First Sawan After Marriage: शादी के बाद पहला सावन क्यों होता है खास?

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First Sawan After Marriage

First Sawan After Marriage: शादी के बाद पहला सावन नवविवाहित जोड़ों के लिए खास क्यों होता है? जानें इस पावन महीने से जुड़ी परंपराएं, रस्में।

महिलाएं सावन में झूला क्यों झूलती हैं?

First Sawan After Marriage:

शादी के बाद पहला सावन भारतीय संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक समय होता है, जो नवविवाहित दंपत्ति के जीवन में नई खुशियों और जिम्मेदारियों की शुरुआत का प्रतीक है। सावन का महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी गहरा महत्व रखता है। सावन (Sawan) के इस पावन महीने में, जहां प्रकृति हरी-भरी हो जाती है, वहीं नवविवाहित जोड़ों के जीवन में भी प्रेम और सामंजस्य की नयी फुहारें आती हैं। 

इस समय को खास बनाने में कई परंपराएं और रस्में निभाई जाती हैं, जो न सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करती हैं, बल्कि सास-बहू के बीच भी नए संबंधों को स्थापित करने का अवसर प्रदान करती हैं। नई दुल्हन के लिए पहला सावन (First Sawan After Marriage) के लिए एक अनूठा अनुभव होता है, जहां वह अपने ससुराल और मायके दोनों जगहों की भावनाओं और परंपराओं से जुड़ती है। यह समय उसके लिए एक ऐसा पुल होता है, जो उसे उसकी नई और पुरानी जिंदगी के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है। 

ऐसे में, शादी के बाद पहला सावन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत का उत्सव होता है, जो नवविवाहित महिला के दिल और जीवन में खास जगह बना लेता है।

शादी के बाद पहले सावन में महिलाएं क्या करती हैं? (What Do Women Do In  First Sawan After Marriage?)

  • पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना

सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना का समय होता है। इस दौरान नवविवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं। इसे हरियाली तीज या सावन की तीज के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत का उद्देश्य पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को और भी मजबूत करना होता है।

  • सास-बहू के रिश्ते को मजबूत करने का समय

शादी के बाद पहला सावन नवविवाहित महिला के लिए अपने ससुराल में पहला त्योहार होता है। इस समय सास अपनी बहू को हरी चूड़ियाँ, मेंहदी, और हरे वस्त्र उपहार स्वरूप देती हैं, जो सावन के महीने का प्रतीक हैं। यह परंपरा सास-बहू के रिश्ते को मजबूत करने और बहू को परिवार का हिस्सा मानने का एक तरीका है।

  • नवविवाहित जोड़े के प्रेम का प्रतीक

सावन का महीना नवविवाहित दंपत्ति के लिए अपने रिश्ते को और भी गहरा बनाने का समय होता है। इस समय पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ अधिक समय बिताते हैं, जिससे उनका आपसी बंधन मजबूत होता है। यह समय उनके जीवन में प्रेम, समर्पण, और सामंजस्य का प्रतीक है।

  • मेहंदी और सजावट की परंपरा

सावन के दौरान मेहंदी लगाना और सजावट करना नवविवाहित महिलाओं के लिए एक खास परंपरा है। यह सुहाग का प्रतीक मानी जाती है और शादी के बाद पहले सावन में मेहंदी लगाना नवविवाहित महिला के लिए खुशी और उत्साह का समय होता है।

  • मायके की यादें और भावनाएं

शादी के बाद पहला सावन कई बार मायके में मनाने की परंपरा भी होती है। इस दौरान नवविवाहित महिला अपने मायके जाती है, जहां वह अपने बचपन की यादों को ताजा करती है और अपने परिवार के साथ समय बिताती है। यह समय उसे अपने दोनों परिवारों के साथ एक नई शुरुआत करने का अवसर प्रदान करता है।

सावन में क्या किया जाता है? (Tradition of Sawan)

