Bangles for Women: शादी के बाद चूड़ियां पहनना क्यों जरूरी है? जाने वैज्ञानिक कारण!

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Bangles for Women

Bangles for Women: क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ सौंदर्य के अलावा, चूड़ियों को पहनने के पीछे क्या वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व छिपा होता है? इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि शादी के बाद महिलाएं चूड़ियां क्यों पहनती हैं, और इनके पहनने से क्या-क्या फायदे होते हैं?

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Bangles for Women:

भारतीय संस्कृति में चूड़ियों का विशेष स्थान है। सदियों से, ये स्त्रीत्व, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक रही हैं। शादी के बाद महिलाएं अपने हाथों में सजी चूड़ियां (Bangles) सिर्फ एक आभूषण नहीं होतीं, बल्कि इनके पीछे सदियों पुरानी परंपराएं, धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक पहलू भी छिपे होते हैं।

आज के आधुनिक समय में भी चूड़ियों का महत्व (Importance of Bangles) कम नहीं हुआ है। पारंपरिक रूप से पहनी जाने वाली भारी चूड़ियों के साथ-साथ अब हल्की और फैशनेबल चूड़ियां (Chudiyan) भी काफी लोकप्रिय हो गई हैं। महिलाएं अपनी पसंद और अवसर के अनुसार चूड़ियां चुन सकती हैं, जो उनके व्यक्तित्व और स्टाइल को दर्शाती हैं।

इस लेख में, हम चूड़ियों के धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व का गहन विश्लेषण करेंगे। साथ ही, हम चूड़ियों से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों और इन्हें बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स भी जानेंगे। 

Bangles for Women

शादीशुदा महिलाएं क्यों पहनती हैं चूड़ियां? (Why Do Married Women Wear Bangles?)

शादी के बाद महिलाओं के हाथों में सजी चूड़ियां सिर्फ एक आभूषण नहीं होतीं, बल्कि इनके पीछे सदियों पुरानी परंपराएं, धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक पहलू भी छिपे होते हैं।

चूड़ियां पहनने का धार्मिक कारण:

हिंदू धर्म में, चूड़ियों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इनके धार्मिक महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • पति की दीर्घायु:
    • चूड़ियां को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चूड़ियां पहनने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
    • पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान उन्होंने कांच की चूड़ियां पहनी थीं। जब भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने माता पार्वती को पत्नी स्वीकार किया, तब से विवाहित महिलाओं के लिए चूड़ियां पहनना मंगलकारी माना जाने लगा।
  • देवी लक्ष्मी और पार्वती का प्रतीक:
    • चूड़ियां को देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती का प्रतीक भी माना जाता है। इन देवीयों को सुहाग और समृद्धि की देवी माना जाता है, इसलिए इनकी तरह चूड़ियां भी सुहाग और समृद्धि का प्रतीक बन गई हैं।
    • देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। चूड़ियों में कांच का प्रयोग होता है, और कांच को देवी लक्ष्मी का प्रिय माना जाता है। इसलिए, महिलाएं चूड़ियां पहनकर देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहती हैं।
    • देवी पार्वती को शक्ति और सौभाग्य की देवी माना जाता है। चूड़ियां स्त्रीत्व और सौंदर्य का प्रतीक हैं, इसलिए महिलाएं देवी पार्वती का अनुकरण करते हुए चूड़ियां पहनती हैं।
  • सोलाह श्रृंगार का हिस्सा:
    • चूड़ियां सोलह श्रृंगार का भी हिस्सा हैं, जो एक विवाहित महिला के लिए सोलह आवश्यक श्रृंगार वस्तुओं का समूह है।
    • सोलह श्रृंगार में सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, मांग टीका, कानबाली, हार, नथ, हाथों में मेहंदी, बिछिया, पायल, कमरबंद, आँखों में काजल, सिंदूर, और चूड़ियां शामिल हैं।
    • माना जाता है कि सोलह श्रृंगार करने से विवाहित महिलाएं अपने पति को आकर्षित करती हैं और उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

चूड़ियां पहनने का सांस्कृतिक महत्व:

भारतीय संस्कृति में चूड़ियों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इनके सांस्कृतिक महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

    • पहचान का प्रतीक:
      • चूड़ियां विवाहित महिलाओं की पहचान का प्रतीक भी हैं। शादी के बाद महिलाएं चूड़ियां पहनकर अपनी वैवाहिक स्थिति का प्रदर्शन करती हैं।
      • विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में चूड़ियों के रंग, डिजाइन और संख्या भिन्न हो सकते हैं, जो महिलाओं की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं।
    • सौभाग्य का प्रतीक:
      • चूड़ियां को सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चूड़ियां पहनने से महिलाओं पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उन्हें सुख समृद्धि देती हैं।
  • रंगों का महत्व:
  • शादी के बाद महिलाएं आमतौर पर लाल चूड़ियां (Red Bangles) पहनती हैं। लाल रंग को शुभ और मंगल माना जाता है, इसलिए यह सुहाग का प्रतीक बन गया है।
  • समय के साथ, महिलाएं हरी, पीली, और सफेद रंग की चूड़ियां भी पहनने लगी हैं। इन रंगों का भी अपना अलग-अलग महत्व होता है:
    • हरा रंग – प्रकृति और सौभाग्य का प्रतीक
    • पीला रंग – खुशी और समृद्धि का प्रतीक
    • सफेद रंग – पवित्रता और नई शुरुआत का प्रतीक

चूड़ियां पहनने का वैज्ञानिक महत्व:

चूड़ियां पहनने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी माने जाते हैं:

