Sawan Tradition: शादी के बाद पहले सावन में दुल्हन क्यों जाती है मायके?

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Sawan Tradition of mayka rasam

Sawan Tradition: सावन में दुल्हन क्यों जाती है मायके? इस लेख में हम शादी के बाद पहले सावन में दुल्हन के मायके जाने के पीछे के कारणों को विस्तार से बताएंगे। जानिए इस परंपरा का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व।

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Sawan Tradition:

भारतीय संस्कृति में शादियां विशेष महत्व रखती हैं। शादी के बाद एक नए जीवन की शुरुआत होती है। इस नए अध्याय में कई रीति-रिवाज और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा है शादी के बाद पहला सावन(First Sawan After Marriage)। इस महीने में दुल्हन अपने मायके जाने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। यह एक ऐसा रिवाज है जिसके पीछे धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक कई कारण हैं।

सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान शिव भक्तों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शिव और पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाने वाला यह महीना, नई दुल्हन के लिए भी कई शुभ संकेत लेकर आता है। आइए जानते हैं कि इस महीने में दुल्हन का मायके जाना (Sawan me Dulhan ka Mayke Jana) के पीछे क्या कारण हैं और इस परंपरा का क्या महत्व है।

Sawan Tradition for mayka rasam

शादी के बाद पहले सावन में दुल्हन को मायके क्यों जाना चाहिए? (Why Should Bride Go To Her Mayka in  First Sawan After Marriage?)

सावन में दुल्हन का मायके जाने का धार्मिक कारण

  • शिव और पार्वती का आशीर्वाद: सावन में शिव और पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस महीने में दुल्हन अपने मायके जाकर शिव और पार्वती की पूजा करती है और उनका आशीर्वाद लेती है। इससे दांपत्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • माता का आशीर्वाद: माँ का आशीर्वाद हर संतान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। सावन में दुल्हन अपने मायके जाकर माँ का आशीर्वाद लेती है और उनसे अपने नए जीवन के लिए शुभकामनाएं मांगती है।
  • पितरों का आशीर्वाद: कुछ क्षेत्रों में यह भी मान्यता है कि सावन में पितरों का आशीर्वाद लेना शुभ होता है। इसलिए दुल्हन अपने मायके जाकर अपने पितरों को श्रद्धांजलि देती है।

सावन में दुल्हन का मायके जाने का सामाजिक कारण

  • नई जिंदगी की शुरुआत: शादी के बाद एक लड़की का एक नया घर होता है। सावन में मायके जाना उसे अपने पुराने माहौल और परिवार से जुड़ने का मौका देता है।
  • परिवारिक बंधन: शादी के बाद दुल्हन का एक नया घर होता है। सावन में मायके जाना उसे अपने परिवार से जोड़ने का एक मौका देता है। यह परिवारिक बंधन को मजबूत बनाता है।
  • समाजिक दायित्व: कुछ समुदायों में यह एक सामाजिक दायित्व माना जाता है कि शादी के बाद पहला सावन दुल्हन अपने मायके जाए।
  • सांस्कृतिक महत्व: यह एक सांस्कृतिक परंपरा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यह परंपरा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है।

सावन में दुल्हन का मायके जाने का ज्योतिषीय कारण

  • राशिफल: कुछ ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना कुछ राशियों के लिए शुभ होता है। इसलिए दुल्हन को अपने मायके जाकर कुछ विशेष पूजा-पाठ करने की सलाह दी जाती है।
  • ग्रहों की स्थिति: ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों की स्थिति भी इस रिवाज से जुड़ी हो सकती है।

सावन में दुल्हन का मायके जाने का मनोवैज्ञानिक कारण

  • तनाव कम करना: शादी के बाद एक नई जिंदगी की शुरुआत होती है। मायके जाकर दुल्हन कुछ समय के लिए अपने पुराने माहौल में रहती है जिससे उसका तनाव कम होता है।
  • आत्मविश्वास बढ़ाना: मायके में परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताकर दुल्हन का आत्मविश्वास बढ़ता है।

सावन में मायके जाने के दौरान की जाने वाली गतिविधियां

  • शिव मंदिर में दर्शन: सावन में दुल्हन अपने मायके के पास स्थित शिव मंदिर में दर्शन करने जाती है।
  • व्रत रखना: कई महिलाएं सावन के महीने में सोमवारी व्रत रखती हैं।
  • गीत गाना और झूले झूलना: सावन के महीने में महिलाएं मिलकर गीत गाती हैं और झूले झूलती हैं।
  • मेहंदी लगाना: सावन के महीने में महिलाएं मेहंदी लगाती हैं।
  • पकवान बनाना: सावन के महीने में विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।

निष्कर्ष:

शादी के बाद पहला सावन (Sawan Tradition) दुल्हन के लिए एक विशेष अवसर होता है। यह धार्मिक, सामाजिक, ज्योतिषीय और मनोवैज्ञानिक कई कारणों से महत्वपूर्ण होता है। यह एक ऐसा रिवाज है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है और भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है।

Sawan Tradition: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्र: शादी के बाद दुल्हन सावन में मायके क्यों जाती है?

उत्तर: सावन में दुल्हन का मायके जाना एक पुरानी भारतीय परंपरा है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस समय दुल्हन अपने परिवार के साथ सावन के व्रत और पूजा में शामिल हो सकती है, जो उसे अपने परिवार के साथ समय बिताने और संबंधों को मजबूत बनाने का मौका देता है।

प्रश्र: पहले सावन में मायके जाने की परंपरा क्या है?

उत्तर: शादी के बाद के पहले सावन में दुल्हन का मायके जाना एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें नवविवाहिता अपने मायके लौटती है। यह परंपरा न केवल परिवार के साथ संबंध बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने का भी एक अवसर प्रदान करती है।

प्रश्र: सावन के महीने का दुल्हनों के लिए क्या महत्व है?

उत्तर: सावन का महीना भगवान शिव की पूजा का समय होता है। दुल्हनों के लिए यह एक शुभ समय माना जाता है, जिसमें वे अपने मायके जाकर भगवान शिव की पूजा कर सकती हैं और अपने परिवार के साथ समय बिता सकती हैं। यह उनके नए जीवन में एक भावनात्मक और धार्मिक संतुलन लाने में मदद करता है।

प्रश्र: क्या सावन के महीने में सभी नई दुल्हनों को मायके जाना चाहिए?

उत्तर: यह परंपरा आमतौर पर सभी नई दुल्हनों के लिए होती है, लेकिन यह परिवार और व्यक्तिगत परिस्थिति पर निर्भर करता है। यदि संभव हो, तो दुल्हनों को अपने मायके जाने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन यह उनकी और उनके परिवार की सुविधा और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

प्रश्र: सावन में मायके जाने के पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक कारण क्या हैं?

उत्तर: धार्मिक दृष्टिकोण से, सावन भगवान शिव का महीना होता है, और इस दौरान उनके पूजन का महत्व है। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, यह परंपरा परिवार के साथ समय बिताने और रिश्तों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दुल्हन को अपने परिवार के साथ भावनात्मक और मानसिक समर्थन भी प्रदान करता है।

प्रश्र: शादी के बाद सावन में मायके जाने की परंपरा कब से चली आ रही है?

उत्तर: यह परंपरा सदियों पुरानी है और भारतीय संस्कृति में गहराई से रची-बसी है। इसका प्रारंभिक काल निश्चित रूप से नहीं बताया जा सकता, लेकिन यह परंपरा प्राचीन समय से निभाई जा रही है।

प्रश्र: सावन के महीने में दुल्हन के मायके जाने की तैयारी कैसे की जाती है?

उत्तर: दुल्हन के मायके जाने की तैयारी में सामान्य रूप से यात्रा की योजना बनाना, धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आवश्यक सामग्री तैयार करना, और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने के लिए कार्यक्रम बनाना शामिल होता है। कुछ परिवार दुल्हन के स्वागत के लिए विशेष तैयारी भी करते हैं।

प्रश्र: पहले सावन में दुल्हन मायके जाती है या ससुराल में रहती है?

उत्तर: परंपरागत रूप से, दुल्हन पहले सावन में मायके जाती है। यह एक अनिवार्य प्रथा नहीं है, लेकिन सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार इसे शुभ माना जाता है।

प्रश्र: सावन में मायके जाने पर दुल्हन को क्या उपहार दिए जाते हैं?

उत्तर: दुल्हन को मायके जाने पर अक्सर उसके परिवार की ओर से नए कपड़े, गहने, मिठाइयाँ, और अन्य उपहार दिए जाते हैं। कुछ परिवारों में सावन के महीने में विशेष उपहार देने की परंपरा भी होती है।

प्रश्न: क्या सावन में मायके जाने की परंपरा आज के समय में भी निभाई जाती है?

उत्तर: हाँ, आज भी कई परिवारों में यह परंपरा निभाई जाती है। हालांकि, बदलते समय और जीवनशैली के कारण कुछ परिवारों में इस परंपरा का पालन उतनी सख्ती से नहीं किया जाता, लेकिन यह आज भी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा मानी जाती है।

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