Bidaai Rasam: विदाई के समय दुल्हन चावल फेंकने की रस्म क्यों करती है?

0
217
Bidaai Rasam

Bidaai Rasam: विदाई के समय दुल्हन चावल क्यों फेंकती है? इस सवाल का जवाब हिंदू धर्म की मान्यताओं में मिलता है। चावल को सुख-समृद्धि, बुरी नजर से बचाव और मायके का आभार व्यक्त करने का प्रतीक माना जाता है।

पीठ पर मेहंदी के डिज़ाइन प्लेन ब्लाउज़ को देंगे स्टाइलिश लुक

Bidaai Rasam:

हिंदू धर्म में शादी (Hindu Marriage) एक महत्वपूर्ण संस्कार है। शादी के दौरान कई रस्में होती हैं, जिनमें से एक है विदाई की रस्म (Bidaai Rasam)। विदाई (Bidaai) की रस्म के दौरान दुल्हन अपने मायके को छोड़कर ससुराल जाती है। इस रस्म के दौरान दुल्हन एक महत्वपूर्ण रस्म करती है, वह चावल फेंकती है।

विदाई के समय दुल्हन चावल फेंकने की रस्म क्यों की जाती है? (Why Is The Ritual Of Throwing Rice To The Bride Performed At The Time Of Bidaai?)

  • सुख-समृद्धि की कामना

चावल को हिंदू धर्म में अन्नपूर्णा देवी का प्रतीक माना जाता है। अन्नपूर्णा देवी को अन्न की देवी कहा जाता है। इसलिए, चावल को फेंकने का मतलब है कि दुल्हन अपने मायके वालों के लिए सुख-समृद्धि और समृद्धि की कामना करती है।

चावल को हिंदू धर्म में कई अन्य तरीकों से भी सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। उदाहरण के लिए, शादी के दौरान दुल्हन को चावल से भरा थाल भेंट किया जाता है। यह थाल दुल्हन के लिए सुख-समृद्धि और समृद्धि का प्रतीक होता है।

  • बुरी नजर से बचाव

चावल को हिंदू धर्म में बुरी नजर से बचाने का भी प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि दुल्हन के मायके वालों को बुरी नजर ना लगे, इसलिए दुल्हन अपने मायके को छोड़ने से पहले चावल फेंकती है। ऐसा माना जाता है कि चावल बुरी नजर को दूर भगाता है।

बुरी नजर से बचाव (Protection From Evil Eye) के लिए चावल का उपयोग करने की मान्यता प्राचीन काल से ही है। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा के दौरान चावल का उपयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि चावल देवी दुर्गा की बुरी नजर से बचाता है।

  • मायके का आभार

दुल्हन द्वारा चावल फेंकने को मायके वालों के प्रति आभार व्यक्त करने का भी एक तरीका माना जाता है। दुल्हन अपने मायके वालों को धन्यवाद देती है कि उन्होंने उसे अच्छी तरह से पाला-पोसा और उसे एक अच्छी शादी दी। चावल फेंकने से दुल्हन अपने मायके वालों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती है।

मायके का आभार व्यक्त करने के लिए चावल का उपयोग करने की मान्यता भी प्राचीन काल से ही है। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में तीज के त्योहार के दौरान माता पार्वती की पूजा के दौरान चावल का उपयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि चावल माता पार्वती के प्रति आभार व्यक्त करता है।

  • विदाई के समय की रस्म

विदाई के समय दुल्हन चावल फेंकने की रस्म को करने का तरीका यह है कि दुल्हन को एक थाली में चावल लेकर अपने सिर के ऊपर से पीछे की ओर फेंकना होता है। ऐसा पांच बार करना होता है। इस रस्म के दौरान दुल्हन को पीछे नहीं देखना चाहिए।

इस रस्म को करने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि दुल्हन के मायके वाले पीछे देखकर रुक जाते हैं, जिससे दुल्हन का डोला निकल जाता है।

यह रस्म करने के बाद दुल्हन का डोला ससुराल के लिए रवाना हो जाता है। यह रस्म दुल्हन के लिए अपने मायके से बिछड़ने का और अपने नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक होता है।

  • भावुक पल

विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म एक भावुक पल होता है। यह पल दुल्हन और उसके परिवार के लिए हमेशा यादगार रहता है। यह पल दुल्हन के लिए अपने मायके से बिछड़ने का और अपने नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक होता है।

इस पल में दुल्हन अपने मायके वालों से बिछड़ने के लिए भावुक हो जाती है। वह अपने मायके वालों को धन्यवाद देती है और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती है।

बिदाई में चावल फेंकने की रस्म कैसे होती है? (How Is The Ritual Of Throwing Rice In Bidaai?)

बिदाई में चावल फेंकने की रस्म हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह रस्म दुल्हन के मायके और ससुराल दोनों के लिए शुभता लाती है।

विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म निम्नलिखित प्रकार से की जाती है:

  • विदाई के समय दुल्हन अपने घर से बाहर निकलने लगती है।
  • उसकी बहन, सहेली या कोई महिला चावल की थाली अपने हाथों में लेकर उसके पास खड़ी हो जाती है।
  • दुल्हन अपनी मुठ्ठी में चावल भरकर पीछे की ओर फेंकती है।
  • ऐसा 5 बार करना होता है।

चावल ही क्यों फेंके जाते हैं? (Why is Only Rice Thrown Away?)

