी की प्लेट पर स्थापित करें।
- चंद्रमा यंत्र को भगवान शिव और पार्वती के सामने रखें।
- दीप जलाएं और अगरबत्ती और कपूर जलाएं।
- भगवान शिव और पार्वती की षोडशोपचार पूजा करें।
- चंद्रमा यंत्र की पूजा करें।
- भकूट दोष निवारण मंत्र का 108 बार जाप करें:
ॐ नमः शिवाय चंद्रशेखराय
नमः पार्वती देव्याय
भकूट दोषं नाशय
सुख-शांतिं देहि नमः।
- पूजा के बाद दक्षिणा अर्पित करें।
- प्रसाद ग्रहण करें।
- पूजा का समय:
- सोमवार, शुक्रवार, या पूर्णिमा के दिन पूजा करना शुभ माना जाता है।
- पूजा सुबह या शाम के समय करें।
- पूजा के नियम:
- पूजा करते समय ध्यान केंद्रित करें।
- पूजा के दौरान मन में कोई नकारात्मक विचार न रखें।
- पूजा के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं।
- अन्य उपाय:
- दान-पुण्य: गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करें। चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करें, जैसे कि चांदी, दूध, और चावल।
- मंत्रों का जाप: महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, और शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।
- रत्न धारण: मोती और पन्ना रत्न धारण करें।
- धार्मिक अनुष्ठान: नवग्रह पूजा, शिव पूजा, और दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान करें।
- महत्वपूर्ण बातें:
- भकूट दोष निवारण पूजा केवल एक उपाय है। यह वर-वधू के बीच मानसिक और भावनात्मक तालमेल में सुधार करने में मदद कर सकता है।
- यदि आप भकूट दोष को लेकर चिंतित हैं, तो पंडित या ज्योतिषी से सलाह लेना सबसे अच्छा है। वे भकूट दोष की तीव्रता और उपयुक्त उपायों का सुझाव दे सकते हैं।
- ज्योतिष शास्त्र एक मार्गदर्शक है, और इसका उपयोग किसी भी निर्णय को लेने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
भकूट दोष निवारण मंत्र इन हिंदी (Bhakoot Dosh Nivaran Mantra in Hindi)
ॐ नमः शिवाय चंद्रशेखराय
नमः पार्वती देव्याय
भकूट दोषं नाशय
सुख-शांतिं देहि नमः।
भकूट दोष कैलकुलेटर (Bhakoot Dosh Calculator)
भकूट दोष कैलकुलेटर एक ऑनलाइन टूल है जो आपको यह जानने में मदद करता है कि आपकी और आपके साथी की कुंडली में भकूट दोष है या नहीं।
कैलकुलेटर का उपयोग कैसे करें:
- वर और वधू की जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान दर्ज करें।
- “कैलकुलेट” बटन पर क्लिक करें।
- परिणाम आपको बताएगा कि आपकी और आपके साथी की कुंडली में भकूट दोष है या नहीं।
भकूट दोष कब नहीं लगता? (When Does Bhakoot Dosh Not Occur?)
भकूट दोष तीन स्थितियों में नहीं लगता:
- मित्र षडाष्टक:
- यदि वर-वधू की चंद्र राशियां मित्र षडाष्टक (मेष-वृश्चिक, वृष-तुला, मिथुन-मकर, कर्क-धनु, सिंह-मीन, कन्या-कुंभ) में हैं, तो भकूट दोष नहीं लगता है।
- इन राशियों के बीच मित्रतापूर्ण संबंध माना जाता है, जिसके कारण वर-वधू के बीच तालमेल और समझदारी बढ़ जाती है।
- ग्रह मैत्री:
- यदि वर-वधू की राशियों के स्वामी ग्रहों में मैत्रीपूर्ण संबंध है, तो द्वितीय-द्वादश भाव में भी भकूट दोष नहीं लगता है।
- ग्रहों की मैत्री से वर-वधू के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ता है, और वे एक-दूसरे का सहयोग करते हैं।
- नाड़ी दोष का अभाव:
- यदि वर-वधू की नाड़ियों में तालमेल है, तो पंचम-नवम भाव में भी भकूट दोष नहीं लगता है।
- नाड़ी दोष वर-वधू के बीच स्वास्थ्य और संतान संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
इन तीन स्थितियों के अलावा, भकूट दोष निम्नलिखित मामलों में भी कमजोर माना जाता है:
- अन्य गुण मिलान अच्छे: यदि वर-वधू की कुंडली में अन्य गुण मिलान अच्छे हैं, तो भकूट दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
- अनुकूल ग्रह दशा: यदि वर-वधू की ग्रहों की स्थिति और दशाएं अनुकूल हैं, तो भकूट दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
- प्रेम, सम्मान और समझदारी: यदि वर-वधू एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और समझदारी रखते हैं, तो भकूट दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
निष्कर्ष:
भकूट दोष (Bhakoot Dosh) एक गंभीर ज्योतिषीय दोष माना जाता है जो वैवाहिक जीवन में अनेक समस्याएं पैदा कर सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भकूट दोष ही वैवाहिक जीवन में समस्याओं का एकमात्र कारण नहीं होता है। यदि आपकी कुंडली में भकूट दोष (Bhakoot Dosh in Kundali) है, तो चिंता न करें। उपरोक्त उपायों का पालन करके आप इसके प्रभावों को कम कर सकते हैं।
Bhakoot Dosh in Kundali: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्र: भकूट दोष क्या होता है?
