Sapinda Marriage in India: सपिंड विवाह भारत में एक जटिल कानूनी मुद्दा है। यदि आप सपिंड विवाह करने पर विचार कर रहे हैं, तो कानूनी सलाह लेना और अपने समुदाय में लागू रीति-रिवाजों और प्रथाओं को समझना महत्वपूर्ण है।
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Sapinda Marriage in India:
सपिंड विवाह, हिंदू धर्म में एक विवाह प्रथा है जो निकट रिश्तेदारों के बीच होता है। यह प्रथा हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act 1955) के तहत अवैध घोषित की गई है।
इस लेख में, हम सपिंड विवाह की अवधारणा (Sapinda Marriage Law), इसके पीछे के कारणों, कानूनी निषेध और इसके अपवादों पर चर्चा करेंगे।
हिंदू विवाह के शर्तें क्या है? (What are the Requirements for Hindu Marriage?)
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार, हिंदू विवाह के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं:
- दोनों पक्षों को स्वेच्छा से विवाह के लिए सहमत होना होगा (18 वर्ष से कम आयु अवैध)।
- दोनों पक्षों को हिंदू होना चाहिए (धर्म परिवर्तन के बाद 6 महीने का इंतजार)।
- सपिंड रिश्तेदारों (चार पीढ़ी तक) के बीच विवाह अवैध है (कुछ अपवादों के साथ)।
- कहीं भी हो सकता है (धार्मिक या गैर-धार्मिक)।
- अनिवार्य (विवाह के 30 दिनों के अंदर)।
- मानसिक रूप से स्वस्थ, पहले से विवाहित नहीं होना।
सपिंड विवाह क्या है? (What is Sapinda Marriage?)
सपिंड विवाह भारत में हिंदुओं के बीच एक प्रकार का विवाह है जो हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत प्रतिबंधित है। यह विवाह उन व्यक्तियों के बीच होता है जो एक दूसरे से निकटता से संबंधित होते हैं।
सपिंड संबंध क्या है? (What is the Sapinda Relationship?)
दो व्यक्ति सपिंड माने जाते हैं यदि:
- वे एक दूसरे के वंशज हैं।
- उनका एक ही पूर्वज है जो सपिंड संबंध के अंतर्गत आता है
सपिंड नातेदारी क्या है? (What is Sapinda Natedari?)
सपिंड नातेदारी (Sapinda Natedari) एक रक्त संबंध है जो पुरुषों की 5 पीढ़ी और महिलाओं की 3 पीढ़ी तक विस्तारित होता है। इसका मतलब है कि आपके माता-पिता, दादा-दादी, परदादा-परदादी, चाचा-चाची, भाई-बहन, चचेरे-ममेरे भाई-बहन आदि सभी आपके सपिंड रिश्तेदार होते हैं।
यह संबंध रक्त संबंध पर आधारित होता है, विवाह पर नहीं।
सपिंड संबंध की सीमाएं (Limitations Of Sapinda Relationship):
माता पक्ष:
पहली पीढ़ी: भाई-बहन
दूसरी पीढ़ी: माता-पिता
तीसरी पीढ़ी: दादा-दादी
पिता पक्ष:
पहली पीढ़ी: पुत्र-पुत्री
दूसरी पीढ़ी: पुत्रवधू-पुत्रजमाई
तीसरी पीढ़ी: नाति-पोती
चौथी पीढ़ी: परनाति-परपोती
पांचवीं पीढ़ी: प्रपौत्र-प्रपौत्री
सपिंड विवाह की गणना (Calculation of Sapinda Marriage):
यह गणना करते समय कि कौन दो लोग सपिंड रिश्ते में हैं, पुरुषों के लिए 5 पीढ़ी और महिलाओं के लिए 3 पीढ़ी को ध्यान में रखा जाता है।
उदाहरण:
- एक व्यक्ति का अपने माता-पिता, दादा-दादी, परदादा-परदादी, नाना-नानी, और इनके माता-पिता (कुल 5 पीढ़ी) के साथ सपिंड संबंध होता है।
- एक महिला का अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, और इनके माता-पिता (कुल 3 पीढ़ी) के साथ सपिंड संबंध होता है।
फरवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने “यूनियन ऑफ इंडिया बनाम अन्य” मामले में सपिंड विवाह को गैरकानूनी घोषित करने वाले हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(v) को संवैधानिक ठहराया।
सपिंड विवाह अधिनियम (Sapinda Marriage Law)
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (एचएमए) के तहत, सपिंड विवाह को गैरकानूनी घोषित किया गया है। इसका मतलब है कि जो लोग एक-दूसरे से सपिंड रिश्ते में हैं, वे कानूनी रूप से शादी नहीं कर सकते।
सपिंड संबंध (Sapinda Relationship) एक रिश्तेदारी का रिश्ता है जो रक्त या विवाह के माध्यम से बनता है। यह रिश्ता माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन, चचेरे-ममेरे भाई-बहन आदि जैसे रिश्तेदारों को जोड़ता है।
क्या सपिंड विवाह को मान्यता मिल सकती है? (Can Sapinda Marriage Be Recognised?)
