Importance of Saat Phere: हिंदू विवाह में सात फेरों का महत्व जानें। जानिए क्यों सात फेरे लिए जाते हैं, शादी के सात फेरे का मतलब, और शादी में कितने फेरे होते हैं। इस पवित्र अनुष्ठान की गहराई और महत्व को समझें।
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Importance of Saat Phere:
हिंदू विवाह एक महत्वपूर्ण और धार्मिक संस्कार है, जिसमें सात फेरे एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। “सप्तपदी” के रूप में जाने जाने वाले ये 7 फेरे (7 Phere) न केवल धार्मिक अनुष्ठान हैं, बल्कि यह प्राचीन परंपरा दूल्हा और दुल्हन के जीवन की नई शुरुआत को प्रतीकात्मक रूप से संवारती है, जहां वे अग्नि के चारों ओर सात बार घूमते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शादी में 7 फेरे क्यों लिए जाते हैं? और इसके पीछे की परंपराओं और मान्यताओं का क्या महत्व है?
शादी के सात फेरे का मतलब (Meaning of Saat Phere) केवल एक रिवाज नहीं है, बल्कि यह दूल्हा और दुल्हन के बीच के रिश्ते को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आधार प्रदान करता है। ये सात फेरे न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान हैं, बल्कि एक जीवन भर के संकल्प और वचन का भी प्रतीक हैं। इस लेख में, हम शादी में कितने फेरे होते हैं, शादी के फेरे कैसे होते हैं, और सात फेरे 7 वचन (7 Phere 7 Vachan) की गहराई से चर्चा करेंगे, जिससे आपको इस पवित्र परंपरा की वास्तविकता और महत्व को समझने में मदद मिलेगी।
शादी के फेरे कैसे होते हैं? (How are 7 Phere Performed?
अग्नि की साक्षी में वचन
हिंदू विवाह (Hindu Marriage) में अग्नि को साक्षी मानकर विवाह संपन्न किया जाता है। अग्नि को पवित्रता, सत्य और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। शादी में 7 फेरे लिए जाते हैं, जिसमें दूल्हा और दुल्हन अग्नि के चारों ओर सात बार घूमते हैं। यह प्रतीकात्मक है कि अग्नि की उपस्थिति में किए गए वादे अटूट और सच्चे होते हैं। शादी के फेरे कैसे होते हैं? इस प्रक्रिया में, दंपत्ति अपने जीवन के नए चरण की शुरुआत करते हुए एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने की प्रतिज्ञा करते हैं।
सात वचन (Saat Vachan)
सात फेरों के साथ-साथ, दूल्हा और दुल्हन 7 फेरे 7 वचन लेते हैं, जो उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन वचनों का उद्देश्य दंपत्ति को जीवन के हर क्षेत्र में एक-दूसरे का साथ देने और उनके रिश्ते को मजबूत बनाने का है।
- पहला फेरा: जीवन भर एक-दूसरे का सहयोग और पोषण करने का वचन।
- दूसरा फेरा: एक-दूसरे की जरूरतों का ध्यान रखने और परिवार की समृद्धि के लिए साथ काम करने का वचन।
- तीसरा फेरा: एक-दूसरे की भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक जरूरतों को समझने और पूरा करने का वचन।
- चौथा फेरा: एक-दूसरे का सम्मान करने और उनके व्यक्तित्व का समर्थन करने का वचन।
- पांचवा फेरा: एक-दूसरे के साथ जीवन की हर चुनौती का सामना करने और सुख-दुख में साथ निभाने का वचन।
- छठा फेरा: परिवार के सभी सदस्यों की खुशियों और सुख-शांति के लिए साथ काम करने का वचन।
- सातवां फेरा: जीवन भर सच्चे साथी बने रहने और रिश्ते में सच्चाई और निष्ठा का पालन करने का वचन।
सात जन्मों का बंधन
हिंदू धर्म में यह विश्वास किया जाता है कि विवाह केवल इस जन्म का नहीं, बल्कि सात जन्मों का बंधन होता है। शादी के सात फेरे का मतलब (7 Phere Meaning) है कि इन फेरों के माध्यम से दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे के साथ सात जन्मों तक बंधन में बंध जाते हैं। यह विश्वास दंपत्ति के रिश्ते को एक गहरा और आत्मिक स्तर प्रदान करता है, जिससे वे हर जन्म में एक-दूसरे के साथ रहने का संकल्प करते हैं।
सात ग्रहों का प्रतीक
शादी में कितने फेरे होते हैं? सात फेरे सात ग्रहों का भी प्रतीक होते हैं, जो हिंदू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। ये सात ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि हैं। यह माना जाता है कि इन ग्रहों की ऊर्जा और आशीर्वाद दंपत्ति के वैवाहिक जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाते हैं।
सात चरणों का महत्व
सात फेरे जीवन के सात महत्वपूर्ण चरणों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। ये चरण जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं, जिनमें:
- धर्म: धार्मिकता और नैतिकता का पालन।
- अर्थ: आर्थिक समृद्धि और स्थिरता।
- काम: इच्छाओं और संतोष की प्राप्ति।
- मोक्ष: आत्मज्ञान और मुक्ति की दिशा में अग्रसर होना।
- अन्न: जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति।
- संतान: संतानों का पालन-पोषण और उनका भविष्य संवारना।
- स्वास्थ्य: एक-दूसरे के स्वास्थ्य और कल्याण का ध्यान रखना।
शादी रात में क्यों होती है?