चावल को हिंदू धर्म में शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चावल एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है जो भारत में सदियों से खाया जाता रहा है। चावल को समृद्धि और धन-धान्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसलिए, जब दुल्हन अपने मायके को छोड़कर ससुराल जाती है, तो वह अपने पीछे चावल फेंककर अपने मायके के लिए सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कामना करती है।

चावल को बुरी नजर से बचाने का भी एक साधन माना जाता है। बुरी नजर एक ऐसा विश्वास है कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अपनी बुरी नजर से नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, जब दुल्हन अपने मायके से ससुराल जाती है, तो उसके परिवारवालों को बुरी नजर से बचाने के लिए वह अपने पीछे चावल फेंकती है। चावल को बुरी नजर से बचाने का एक शक्तिशाली साधन माना जाता है।

इसके अलावा, चावल को एक पवित्र पदार्थ भी माना जाता है। चावल का उपयोग हिंदू धर्म में कई धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों में किया जाता है। इसलिए, विदाई के समय चावल फेंकने की रस्म एक शुभ और पवित्र रस्म मानी जाती है।

चावल फेंकने की रस्म हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण रस्म है जो दुल्हन, उसके परिवार और ससुराल दोनों के लिए शुभता लाती है। यह रस्म दुल्हन के मायके और ससुराल दोनों के बीच रिश्ते को मजबूत करती है।

चावल फेंकने की रस्म का महत्व Importance Of Rice Throwing Ritual)

चावल फेंकने की रस्म का महत्व निम्नलिखित है:

  • यह रस्म दुल्हन, उसके परिवार और ससुराल दोनों के लिए शुभता लाती है।
  • यह रस्म दुल्हन के मायके और ससुराल दोनों के बीच रिश्ते को मजबूत करती है।
  • यह रस्म दुल्हन के परिवारवालों के प्रति दुल्हन के आभार व्यक्त करती है।

बिदाई में चावल फेंकने की परंपरा कहा से आई (Where Did The Tradition Of Throwing Rice At Parting Come From?)

चावल फेंकने की परंपरा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह रस्म दुल्हन, उसके परिवार और ससुराल दोनों के लिए शुभता लाती है। यह रस्म दुल्हन के मायके और ससुराल दोनों के बीच रिश्ते को मजबूत करती है।

चावल फेंकने की परंपरा का विकास कैसे हुआ, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि, यह माना जाता है कि यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह परंपरा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से की जाती है। कुछ क्षेत्रों में दुल्हन को चावल को अपने सिर के ऊपर से पीछे की ओर फेंकना होता है। कुछ क्षेत्रों में दुल्हन को चावल को अपने दाएं हाथ से पीछे की ओर फेंकना होता है।

निष्कर्ष:

विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म (Bidaai Rasam) एक महत्वपूर्ण रस्म है। यह रस्म दुल्हन के मायके वालों के लिए सुख-समृद्धि, बुरी नजर से बचाव और मायके का आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। यह रस्म दुल्हन और उसके परिवार के लिए हमेशा यादगार रहता है।

Bidaai Rasam: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्र: बिदाई के दौरान लड़कियां चावल क्यों फेंकती हैं?

उत्तर: बिदाई के दौरान लड़कियां चावल फेंकने के पीछे कई मान्यताएं हैं।

  • एक मान्यता के अनुसार, चावल को सुख-समृद्धि और धन-धान्य का प्रतीक माना जाता है। 
  • दूसरी मान्यता के अनुसार, चावल को बुरी नजर से बचाने का भी एक साधन माना जाता है। 
  • तीसरी मान्यता के अनुसार, यह रस्म दुल्हन के अपने परिवार के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है। 

प्रश्र: शादी में चावल फेंकने की परंपरा कहां से आती है?

उत्तर: शादी में चावल फेंकने की परंपरा का सटीक पता लगाना मुश्किल है, लेकिन यह माना जाता है कि यह परंपरा सदियों पुरानी है। 

प्रश्र: क्या शादी में चावल फेंकना चाहिए?

उत्तर: यह एक व्यक्तिगत निर्णय है कि शादी में चावल फेंका जाए या नहीं। कुछ लोग मानते हैं कि यह एक शुभ परंपरा है जो दुल्हन, उसके परिवार और ससुराल दोनों के लिए शुभता लाती है। कुछ लोग मानते हैं कि यह परंपरा अब पुरानी हो गई है और इसे बंद कर देना चाहिए।

प्रश्र: चावल फेंकने का क्या अर्थ है?

उत्तर: चावल फेंकने का अर्थ है दुल्हन के मायके के लिए सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कामना करना। यह चावल को बुरी नजर से बचाने का भी एक तरीका है। इसके अतिरिक्त, यह रस्म दुल्हन के अपने परिवार के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है।

प्रश्र: चावल किसका प्रतीक है?

उत्तर: चावल को सुख-समृद्धि और धन-धान्य का प्रतीक माना जाता है। यह एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है जो भारत में सदियों से खाया जाता रहा है। चावल को समृद्धि और धन-धान्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसलिए, जब दुल्हन अपने मायके को छोड़कर ससुराल जाती है, तो वह अपने पीछे चावल फेंककर अपने मायके के लिए सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कामना करती है।

भारत में मुसलमान ज्यादा है या हिंदू?

 

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें