क्यों लिए जाते हैं शादी में सात फेरे? जानें विवाह के 7 वचनों का महत्व

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क्यों लिए जाते हैं शादी में सात फेरे जानें विवाह के 7 वचनों का महत्व

हिंदू धर्म में शादी के दौरान कई तरह की रीति रिवाज निभाए जाते हैं जो कि कुल 4 से 5 दिनों तक चलते हैं जैसे कि हल्दी, तिलक, मेहंदी, सांत और कई ऐसी छोटी-छोटी रस्में जिनको निभाना हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। शादी का बंधन केवल दो लोगों में ही नहीं परिवारों का मिलन होता है। इसलिए इस दिन में कोई भी जोड़ा किसी भी रीति-रिवाज को ना अपना कर अपनी शादी के क्रेज़ को खत्म करना नहीं चाहता है। आज हम आपके लिए शादी के सात फेरों के महत्व (Importance of saat phere in Hindi) के बारे में आर्टिकल लेकर आए हैं साथ ही हम आपको शादी के साथ वचनों के बारे में (Seven promises of marriage?) भी बताने वाले हैं। हमारे आर्टिकल को अंत तक ज़रूर पढ़ें और इन धार्मिक तथ्यों के बारे जानकारी लें।

यह तो आप सब जानते हैं कि हिंदू धर्म की शादी में सात फेरे पूरे हो जाने के बाद ही लड़का-लड़की पति-पत्नी के रूप में देखे जाते हैं। इस विवाह को गहरा माना जाता है जिस विवाह में पंडित के द्वारा सात फेरे दूल्हा और दुल्हन के करवाएं जाते हैं। तो चलिए जानते हैं शादी के समय सात फेरे क्यों लिए जाते हैं और इन सात फेरों का क्या महत्व होता है? (What is the importance of saat phere in marriage?)

शादी में सात फेरे

सबसे पहले जानते हैं कि:

शादी के फेरे 7 ही क्यूँ होते हैं? (Why there are seven rounds in hindi marriage?)

सात नंबर का महत्व हमारी भारतीय संस्कृति में काफी महत्वपूर्ण चीजों की संख्या में माना जाता है। जैसे कि संगीत के सात सुर होते हैं, इंद्रधनुष के भी सात रंग होते हैं। हमारी दुनिया में सात समुंदर हैं, सप्त ऋषि, हफ्ते के सात दिन, मनुष्य के लिए सात क्रियाएं, सात ग्रह, मंदिर की मूर्तियों की सात परिक्रमाएं और सबसे अहम हिंदू धर्म में शादी में सात फेरे। (Importance of seven vows of marriage)

इन सब चीज़ों से इस बात का पता चलता है कि सात नंबर हमारे धार्मिक ग्रंथो में काफी शुभ माना गया है। सात नंबर की इसी म्हत्त्ता को ध्यान में रखते हुए शादी के दिन भी दूल्हा-दुल्हन को सात फेरे लेने की मान्यता है।

अलग अलग प्रकार की होती है शादियाँ

हिंदू धर्म में सात फेरों का मतलब!! (Meaning of saat fere in hindu religion!!)

शादी के सात फेरों में सात जन्मों तक का बंधन जुड़ा होता है। यह सब तो आप लोग जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में कई अलग रीति-रिवाज फॉलो किए जाते हैं। शादी दो लोगों के बीच का एक समझौता ही नहीं बल्कि एक प्यार का ऐसा बंधन है जिसे पति-पत्नी एक दूसरे के साथ सात जन्म तक निभाना चाहते होते हैं। विवाह में दूल्हा और दुल्हन के सात फेरे लेने की प्रतिक्रिया काफी जन्मों से चलती आ रही है। अग्नि को साक्षी मानकर लड़का-लड़की उसके इर्द-गिर्द सात फेरे लेते हैं और 7 जन्मों तक साथ रहने का वादा करते हैं। वह अपने तन, मन और आत्मा से अपने रिश्ते को निभाने के लिए एक दूसरे से प्रॉमिस करते हैं। हिंदू विवाह प्रथा में पति-पत्नी के बीच केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि आत्मिक संबंध भी होता है। और वह अपने इस संबंध को बहुत ही पवित्र मानते हैं और इस संबंध को तोड़ना उनके लिए बेहद मुश्किल होता है।