कुछ अपवादों में सपिंड विवाह को अमान्य किया जा सकता है। यदि किसी समुदाय में प्रथागत विवाह की अनुमति है, और वह प्रथा सपिंड विवाह की अनुमति देती है, तो ऐसे विवाह को अमान्य नहीं किया जाएगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सपिंड विवाह कानूनी रूप से प्रतिबंधित है और इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं।
सपिंड विवाह में कितनी पीढ़ियों तक शादी नहीं किया जाता है? (In Sapinda Marriage, for How Many Generations Marriage Does Not Take Place?)
सपिंड विवाह में पीढ़ियों की संख्या पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग होती है:
- पुरुषों के लिए: 5 पीढ़ियां
- महिलाओं के लिए: 3 पीढ़ियां
इसका मतलब है कि:
पुरुष:
- अपनी मां की तरफ से 3 पीढ़ी तक (अपने, दादा, परदादा)
- और अपने पिता की तरफ से 5 पीढ़ी तक (अपने, दादा, परदादा, परनाना, परपरदादा) किसी भी रिश्तेदार से शादी नहीं कर सकते।
महिला:
- अपनी मां की तरफ से 3 पीढ़ी तक (अपने, दादा, परदादा)
- और अपने पिता की तरफ से 3 पीढ़ी तक (अपने, दादा, परदादा) किसी भी रिश्तेदार से शादी नहीं कर सकती।
क्या भारत में सपिंड विवाह कानूनी है? (Is Sapinda Marriage Legal in India?)
नहीं, भारत में सपिंड विवाह कानूनी रूप से नहीं है। यह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (एचएमए) के तहत निषिद्ध है। क्योंकि:
- सपिंड विवाह को वंशावली के आधार पर अनुवांशिकी संबंधों के लिए हानिकारक माना जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि सपिंड रिश्तेदारों के बीच संतान होने से जन्मजात दोष और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।
सपिंड विवाह पर प्रतिबंध क्यों? (What was Reason for Challenging the Law?)
सपिंड विवाह को आनुवंशिक विकारों के जोखिम को बढ़ाने के लिए माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सपिंड रिश्तेदारों में समान जीन होने की अधिक संभावना होती है, जो वंशानुगत रोगों के प्रसार को जन्म दे सकती है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सपिंड विवाह के लिए क्या फैसला लिया है? (What was said by the Delhi High Court?)
हाल ही में, फरवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने “यूनियन ऑफ इंडिया बनाम अन्य” मामले में इस कानून को बरकरार रखा है। इस मामले में सपिंड विवाह को गैरकानूनी बनाने वाले हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(v) की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी।
निष्कर्ष:
सपिंड विवाह (Sapinda Marriage in India) एक प्रतिबंधित प्रथा है जिसके स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं।यदि आप सपिंड विवाह पर विचार कर रहे हैं, तो कानूनी निषेधों और स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है।
Sapinda Marriage in India: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्र: सपिण्ड विवाह से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: सपिंड विवाह का अर्थ है एक ही रक्त या गोत्र से होने वाले दो व्यक्तियों के बीच विवाह।
प्रश्र: सपिंड विवाह का अर्थ क्या है?
