Kumbh Vivah Kaise Hota Hai: कुंभ विवाह किसे कहते हैं?

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Kumbh Vivah Kaise Hota Hai

Kumbh Vivah Kaise Hota Hai: जानें कुंभ विवाह क्या है, इसे क्यों किया जाता है, और यह कैसे मंगल दोष को दूर करके सुखी वैवाहिक जीवन की शुरुआत करता है।

दहेज में क्या क्या सामान दिया जाता है?

Kumbh Vivah

Kumbh Vivah Kaise Hota Hai:

भारत में आध्यात्मिकता का बहुत गहरा असर है, और हर समस्या का आध्यात्मिक समाधान ढूंढ़ने की परंपरा भी है। कुंभ विवाह (Kumbh Vivah) इस तरह के अनुष्ठानों में से एक है, जो भारतीय आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है और इसका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर उन व्यक्तियों पर जो मांगलिक दोष से प्रभावित होते हैं।

“कुंभ विवाह” दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है: 

“कुंभ” का मतलब होता है मिट्टी का घड़ा और “विवाह” का मतलब शादी। 

यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन लोगों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में मांगलिक दोष (Manglik Dosh) होता है। मांगलिक दोष एक ऐसी स्थिति है जिसमें ग्रहों की स्थिति विवाह के लिए प्रतिकूल होती है और इससे वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ सकती हैं।

कभी-कभी, यह दोष केवल एक कारण नहीं होता, बल्कि कुछ अन्य ग्रहों के मिश्रण से भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि कुंडली में विधवा या विधुर होने के संकेत, जो कई बार भ्रमित कर सकते हैं। कुछ लोग इस अंधविश्वास को मानते हैं कि मांगलिक दुल्हन अपने पति की जल्दी मृत्यु का कारण बन सकती है।

इस समस्या से बचने के लिए, दुल्हन को एक पेड़ (जैसे केले या पीपल का पेड़), एक जानवर, या किसी निर्जीव वस्तु से विवाह कराया जाता है। इस शादी की रस्मों में अलग-अलग नामों का इस्तेमाल किया जाता है, जो इस अनुष्ठान में प्रयुक्त “दूल्हे” के प्रकार पर निर्भर करते हैं। इस तरह से कुंभ विवाह को मांगलिक दोष से निवारण के उपाय के रूप में किया जाता है।

इस लेख में विस्तार से जानिए:

  • कुंभ विवाह क्या है?
  • कुंभ विवाह कैसे होता है?
  • कुंभ विवाह पद्धति।
  • कुंभ विवाह के फायदे।
  • कुंभ विवाह के दुष्प्रभाव।
  • 2025 में कुंभ विवाह के शुभ मुहूर्त।

कुंभ विवाह क्या है? (What is Kumbh Vivah?)

कुंभ विवाह (Kumbh Vivah) एक प्राचीन हिंदू अनुष्ठान है, जिसका मुख्य उद्देश्य कुंडली में मौजूद मांगलिक दोष (Manglik Dosh) को शांत करना और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाना है। इसे ज्योतिषीय उपाय के रूप में देखा जाता है, जिसमें मांगलिक दोष से प्रभावित व्यक्ति का प्रतीकात्मक विवाह एक निर्जीव वस्तु या प्रकृति के तत्वों (जैसे पेड़ या घड़ा) के साथ किया जाता है।

ज्योतिष के अनुसार, मांगलिक दोष से पीड़ित व्यक्ति का विवाह होने पर उनके जीवनसाथी को शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुंभ विवाह इन नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने के लिए किया जाता है।

यह अनुष्ठान इस विश्वास पर आधारित है कि पहली शादी नकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर देती है। इसका उद्देश्य यह है कि पहली शादी के बाद व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाले वैवाहिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाए, और वह बाद में एक सुखी और समृद्ध दांपत्य जीवन जी सके।

मंगलिक दोष क्या है? (What is Manglik Dosh?)

मांगलिक दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली (Janam Kundali) में मंगल ग्रह (Mars)

  • प्रथम (1st), चतुर्थ (4th), सप्तम (7th), अष्टम (8th), या द्वादश (12th) भाव में स्थित हो।

मंगल ग्रह को उग्र और क्रोधी ग्रह माना जाता है, और इसकी स्थिति व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जैसे:

  • वैवाहिक जीवन में कलह।
  • जीवनसाथी की असमय मृत्यु।
  • मानसिक और शारीरिक समस्याएं।
  • वैवाहिक सुख में बाधा।

कुंभ विवाह इन प्रभावों को कम या समाप्त करने का एक ज्योतिषीय उपाय है।

मंगल दोष सिर्फ एक आध्यात्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक चिंता भी है। खासकर जब किसी की सगाई होती है, तो इस दोष को ध्यान में रखा जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के भविष्य के वैवाहिक जीवन को प्रभावित कर सकता है। समाज में इसके प्रभाव को लेकर भी लोग सावधान रहते हैं।

मांगलिक दोष के प्रकार:

  1. आशिक मांगलिक दोष:

यह दोष आमतौर पर 18 वर्ष की आयु के बाद समाप्त हो जाता है और ज्यादा गंभीर नहीं होता। लोग इसे शांत करने के लिए पूजा करते हैं, ताकि यह हमेशा के लिए खत्म हो जाए। इस दोष के कारण होने वाली समस्याएं अधिक गंभीर नहीं होतीं, लेकिन फिर भी लोग इसे हल करने के लिए कुछ धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। आशिक मांगलिक दोष के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • शादी के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं।
  • दूल्हा और दुल्हन के बीच छोटी-छोटी नोकझोंक।
  • बच्चों की प्रसव संबंधी समस्याएं।
  • परिवार में तनाव और विवाद।
  1. मुख्य मांगलिक दोष:

यह दोष काफी गंभीर होता है और दांपत्य जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यदि किसी व्यक्ति के साथ यह दोष है और वह किसी अन्य व्यक्ति से विवाह करता है, तो इसका असर दूसरे व्यक्ति के जीवन पर भी पड़ सकता है। मुख्य मांगलिक दोष को समाप्त करने का उपाय (Remedy for Manglik Dosh)  कुंभ विवाह है। यह अनुष्ठान इस दोष को समाप्त करने में मदद करता है और दंपत्ति को जीवन में सफलता और सुख प्रदान करता है। मुख्य मांगलिक दोष के उदाहरणों में निम्नलिखित स्थितियां हो सकती हैं:

  • शादी के बाद संबंधों में गहरी समस्याएं
  • पति या पत्नी में से किसी की मृत्यु
  • गंभीर दुर्घटना या घटनाएं
  • गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं

कुंभ विवाह को कौन करवा सकता है? (Who can Perform Kumbh Marriage?)

कुंभ विवाह, मांगलिक दोष या मांगलिक योग से जुड़ा हुआ एक वैदिक अनुष्ठान है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8, या 12 भावों में स्थित होता है, तो इसे मांगलिक दोष माना जाता है। इस स्थिति में, विशेष रूप से सप्तम भाव (जो विवाह और जीवनसाथी का घर है) में मंगल का प्रभाव पड़ता है, जो वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सप्तम भाव में मंगल का प्रभाव दांपत्य जीवन को कठिन बना सकता है, और यह किसी अजीब स्थिति की तरह नहीं होता। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 40% कुंडलियों में यह मांगलिक योग पाया जाता है। हालांकि, कुंडली का गहन अध्ययन करने के बाद ही इस योग के नकारात्मक प्रभाव का सही मूल्यांकन किया जा सकता है।

सामान्यतः, केवल 10% से 12% लोग ही मंगल के प्रतिकूल प्रभाव से प्रभावित होते हैं। ऐसे लोग, जिनकी कुंडली में मंगल का नकारात्मक प्रभाव हो, वे कुंभ विवाह को इस उद्देश्य से करवा सकते हैं कि वे अपने वैवाहिक जीवन में तलाक या अन्य समस्याओं से बच सकें और एक सुखी दांपत्य जीवन जी सकें।

कुंभ विवाह की आवश्यकता कब पड़ती है? (When is Kumbh Marriage Required?)

कुंभ विवाह की आवश्यकता तब पड़ती है जब ज्योतिषियों के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में तलाक या दो विवाह की संभावना दिखाई देती है। इस स्थिति में, ज्योतिषी एक बेहद उचित और न्यायसंगत उपाय बताते हैं: पहली शादी को एक पानी के बर्तन (कुंभ) के साथ करना।

इसका तर्क यह है कि यदि किसी की पहली शादी टूटने वाली है और उसे समाप्त करना है, तो कुंभ (पानी का घड़ा) से शादी करके इस संबंध को खत्म कर दिया जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति ने अपनी पहली शादी को समाप्त कर दिया और इस प्रकार उसके जीवन में दूसरी शादी का योग समाप्त हो जाता है। इस तरह, कुंभ विवाह का उद्देश्य किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाले दूसरे विवाह के योग को रद्द करना होता है।

कुंभ विवाह सामग्री लिस्ट (Kumbh Vivah Samagri)

कुंभ विवाह के लिए उपयोग की जाने वाली कुंभ विवाह पूजन सामग्री इस अनुष्ठान को पवित्र और सफल बनाती है।

मुख्य सामग्री:

  1. मिट्टी या तांबे का कलश।
  2. नारियल।
  3. लाल कपड़ा।
  4. फूलों की माला।
  5. सिंदूर और हल्दी।
  6. पंचामृत।
  7. दीपक और कपूर।
  8. घी और धूपबत्ती।
  9. पान, सुपारी, और मिठाई।
  10. मंगलसूत्र।

कुंभ विवाह पद्धति / कुंभ विवाह कैसे किया जाता है? (How is Kumbh Vivah Performed?)

कुंभ विवाह एक पारंपरिक प्रक्रिया है, जिसे धार्मिक अनुष्ठानों के तहत संपन्न किया जाता है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:

1. वस्तु का चयन (Choosing the Object)

मंगलिक दोष से पीड़ित व्यक्ति का विवाह निम्नलिखित में से किसी एक से कराया जाता है:

  • मिट्टी का घड़ा (Kalash)
  • पीपल का पेड़
  • केले का पेड़
  • देवी-देवता की मूर्ति

2. विवाह अनुष्ठान (Wedding Rituals)

  • कुंभ विवाह में विवाह की सभी पारंपरिक रस्में निभाई जाती हैं, जैसे:
    • वरमाला (Garlanding)
    • फेरे (Seven Rounds)
    • मंत्रोच्चार (Chanting of Mantras)
    • कंकण बंधन (Sacred Thread Ceremony)
  • यह विवाह उसी तरह किया जाता है जैसे सामान्य विवाह होता है। अंतर यह है कि यहां मंगलिक व्यक्ति का जीवनसाथी एक निर्जीव वस्तु या पेड़ होता है।

3. विसर्जन या त्याग (Disposal or Abandonment)

  • विवाह संपन्न होने के बाद उस प्रतीकात्मक वस्तु (जैसे घड़ा) को पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है या पेड़ को पूजा के बाद छोड़ दिया जाता है।
  • इस प्रक्रिया के साथ मंगलिक दोष समाप्त मान लिया जाता है।

4. मुख्य विवाह (Real Marriage)

  • कुंभ विवाह के बाद मंगलिक व्यक्ति वास्तविक जीवनसाथी से विवाह कर सकता है। इसे एक शुभ और दोष-मुक्त विवाह माना जाता है।
कुंभ विवाह का उद्देश्य मंगल दोष से प्रभावित व्यक्ति और एक बर्तन (कुंभ) के बीच एक प्रतीकात्मक विवाह करना है, जिसे बाद में पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को यह मान्यता दी जाती है कि यह मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करता है और व्यक्ति के जीवन में एक सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन की शुरुआत करता है।

कुंभ विवाह संकल्प (Kumbh Vivah Sankalp)

संकल्प कुंभ विवाह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भगवान और मंगल ग्रह को साक्षी मानकर लिया जाता है।

संकल्प विधि:

पंडित व्यक्ति से यह प्रतिज्ञा करवाता है:

“मैं, [व्यक्ति का नाम], अपने जीवन में मंगलीक दोष के अशुभ प्रभावों को समाप्त करने के लिए यह कुंभ विवाह कर रहा हूं। मेरी प्रार्थना है कि यह अनुष्ठान मेरे जीवन में सुख और शांति लाए।”

कुंभ विवाह मुहूर्त 2025 (Kumbh Vivah Muhurat 2025)

शुभ मुहूर्त का चयन कुंभ विवाह की सफलता में अहम भूमिका निभाता है। 2025 में कुंभ विवाह के लिए निम्नलिखित मुहूर्त शुभ माने गए हैं:

जनवरी 2025:

  • 15 जनवरी: मकर संक्रांति।
  • 23 जनवरी: बसंत पंचमी।

फरवरी 2025:

  • 11 फरवरी: महाशिवरात्रि।

अप्रैल 2025:

  • 13 अप्रैल: गुड़ी पड़वा।
  • 20 अप्रैल: राम नवमी।

मई 2025:

  • 15 मई: अक्षय तृतीया।

कुंभ विवाह कहां होता है? (Kumbh Vivah Kaha Hota Hai?)

कुंभ विवाह आमतौर पर धार्मिक स्थलों या मंदिरों में किया जाता है। प्रमुख स्थान:

  • वाराणसी
  • उज्जैन
  • हरिद्वार
  • पुष्कर
  • त्र्यंबकेश्वर

इन स्थानों पर पवित्र नदियों और धार्मिक वातावरण में कुंभ विवाह को संपन्न किया जाता है।

कुंभ विवाह के पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यता

हिंदू धर्म में मंगल ग्रह को उग्र और शक्ति का प्रतीक माना गया है। इसे शांत करने के लिए पूजा-पाठ और अनुष्ठानों का सहारा लिया जाता है।

  • कुंभ विवाह में मंगलिक व्यक्ति का विवाह पहले एक निर्जीव वस्तु से कराया जाता है। इसे प्रतीकात्मक विवाह कहा जाता है, जो मंगल ग्रह के क्रोध को शांत करता है।
  • धार्मिक मान्यता है कि यह प्रक्रिया मंगलिक दोष को खत्म कर देती है, जिससे व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।

कुंभ विवाह के फायदे (Kumbh Vivah Benefits in Hindi)

  1. मंगलिक दोष का निवारण
    • कुंभ विवाह करने के बाद मंगलिक दोष समाप्त माना जाता है।
  2. वैवाहिक जीवन में शांति
    • जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर और स्थिर रहते हैं।
  3. नकारात्मक प्रभावों का अंत
    • ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करता है।
  4. पारिवारिक समस्याओं का समाधान
    • कुंभ विवाह के बाद विवाह संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

कुंभ विवाह के नियम (Rules of Kumbh Vivah)

  1. कुंभ विवाह केवल मंगलिक दोष वाले व्यक्ति के लिए किया जाता है।
  2. यह ज्योतिषीय सलाह के आधार पर ही किया जाना चाहिए।
  3. विवाह के लिए उपयुक्त दिन और समय (मुहूर्त) निकाला जाना चाहिए।
  4. अनुष्ठान को सही तरीके से संपन्न करने के लिए योग्य पंडित की आवश्यकता होती है।

कुंभ विवाह के बाद क्या करना चाहिए? (What to Do After Kumbh Vivah?)