अब इस बात का तो आपको अंदाजा हो गया होगा कि हमारे धर्म में तथा ग्रंथों में 7 अंक को शुभ माना जाता है और सात फेरे एक साथ लेने के बाद ही दो अजनबी अपनी पूरी जिंदगी के लिए एक दूसरे के साथ जुड़ जाते हैं। और सात फेरे होने के बाद ही शादी को पूरा माना जाता है। तो चलिए अब हम आपको इन सात फेरों के मायने (Importance of saat vows in hindu marriage) के बारे में बताते हैं।

पहला फेरा खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए होता है। जिसमें की लड़का अपनी होने वाली वधू से इस बात का वादा करता है कि वह जिंदगी भर उसके और अपने परिवार के लिए खाने-पीने की कमी नहीं होने देगा।

दूसरा फेरा संयम और शक्ति के लिए है। इसमें वर अपनी होने वाली पत्नी से इस बात का वादा करता है कि वह सारी उम्र संयम से उसके साथ अपने जीवन को व्यतीत करने वाला है और अगर घर पर या उस पर कोई भी प्रॉब्लम आती है तो वह दोनों शक्ति और संयम के साथ उसको हैंडल करेंगे।

तीसरा फेरा पूरी जिंदगी के लिए धन की व्यवस्था करने का वादा होता है। धन जिंदगी को चलाने के लिए बेहद जरूरी होता है। इसलिए तीसरे फेर में वह अपनी वधू से इस बात का प्रॉमिस करता है कि वह सारी उम्र उसके और अपने परिवार के लिए धन की व्यवस्था करेगा। और धन कमाने की जिम्मेदारी उसकी होगी।

चौथा फेरा पारिवारिक सुख और शांति के लिए होता है। जिसमें वर और वधु दोनों ही आपस में ये प्रण करते हैं कि वह घर में सुख-शांति लाने के लिए हर पर्यतन करेंगे। और ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे जिससे उनके घर की सुख शांति पर कोई भी आंच आए।

पांचवा फेरा पशु धन संपदा के लिए है। इसका मतलब कि वह दोनों घर में धन, पशु, संपदा तथा हर ऐसी चीज का ध्यान रखेंगे जो जीने के लिए आवश्यक है। कभी भी किसी चीज की घर पर कमी नहीं आने देंगे।

छठा फेरा हर मौसम में रहन-सहन के लिए वादा है। छठे फेरे में वर वधु एक दूसरे से वादा करते हैं कि वह हर मौसम में पहनने के लिए कपड़े, खाने के लिए सामान तथा घर में रहने की चीजों की व्यवस्था करेंगे। और अपने आने वाली फैमिली और रह रहे लोगों को किसी भी चीज की कमी नहीं होने देगें।

सातवां फेरा हर सुख-दुख में साथ देने का वादा है। शादी के सात फेरों का सातवां फेरे (Seven vows in marriage) में पति-पत्नी एक दूसरे से यह वादा लेते हैं कि वह आने वाली जिंदगी के हर सुख-दुख को एक साथ में भोगेंगे। कोई भी अगर घर पर विपत्ति आती है या आपस में उनकी कोई भी अनबन होती है तो वह कभी भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे।

तो यह थे सात फेरे के मायने in Hindi!! चलिए अब हम बात करते हैं कि विवाह में सात वचन क्या होते हैं? (What are seven promises in Hindu marriage?) जो कि हर पति अपनी पत्नी को देता है। ऐसा माना जाता है कि सात फेरों के साथ हर पति अपनी पत्नी को सात वचन भी देता है जिसके बाद ही उनका रिश्ता गहरा बनता है और सारी उमर उन वचनों को निभाने का भी वादा दिया जाता है। शादी के फेरों से पहले लड़की लड़के के दाएँ अंग में बैठती है और ये सातों वचनों को मनवाने के बाद ही वो अपने पति के बाएं अंग में यानि की अपने पति का बाया अंग बनने का स्वीकार करती है।

शादी के फेरे 7 ही क्यूँ होते हैं

शादी के सात वादे!! What are seven promises of marriage?