उत्तर: भकूट दोष कुंडली मिलान में एक महत्वपूर्ण पहलू है जो वर-वधू के बीच मानसिक और भावनात्मक तालमेल को दर्शाता है। जब वर-वधू की चंद्र राशियां 6-8, 9-5, या 12-2 भावों में स्थित होती हैं, तो भकूट दोष बनता है।
प्रश्र: भकूट दोष होने से क्या होता है?
उत्तर:
- वर-वधू के बीच मनमुटाव, झगड़े और मतभेद हो सकते हैं।
- वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कमी हो सकती है।
- संतान प्राप्ति में बाधाएं आ सकती हैं।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
प्रश्र: भकूट दोष कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: भकूट दोष को तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
- कमजोर भकूट दोष: यह तब होता है जब वर-वधू की चंद्र राशियां 6-8 भावों में स्थित होती हैं।
- मध्यम भकूट दोष: यह तब होता है जब वर-वधू की चंद्र राशियां 9-5 भावों में स्थित होती हैं।
- तीव्र भकूट दोष: यह तब होता है जब वर-वधू की चंद्र राशियां 12-2 भावों में स्थित होती हैं।
प्रश्र: भकूट मिलान कैसे करें?
उत्तर: भकूट मिलान ज्योतिषी द्वारा कुंडली मिलान के दौरान किया जाता है। ज्योतिषी वर-वधू की चंद्र राशियों की स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करते हैं।
प्रश्र: क्या भकूट दोष ठीक हो सकता है?
उत्तर: हां, भकूट दोष को कुछ उपायों द्वारा ठीक किया जा सकता है:
- भकूट दोष निवारण पूजा: यह पूजा भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है और भकूट दोष के प्रभाव को कम करने में मदद करती है।
- दान-पुण्य: गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करें। चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करें, जैसे कि चांदी, दूध, और चावल।
- मंत्रों का जाप: महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, और शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।
- रत्न धारण: मोती और पन्ना रत्न धारण करें।
- धार्मिक अनुष्ठान: नवग्रह पूजा, शिव पूजा, और दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान करें।
प्रश्र: भकूट दोष कितना बुरा है?
उत्तर: भकूट दोष कितना बुरा है यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस प्रकार का है। कमजोर भकूट दोष का प्रभाव कम होता है, जबकि तीव्र भकूट दोष का प्रभाव अधिक होता है।
प्रश्र: भकूट का मतलब क्या होता है?
उत्तर: भकूट का मतलब है “भौंहों के बीच का स्थान”। यह माना जाता है कि इस स्थान पर चंद्रमा का प्रभाव होता है।
प्रश्र: क्या भकूट दोष से विवाह संभव है?
उत्तर: हां, भकूट दोष से विवाह संभव है। यदि वर-वधू एक-दूसरे से प्यार करते हैं और भकूट दोष को कम करने के लिए उपाय करते हैं, तो वे एक सुखी वैवाहिक जीवन जी सकते हैं।
प्रश्र: भकूट दोष कब नहीं लगता?
उत्तर: भकूट दोष तीन स्थितियों में नहीं लगता है:
- मित्र षडाष्टक: यदि वर-वधू की चंद्र राशियां मित्र षडाष्टक (मेष-वृश्चिक, वृष-तुला, मिथुन-मकर, कर्क-धनु, सिंह-मीन, कन्या-कुंभ) में हैं, तो भकूट दोष नहीं लगता है।
- ग्रह मैत्री: यदि वर-वधू की राशियों के स्वामी ग्रहों में मैत्रीपूर्ण संबंध है, तो द्वितीय-द्वादश भाव में भी भकूट दोष नहीं लगता है।
प्रश्र: भकूट दोष से विवाह कैसे दूर करें?
उत्तर: भकूट दोष से विवाह को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- भकूट दोष निवारण पूजा: यह पूजा भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है और भकूट दोष के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। पूजा विधि के बारे में जानकारी ऊपर दी गई है।
- दान-पुण्य: गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करें। चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करें, जैसे कि चांदी, दूध, और चावल।
- मंत्रों का जाप: महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, और शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।
- रत्न धारण: मोती और पन्ना रत्न धारण करें।
- धार्मिक अनुष्ठान: नवग्रह पूजा, शिव पूजा, और दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान करें।
- ज्योतिषीय उपाय: ज्योतिषी द्वारा सुझाए गए उपायों का पालन करें।
प्रश्र: कुंडली मिलान में भकूट दोष क्या होता है?
उत्तर: कुंडली मिलान में भकूट दोष एक महत्वपूर्ण पहलू है जो वर-वधू के बीच मानसिक और भावनात्मक तालमेल को दर्शाता है। जब वर-वधू की चंद्र राशियां 6-8, 9-5, या 12-2 भावों में स्थित होती हैं, तो भकूट दोष बनता है।
प्रश्र: भकूट मिलान कितना जरूरी है?
उत्तर: भकूट मिलान एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन यह एकमात्र पहलू नहीं है जो वैवाहिक जीवन को सफल बनाता है।
जीजा साली के शायरी, कोट्स, जोक्स और चुटकुले