हिंदू धर्म में शादी रात में क्यों होती है इसका एक आध्यात्मिक कारण है। यह माना जाता है कि रात के समय वातावरण शांति और ऊर्जा से भरा होता है, जो विवाह के पवित्र अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा, रात का समय नवविवाहित जोड़े के लिए एक नई यात्रा की शुरुआत का प्रतीक होता है।
निष्कर्ष:
सात फेरे (Importance of Saat Phere) हिंदू विवाह (Hindu Wedding) का एक पवित्र और गहन अनुष्ठान हैं, जो दूल्हा और दुल्हन के जीवन में प्रेम, समर्पण और साझेदारी की भावना को मजबूत करते हैं। यह अनुष्ठान न केवल वैवाहिक जीवन की शुरुआत को दर्शाता है बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं और दंपत्ति के रिश्ते को भी सशक्त बनाता है। शादी के सात फेरे का मतलब और शादी में कितने फेरे होते हैं को समझकर हम इस प्राचीन परंपरा के महत्व को बेहतर तरीके से जान सकते हैं और इसे श्रद्धा और सम्मान के साथ निभा सकते हैं।
Importance of Saat Phere: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्र: लोग 7 की जगह 4 फेरे क्यों लेते हैं?
उत्तर: कुछ हिंदू समुदायों में केवल चार फेरों का प्रचलन है, जैसे कि ब्राह्मणों और अन्य विशिष्ट जातियों में। चार फेरे लेने का मतलब यह नहीं है कि विवाह अधूरा है, बल्कि यह उन समुदायों की पारंपरिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का हिस्सा है। चार फेरे भी विवाह के प्रमुख उद्देश्यों—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—के प्रतीक माने जाते हैं।
प्रश्र: शादी में 7 फेरे ही क्यों लिए जाते हैं, 5 या 9 क्यों नहीं? ये है इसका गणित
उत्तर: शादी में 7 फेरे ही क्यों लिए जाते हैं इसका एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कारण है। सात को हिंदू धर्म में एक पवित्र संख्या माना गया है, जो सात लोक, सात ऋषि, सात जन्म, सात ग्रह, और सात धातुओं का प्रतिनिधित्व करती है। पांच या नौ फेरे लेने का प्रचलन नहीं है क्योंकि सात फेरों का महत्व और संतुलन जीवन के विभिन्न पहलुओं का संतुलित प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्र: सात फेरों का मतलब क्या होता है?
उत्तर: सात फेरों का मतलब सात जन्मों तक एक साथ रहने की प्रतिज्ञा और जीवन के विभिन्न पहलुओं में एक-दूसरे का साथ देने का वचन होता है। ये सात फेरे विवाह के सात महत्वपूर्ण वचनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो दंपत्ति के जीवन में प्रेम, समर्पण, और समर्थन की भावना को सशक्त बनाते हैं।
प्रश्र: दूल्हा और दुल्हन 7 फेरे क्यों लेते हैं?
उत्तर: दूल्हा और दुल्हन 7 फेरे इस मान्यता के तहत लेते हैं कि वे अग्नि की साक्षी में जीवन भर के लिए एक-दूसरे के साथ रहेंगे। ये फेरे एक-दूसरे के प्रति अपनी निष्ठा और कर्तव्यों को निभाने का वचन होते हैं। प्रत्येक फेरा एक अलग प्रतिज्ञा का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैवाहिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को कवर करता है।
प्रश्र: 7 की जगह 4 फेरे क्यों?
उत्तर: कुछ समुदायों में चार फेरों का प्रचलन है, जो धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह प्रथा विभिन्न धर्मग्रंथों और परंपराओं पर आधारित होती है, जो कि उन समुदायों के धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुरूप है।
प्रश्र: सात फेरों का रहस्य क्या है?