शादी के फेरों का पहला वचन पहले फेरे में दुल्हन आगे चलती है और अपने होने वाले पति से यह वचन मांगती है कि जब भी वह किसी तीर्थ स्थान या धार्मिक उत्सव में जाएंगे तो उसे अपने साथ लेकर जाएंगे। इसके इलावा घर में या किसी भी धार्मिक स्थान पर की गई पूजा का आधा हिस्सा आप मुझे देंगे। अगर वर को ये बात मंजूर होती है तभी वह उनके बाएं अंग में बैठने के लिए तैयार है।

शादी के फेरों का दूसरा वचन दूसरे वचन में भी दुल्हन आगे होती है और दूल्हे से इस बात का वचन लेती है कि वह अपने माता-पिता का आज तक सम्मान करती आई है। और उसी तरह वह अपने पति के माता-पिता और घर वालों का भी सम्मान करेगी। और हर बात की मर्यादा का ध्यान रखेंगी। ठीक उसी तरह पति को भी अपनी पत्नी के माता-पिता और घर वालों का सम्मान करना होगा। इसी वचन के साथ वह अपने पति की वामांगी (बायाँ अंग) बनना स्वीकार करती है।

शादी के फेरों का तीसरा वचन तीसरे वचन में भी दुल्हन दूल्हे से इस बात का वादा लेती है कि वह जीवन की सभी अवस्थाएं यानी कि युवावस्था, वृद्धावस्था पढ़ावस्था में उसके साथ रहेगा। आपकी कमाई का आधा हिस्सा मेरा होगा और मेरी की गई कमाई पर आप मुझसे कोई सवाल नहीं करेंगें। अगर वह इस ऐसा वचन उसे देता है तभी वह उसके बाएं अंग में बैठना स्वीकार करती है।

शादी के फेरों का चौथा वचन शादी के चौथे फेरे में दूल्हा आगे चलता है और दुल्हन अपने पति से इस बात का वादा करती है कि अब तक आपके परिवार की चिंता आपने अकेले की है और आज के बाद आप अपने परिवार की चिंता में हम दोनों भागिदार हैं। मैं आपके साथ हूं और परिवार की जरूरटोन को पूरा करने में आपका साथ निभाऊंगी। अगर आप मेरे साथ इस जिम्मेदारी को निभाने को तैयार है तो मैं आपके बाय अंग में बैठना चाहूंगी।

शादी के फेरों का पांचवा वचन शादी के पांचवें वचन में लड़की अपने अधिकारों की बात करते हुए दूल्हे से वचन मांगती है के घर के सभी कार्यों में, लेनदेन में या किसी भी और डिसीजन में आप मेरी राय अवश्य लेंगे। आप अकेले किसी भी काम का बिना मेरी सहमती के नहीं करेंगें। अगर आप इस बात का वादा करते हैं तो मैं आपके बाएं अंग में बैठना स्वीकार करती हूं।

शादी के फेरों का छठा वचन- शादी के फेरों के छठे वचन में दुल्हन दूल्हे से यह मांगती है कि मैं आज अपने पूरे परिवार और अपनी सखी सहेलियां के बीच में बैठी हूं। तो आप कभी भी समाज में या किसी के सामने मेरा अपमान नहीं करेंगे और मेरी इज्ज़त करेंगें। आज के बाद किसी भी बुरी आदत, जुआ, शराब आदि में अपने आप को नहीं फसाएंगे। अगर आप मुझे इस बात का वचन देते हैं तो मैं आपकी वामांगी बनना स्वीकार करती हूं।

शादी के फेरों का सातवां वचन शादी के आखिरी सातवें वचन में दुल्हन कहती है कि आप हम दोनों के प्यार के बीच में किसी और को नहीं आने देंगे। और मेरे प्यार का भागीदार किसी और को नहीं बनायेंगें। किसी अन्य स्त्री को माता और बहन के रूप में ही देखेंगे। अगर आपको यह स्वीकार है तो मैं आपकी बाय अंग में बैठना स्वीकार करती हूँ।

तो यह थे शादी के दिन सात फेरों के महत्व और उनके मायने!! (Importance of Saat Fere in Hindi!!) उम्मीद है आपको हमारा आज का आर्टिकल काफी पसंद आया होगा। क्योंकि इस बात की जिज्ञासा हर होने वाली पति और पत्नी के मन में होती है। यह आर्टिकल हमारा उनको समर्पित है जिन जो शादी करने का विचार कर रहे हैं या जिनकी शादी फिक्स हो चुकी है और वह इन सात फेरों के बारे में जानना चाहते थे। इसके अलावा यदि आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो आप हमसे पूछ कर उसका जवाब कमेंट सेक्शन में ले सकते हैं।

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शादी के सात फेरों से संभंधित पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न!! (FAQs related to Saat Fere and Saat Vachan!!)

1. आखिर क्यों लिए जाते हैं शादी में सात फेरे?

जैसे कि हमने आपको बताया कि सात अंक का हमारे हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है। इसलिए अपनी नई जिंदगी की शुरुआत हर जोड़ा सात फेरों से ही करता है। ताकि वह विवाह के पवित्र बंधन में बढ़ जाए और एक दूसरे को सात जन्मों तक साथ निभाना का वादा करें।

2. क्यों बैठती है वधू वर की बाईं तरफ?

यह सवाल अक्सर लोगों के मन में होता है की विवाह संपूर्ण हो जाने के बाद वधू हमेशा वर के बाई तरफ क्यों बैठती है। तो हम आपको बता दें की पुरानी मान्यताओं के अनुसार वधु को वामंगी कहा जाता था। इसका अर्थ होता है पति का बायाँ अंग। इसमें पत्नी शादी के वचन में अपने पति से यह वादा करती है कि वह हमेशा उसका बाया अंग बन कर उसके साथ चलेगी।

3. सात जन्मों का साथ क्या होता है?

ऐसा माना जाता है कि हर इंसान के सात जन्म होते हैं। इसलिए हर पति-पत्नी सात फेरों के साथ इस बात का वादा करते हैं कि वह अपने आने वाले सात जन्मों तक एक दूसरे के साथ सुख-दुख को निभाएंगे और साथ ही रहेंगे।

4. सात फेरों का मंत्र क्या है?

शादी के सात फेरों का मंत्र है: “तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी !!” इसका अर्थ है कि पत्नी अपने पति से यह वादा मांगती है कि आज के बाद किसी धार्मिक स्थान पर अगर वह जाएगें तो उसे अपने साथ लेकर जाएंगे और उनके सभी धार्मिक कार्यों का आधा हिस्सा उसे मिलेगा।

5. शादी के सात फेरों में कौन आगे रहता है?

सात फेरों के पहले तीन फेरों में लड़की लड़के से आगे चलती है और अपनी आने वाली ज़िन्दगी के सुखों का अपने गोने वाले पति से वादा मांगती है। अगले चार पैरों में वर आगे रहता है और वधु उससे कुछ शर्तें मनवा कर उसके पीछे चलने का वादा करती है।

6. सात फेरे कैसे लिए जाते हैं?

विवाह में वर वधु अग्नि को साक्षी मानकर एक दूसरे के साथ ससत फेरे लेते हैं। जिसमें से पहले तीन फेरों में वधू आगे चलती है अगले चार फेरों में वर आगे होता है। और उसे शादी के सात वचन (Shadi ke saat vachan) देने का वादा करता है। फेरे समाप्त होने के बाद वधू वर के बाएं अंग में बैठती है।

7. क्या बिना फिरों के हिंदू विवाह संपन्न माना जाता है?

नहीं, हिंदू परंपरा के अनुसार जब तक वर वधु के साथ सात अग्नि को साक्षी मानकर नहीं लिए जाते तो उनका विवाह संबंध पूरा नहीं माना जाता है। सात फेरे लेने के बाद वो दोनों सात जन्मों तक एक दुसरे के साथ बंध जाते हैं।

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