  • कुंभ विवाह के बाद मंगलिक दोष शांत माना जाता है।
  • व्यक्ति अपने वास्तविक जीवनसाथी से विवाह कर सकता है।
  • इसके बाद विशेष पूजा-पाठ कराना शुभ माना जाता है।

पुरुष के लिए अर्क विवाह (Kumbh Vivah for Male)

अर्क विवाह (Ark Vivah) एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो विशेष रूप से हिंदू धर्म में प्रचलित है। इसे “पानी विवाह” या “कुंभ विवाह” से भी जोड़ा जाता है। अर्क विवाह विशेष परिस्थितियों में किया जाता है, खासकर तब जब किसी पुरुष की पूर्व पत्नियों की मृत्यु हो चुकी हो। यह विवाह तब संपन्न होता है जब किसी विधुर ने 3 शादियां की हों और उनकी तीनों पत्नियों की मृत्यु हो चुकी हो, और अब वह व्यक्ति पुनर्विवाह करने के लिए तैयार हो।

अर्क विवाह की प्रक्रिया: अर्क विवाह का संबंध “अर्की” (मंदार के पेड़) से होता है, और इसे एक प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है। यह विवाह सामान्य तरीके से आयोजित किया जाता है, जहां पुरुष का विवाह तय दुल्हन के साथ होता है। इस विवाह के बाद संबंधित व्यक्ति अपने जीवनसाथी के साथ सुखपूर्वक जीवन जी सकता है।

अविवाहित पुरुष के लिए अर्क विवाह: यदि एक अविवाहित पुरुष की मृत्यु हो जाती है, तो उसे अंतिम संस्कार से पहले एक अर्क विवाह कराया जाता है। यह विवाह इसलिए किया जाता है ताकि उस पुरुष के परिवार को किसी भी तरह का दोष या नुकसान न पहुंचे। इसके बाद, उस व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार के अन्य सदस्य इस मृत्यु से प्रभावित नहीं होते।

ब्राह्मचारी के लिए अर्क विवाह: इसके अतिरिक्त, ब्राह्मचारी का विवाह भी उसी प्रकार से किया जाता है, ताकि परिवार में कोई दोष न हो और उसकी आत्मा को शांति मिले। ब्राह्मचर्य के कारण, परिवार को किसी प्रकार की समस्याओं या नुकसान का सामना नहीं करना पड़ता।

इस प्रकार, अर्क विवाह एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया है जो विशेष स्थिति में किया जाता है, जिससे व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और उसके परिवार को कोई दोष नहीं लगता।

कुंभ विवाह के दुष्प्रभाव (Kumbh Vivah ke Side Effects)

  1. धार्मिक त्रुटियां:

यदि कुंभ विवाह में कोई त्रुटि हो, तो इसका सकारात्मक प्रभाव नहीं दिखता।

  1. मानसिक असमंजस:

कई बार व्यक्ति इस अनुष्ठान को लेकर मानसिक तनाव और असुरक्षा महसूस कर सकता है।

  1. खर्च:

यह प्रक्रिया आर्थिक रूप से महंगी हो सकती है।

कुंभ विवाह के आयोजन में आने वाला खर्च (The Cost Of Organizing Kumbh Marriage)

कुंभ विवाह के आयोजन में आने वाला खर्च कई विभिन्न घटकों से जुड़ा होता है, जो कुल व्यय में योगदान करते हैं। इस अनुष्ठान को सही से आयोजित करने के लिए लागत का अनुमान लगाना जरूरी होता है। यहां एक साधारण तालिका दी गई है, जो पूजा समारोह से जुड़े मुख्य खर्चों का विवरण देती है:

वस्तु

अनुमानित लागत (INR)

पूजा सामग्री

1000 – 3000

पुजारी की दक्षिणा

2500 – 5000

स्थल व्यवस्था

3000 – 7000

भोजन और प्रसाद

2000 – 4000

मिश्रित खर्च

1000 – 2500

यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि यह लागत विभिन्न स्थानों, समारोह के आकार, और प्रतिभागियों की विशेष आवश्यकताओं के आधार पर बदल सकती है।

निष्कर्ष:

कुंभ विवाह (Kumbh Vivah Kaise Hota Hai) एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय उपाय है, जो मांगलिक दोष से राहत दिलाने और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने में सहायक माना जाता है। यह प्रक्रिया प्राचीन धार्मिक परंपराओं और ज्योतिषीय ज्ञान पर आधारित है। यदि आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है, तो योग्य पंडित और ज्योतिषी से परामर्श कर कुंभ विवाह कराना फायदेमंद हो सकता है।

Kumbh Vivah Kaise Hota Hai: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न: कुंभ विवाह किसका होता है? 