  • शिव मंदिर जाना: सावन के महीने में शिव मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा करना।
  • व्रत रखना: सावन में कई तरह के व्रत रखे जाते हैं, जैसे कि सोमवारी व्रत, नाग पंचमी व्रत आदि।
  • गीत गाना: सावन के गीतों को गाना और सुनना।
  • मेहंदी लगाना: महिलाएं मेहंदी लगाती हैं।
  • पेड़-पौधों की पूजा: पेड़-पौधों की पूजा करना।

निष्कर्ष:

शादी के बाद पहला सावन (First Sawan After Marriage) नवविवाहित दंपत्ति के जीवन में एक विशेष महत्व रखता है। यह समय उनकी जिंदगी में नए अध्याय की शुरुआत करता है और उन्हें अपने रिश्तों को और भी मजबूत करने का अवसर देता है। सावन की रस्में (Sawan Rasm) और परंपराएं भारतीय संस्कृति की गहराई और खूबसूरती को दर्शाती हैं, जो हर नवविवाहित महिला के जीवन में खास यादें जोड़ देती हैं।

First Sawan After Marriage: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्र: शादी के बाद पहला सावन क्यों खास होता है?

उत्तर: शादी के बाद पहला सावन नवविवाहित दंपत्ति के लिए खास इसलिए होता है क्योंकि यह समय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा होता है। इस दौरान महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह समय नवविवाहित जोड़े के बीच प्रेम और सामंजस्य को और मजबूत करने का अवसर भी होता है।

प्रश्र: शादी के बाद पहले सावन में कौन-कौन सी रस्में होती हैं?

उत्तर: पहले सावन में नवविवाहित महिलाओं के लिए कई रस्में होती हैं, जैसे सास द्वारा बहू को हरी चूड़ियाँ और हरे वस्त्र उपहार में देना, मेंहदी लगाना, और हरियाली तीज के व्रत का पालन करना। इसके अलावा, महिलाएं अपने मायके भी जा सकती हैं और वहां अपने परिवार के साथ समय बिता सकती हैं।

प्रश्र: पहले सावन में नवविवाहित महिलाओं के लिए क्या उपहार दिए जाते हैं? 

उत्तर: पहले सावन में नवविवाहित महिलाओं को सास या परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा हरी चूड़ियाँ, मेंहदी, हरे रंग के कपड़े, पारंपरिक आभूषण, और मिठाइयाँ उपहार में दी जाती हैं। यह उपहार सावन के महीने का प्रतीक होते हैं और इन्हें सौभाग्यशाली माना जाता है।

प्रश्र: सावन के व्रत का नवविवाहितों के जीवन में क्या महत्व है?

उत्तर: सावन के व्रत का नवविवाहितों के जीवन में विशेष महत्व है, क्योंकि यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है। महिलाएं इस व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र और सुखद जीवन की प्रार्थना करती हैं। यह व्रत उनके प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है।

प्रश्र: नवविवाहित महिलाएं पहले सावन में क्या करती हैं?

उत्तर: नवविवाहित महिलाएं पहले सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, व्रत रखती हैं, और पारंपरिक तौर पर सजती-संवरती हैं। वे मेंहदी लगाती हैं, हरी चूड़ियाँ पहनती हैं, और परिवार के साथ इस खास समय का आनंद लेती हैं। कुछ महिलाएं अपने मायके जाकर वहां भी इस त्योहार को मनाती हैं।

प्रश्र: सावन के महीने में नवविवाहित महिलाओं के लिए कौन-कौन से पारंपरिक आभूषण पहने जाते हैं?

उत्तर: सावन के महीने में नवविवाहित महिलाएं हरी चूड़ियाँ, मेंहदी, नथ, बिंदी, और पारंपरिक आभूषण पहनती हैं। यह आभूषण न केवल उनकी सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक भी होते हैं।

प्रश्र: शादी के बाद सावन में कौन-कौन से व्रत रखे जाते हैं?

उत्तर: शादी के बाद सावन में नवविवाहित महिलाएं हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। इसके अलावा, सावन सोमवार का व्रत भी प्रमुख होता है, जिसमें महिलाएं भगवान शिव की पूजा कर अपने पति और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

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