उत्तर: सात फेरों का रहस्य उनके द्वारा की गई वाचाओं और जीवन के विभिन्न पहलुओं में एक-दूसरे के साथ खड़े रहने की प्रतिज्ञा में निहित है। ये फेरे एक गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं, जो दंपत्ति के जीवन को एक नई दिशा और गहराई प्रदान करते हैं।
प्रश्र: सात फेरों के सात वचन कौन-कौन से हैं?
उत्तर: सात फेरों के सात वचन निम्नलिखित हैं:
- पहला वचन: एक-दूसरे के जीवन में सुख-समृद्धि लाने का वचन।
- दूसरा वचन: एक-दूसरे की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति का वचन।
- तीसरा वचन: आध्यात्मिक और मानसिक समर्थन का वचन।
- चौथा वचन: अपने परिवारों का सम्मान करने का वचन।
- पांचवा वचन: विपत्तियों में एक-दूसरे का साथ देने का वचन।
- छठा वचन: परिवार की खुशियों और सुरक्षा का वचन।
- सातवां वचन: जीवन भर एक-दूसरे के प्रति निष्ठा और सच्चाई का वचन।
प्रश्र: हिन्दू विवाह में सिर्फ 7 फेरे ही क्यों?
उत्तर: हिन्दू विवाह में सिर्फ 7 फेरे लेने की परंपरा का एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। सात को हिंदू धर्म में पवित्र संख्या माना गया है, जो सात लोक, सात ऋषि, सात जन्म, सात ग्रह, और सात धातुओं का प्रतीक है। ये सात फेरे जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, संतति, सुख-समृद्धि और निष्ठा, का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा, यह विश्वास है कि सात फेरे दंपत्ति के बीच एक सात जन्मों का अटूट बंधन बनाते हैं।
प्रश्र: सात फेरे का मंत्र क्या है?
उत्तर: सात फेरे का मंत्र हर फेरे के साथ अलग होता है और इसमें दंपत्ति एक-दूसरे से विभिन्न वचनों का आदान-प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, पहले फेरे का मंत्र इस प्रकार हो सकता है:
“ओम ईश्वरा मम चित्तानि, मम मनो भवानि तु सखा सप्तपदी भव, सख्यात त्वा मा मृषयिष्यामि, सख्यान्मे मा मृष्याः।”
इस मंत्र का अर्थ है: “हे ईश्वर, हमें मित्रता के सात कदम चलने दें। मैं तुम्हें मित्र के रूप में स्वीकार करता हूँ।”
प्रश्र: वर कन्या से क्या वचन मांगता है?
उत्तर: वर कन्या से सात फेरों के दौरान कई वचन मांगता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़े होते हैं। इनमें प्रमुख वचन होते हैं:
- जीवन भर एक-दूसरे का सहयोग और पोषण।
- एक-दूसरे की भौतिक और मानसिक आवश्यकताओं का ध्यान रखना।
- आध्यात्मिक और भावनात्मक समर्थन देना।
- एक-दूसरे का सम्मान करना और उनके परिवार का आदर करना।
- जीवन की हर मुश्किल में एक-दूसरे का साथ देना।
- परिवार की खुशियों और संतानों की देखभाल करना।
- जीवन भर एक-दूसरे के प्रति वफादारी और सच्चाई का पालन करना।
प्रश्र: हिंदू धर्म में शादी में कितने फेरे होते हैं?
उत्तर: हिंदू धर्म में शादी में अधिकांशतः सात फेरे लिए जाते हैं। यह परंपरा अधिकांश हिंदू समुदायों में मान्य है, हालांकि कुछ विशेष समुदायों में चार फेरों का भी प्रचलन है।
प्रश्र: सात फेरों में कौन आगे रहता है?
उत्तर: सात फेरों में यह मान्यता है कि दूल्हा और दुल्हन दोनों बारी-बारी से आगे रहते हैं। पहले चार फेरों में दुल्हन आगे रहती है, जबकि अंतिम तीन फेरों में दूल्हा आगे रहता है। यह प्रतीकात्मक है कि जीवन के प्रारंभिक चरण में पत्नी का महत्व और जिम्मेदारी अधिक होती है, जबकि बाद के चरणों में पति का।
प्रश्र: 7 फेरे का अर्थ क्या है?
उत्तर: 7 फेरे का अर्थ दंपत्ति के जीवन में एक दूसरे के प्रति सात वचनों की पवित्र प्रतिज्ञा से है। यह सात फेरों का क्रम एक-दूसरे के प्रति वफादारी, समर्थन, सम्मान और सहयोग का वचन देता है। इन फेरों के माध्यम से दंपत्ति एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को जीवन भर निभाने की प्रतिज्ञा करते हैं। यह एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बंधन है, जो उन्हें सात जन्मों तक एक-दूसरे से जोड़े रखने का प्रतीक है।
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