उत्तर: कुंभ विवाह आमतौर पर उस व्यक्ति का किया जाता है, जिसकी कुंडली में मंगल ग्रह का नकारात्मक प्रभाव हो, जिसे मांगलिक दोष कहते हैं। यह व्यक्ति अपने जीवन में वैवाहिक समस्याओं और तलाक के खतरे को टालने के लिए कुंभ विवाह करता है।

प्रश्न: कुंभ विवाह कब करना चाहिए? 

उत्तर: कुंभ विवाह तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष के कारण तलाक या दो विवाह होने की संभावना दिखती हो। यह एक प्रतीकात्मक विवाह होता है, जो मंगल के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न: हम कुंभ विवाह क्यों करते हैं? 

उत्तर: कुंभ विवाह का मुख्य उद्देश्य मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करना और जीवन में आने वाले वैवाहिक संकटों से बचना है। यह व्यक्ति को एक सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन की ओर मार्गदर्शन करता है।

प्रश्न: लड़के का कुंभ विवाह कैसे किया जाता है? 

उत्तर: लड़के का कुंभ विवाह एक बर्तन (कुंभ) के साथ किया जाता है, जिसे बाद में पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है। यह प्रतीकात्मक विवाह होता है, जो मंगल दोष के निवारण के लिए किया जाता है।

प्रश्न: क्या मांगलिक लड़का कुंभ विवाह कर सकता है?

उत्तर: हां, मांगलिक लड़का कुंभ विवाह कर सकता है। यह प्रक्रिया उसे मंगल दोष से छुटकारा दिलाने और उसके वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं से बचाने के लिए की जाती है।

प्रश्न: कुंभ विवाह में कितना खर्च आता है? 

उत्तर: कुंभ विवाह के आयोजन में खर्च विभिन्न घटकों पर निर्भर करता है, जैसे पूजा सामग्री, पुजारी की दक्षिणा, स्थल व्यवस्था, भोजन आदि। अनुमानित खर्च ₹10,000 से ₹20,000 तक हो सकता है।

प्रश्न: अगर लड़का मांगलिक हो तो क्या करना चाहिए? 

उत्तर: यदि लड़का मांगलिक है, तो उसे कुंभ विवाह का अनुष्ठान करना चाहिए ताकि मंगल दोष के प्रभावों को समाप्त किया जा सके और उसके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहे।

प्रश्न: क्या कुंभ लग्न विवाह के लिए अच्छा है? 

उत्तर: कुंभ लग्न के बारे में मान्यता है कि यह विवाह के लिए शुभ हो सकता है, खासकर तब जब मंगल दोष हो और उसे समाप्त करने के लिए कुंभ विवाह किया जाता हो।

प्रश्न: कुंभ विवाह कहां किया जाता है? 

उत्तर: कुंभ विवाह आमतौर पर मंदिरों या किसी पवित्र स्थान पर किया जाता है, जहां पूजा और अनुष्ठान विधिपूर्वक संपन्न किए जाते हैं।

प्रश्न: मंगल दोष कब कटता है? 

उत्तर: मंगल दोष तब कटता है जब कुंभ विवाह जैसी प्रक्रिया के माध्यम से मंगल के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त किया जाता है। इसके बाद व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।

प्रश्न: कुंभ विवाह करने से क्या होता है? 

उत्तर: कुंभ विवाह करने से मंगल दोष के नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं, और व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।

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