उत्तर: सपिंडा विवाह का अर्थ सपिंडा नातेदारी में आने वाले लोगों के बीच विवाह है।
प्रश्र: सपिंड नातेदारी क्या है?
उत्तर: सपिंड नातेदारी एक रक्त संबंध है जो पुरुषों की 5 पीढ़ी और महिलाओं की 3 पीढ़ी तक विस्तारित होता है। इसका मतलब है कि आपके माता-पिता, दादा-दादी, परदादा-परदादी, चाचा-चाची, भाई-बहन, चचेरे-ममेरे भाई-बहन आदि सभी आपके सपिंड रिश्तेदार होते हैं।
प्रश्र: सपिंड नातेदारी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: सपिंड नातेदारी एक रक्त संबंध है जो पुरुषों की 5 पीढ़ी और महिलाओं की 3 पीढ़ी तक विस्तारित होता है।
प्रश्र: दिल्ली एचसी ने सपिंड की शादी पर प्रतिबंध क्यों लगाया?
उत्तर: दिल्ली हाईकोर्ट ने सार्वजनिक नीति और सामाजिक न्याय के आधार पर सपिंड विवाह को गैरकानूनी घोषित किया है।
प्रश्र: सपिंड का उदाहरण क्या है?
उत्तर:
- एक पुरुष अपनी मां की चचेरी बहन (मां के भाई की बेटी) से शादी नहीं कर सकता क्योंकि वे सपिंड रिश्ते में आते हैं।
- एक महिला अपने पिता के चचेरे भाई (पिता के भाई का बेटा) से शादी नहीं कर सकती क्योंकि वे सपिंड रिश्ते में आते हैं।
प्रश्र: सपिंड का रिश्ता कैसे चेक करें?
उत्तर: सपिंडा रिश्ता चेक करने के लिए आप अपने परिवार के वंशावली वृक्ष का उपयोग कर सकते हैं।
प्रश्र: सपिंड की गणना कैसे करें?
उत्तर: सपिंडा की गणना करते समय, पुरुषों के लिए 5 पीढ़ी और महिलाओं के लिए 3 पीढ़ी को ध्यान में रखा जाता है।
प्रश्र: क्या भारत में सपिंड विवाह कानूनी है?
उत्तर: नहीं, भारत में सपिंड विवाह कानूनी रूप से नहीं है। इसे हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (एचएमए) के तहत निषिद्ध घोषित किया गया है।
प्रश्र: सपिंड विवाह क्यों वर्जित है?
उत्तर: सपिंड विवाह को भारत में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया है। इसके पीछे कई कारण हैं:
- वंशावली संबंधी चिंताएं: सपिंड विवाह को वंशावली के आधार पर अनुवांशिकी संबंधों के लिए हानिकारक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सपिंड रिश्तेदारों के बीच संतान होने से जन्मजात दोष और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।
- सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू: कुछ समुदायों में, सपिंड विवाह को सामाजिक रूप से अनुचित माना जाता है। यह परिवारिक संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है और सामाजिक बहिष्कार का कारण बन सकता है।
- धार्मिक मान्यताएं: कुछ धार्मिक ग्रंथों में सपिंड विवाह को निषिद्ध माना जाता है।
- कानूनी प्रावधान: हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (एचएमए) के तहत सपिंड विवाह को अमान्य घोषित किया गया है।
प्रश्र: क्या मैं भारत में अपने पिता की बहन के बेटे से शादी कर सकता हूं?
उत्तर: सामान्य तौर पर, आप अपने पिता की बहन के बेटे से शादी नहीं कर सकते क्योंकि वे सपिंड रिश्ते में आते हैं।
प्रश्र: सपिंड विवाह को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
उत्तर: सपिंड विवाह को अंग्रेजी में “Prohibited Relationship Marriage” या “Sapinda Marriage” कहते हैं।
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