  • रक्त संचार:
    • ऐसा माना जाता है कि चूड़ियां पहनने से कलाईयों के आसपास रक्त संचार बेहतर होता है। चूड़ियों की लगातार गति से कोमल मालिश जैसा प्रभाव पैदा होता है, जो रक्त संचार को बढ़ावा दे सकता है।
  • हड्डियों की मजबूती:
    • चूड़ियां कलाईयों को सहारा देती हैं और उन्हें चोटों से बचाती हैं। चूड़ियों का हल्का वजन और गतिविधियों के दौरान होने वाली खनक हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकती है।
  • तनाव कम होना:
    • चूड़ियों की आवाज कुछ लोगों को सुखदायक लगती है। चूड़ियों की हल्की खनक मन को शांत करने और तनाव कम करने में मदद कर सकती है।

चूड़ियां पहनने की विधि (Method Of Wearing Bangles)

चूड़ियां पहनना भारतीय महिलाओं के श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, विशेष रूप से शादी के बाद। चूड़ियों को सही तरीके से पहनने से न केवल वे सुंदर दिखती हैं, बल्कि उनका पहनावा भी संपूर्ण लगता है। यहाँ चूड़ियां पहनने की विधि को विस्तार से बताया गया है:

  1. सही चूड़ियों का चयन

– सामग्री: चूड़ियां कांच, धातु, लकड़ी या प्लास्टिक की हो सकती हैं। अपनी सुविधा और अवसर के अनुसार सही सामग्री का चयन करें।

– रंग: शादीशुदा महिलाओं के लिए लाल, हरा, सुनहरा जैसे शुभ रंगों का चयन करना अच्छा माना जाता है।

– आकार: अपनी कलाई के आकार के अनुसार चूड़ियों का चयन करें ताकि वे आसानी से पहन सकें और आरामदायक हों।

  1. चूड़ियां पहनने से पहले तैयारी

– हाथों की सफाई: चूड़ियां पहनने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें और सूखा लें।

– लोशन या क्रीम: अगर चूड़ियां पहनने में कठिनाई हो रही हो, तो अपने हाथों पर थोड़ा सा लोशन या क्रीम लगा सकती हैं। इससे चूड़ियां आसानी से फिसलेंगी।

  1. चूड़ियां पहनने की विधि

– क्रमबद्ध तरीके से: सबसे पहले पतली चूड़ियां पहनें, फिर मोटी और डिजाइनर चूड़ियां पहनें। अंत में फिर से पतली चूड़ियां पहनें ताकि वे बीच में अच्छी तरह से सजें।

– ध्यानपूर्वक पहनना: एक-एक करके चूड़ियां पहनें और इस दौरान धैर्य रखें। चूड़ियां पहनते समय अचानक जोर न लगाएं, इससे वे टूट सकती हैं।

– सहायता लें: यदि चूड़ियां पहनने में कठिनाई हो रही हो, तो किसी की सहायता लें। दो व्यक्तियों के प्रयास से चूड़ियां आसानी से पहनाई जा सकती हैं।

  1. विशेष अवसरों के लिए

– संख्यात्मक चयन: विशेष अवसरों के लिए, जैसे शादी, त्योहार या कोई धार्मिक अनुष्ठान, आप अधिक संख्या में चूड़ियां पहन सकती हैं। ध्यान रखें कि वे दिखने में सुंदर और सजावटी हों।

– मिश्रण और मिलान: आप विभिन्न रंगों और डिजाइनों की चूड़ियों का मिश्रण कर सकती हैं ताकि वे अधिक आकर्षक लगें।

  1. 5. देखभाल और रखरखाव

– सही से संग्रहण: चूड़ियों को पहनने के बाद उन्हें सही से रखें z वे टूटे या खरोंच न आएं। कांच xकी चूड़ियों को विशेष ध्यान से रखें।

– साफ-सफाई: नियमित अंतराल पर चूड़ियों की सफाई करें ताकि वे चमकदार और नए जैसे दिखें।

चूड़ियों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Some Interesting Facts Related To Bangles)

चूड़ियों का इतिहास (History of Bangles) काफी लंबा है और इनसे जुड़े कई रोचक तथ्य भी हैं, जिनके बारे में शायद आप न जानते हों। आइए, उनमें से कुछ रोचक तथ्यों को जानते हैं:

  • मोहनजोदड़ो से मिला प्रमाण: पुरातात्विक उत्खनन के दौरान मोहनजोदड़ो (लगभग 3300 ईसा पूर्व) में चूड़ियों के टुकड़े मिले हैं। इससे पता चलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान भी चूड़ियां पहनी जाती थीं।
  • विभिन्न सामग्रियों का उपयोग: प्राचीन समय में चूड़ियां घोंघे के खोल, पत्थर, हाथी दांत और लकड़ी जैसी प्राकृतिक सामग्रियों से बनाई जाती थीं। बाद में कांच, धातु और मिट्टी का भी उपयोग किया जाने लगा।
  • रानी का चूड़ा संग्रह: इतिहास में कई रानियों को उनके चूड़ा संग्रह के लिए जाना जाता था। मुगल काल में रानियों के लिए सोने और जवाहरातों से जड़ित चूड़ों का निर्माण किया जाता था।
  • विवाहित जीवन का प्रतीक: पारंपरिक रूप से, चूड़ियों की संख्या विवाहित जीवन के विभिन्न चरणों का प्रतीक मानी जाती थी। उदाहरण के लिए, कुछ समुदायों में महिलाएं शादी के शुरुआती वर्षों में अधिक चूड़ियां पहनती थीं और जैसे-जैसे समय बीतता जाता था, चूड़ियों की संख्या कम कर देती थीं।
  • विभिन्न ध्वनियां, विभिन्न अर्थ: माना जाता है कि चूड़ियों की ध्वनि भी अलग-अलग संदेश देती है। उदाहरण के लिए, चूड़ियों की तेज खनक को खुशी का संकेत माना जाता है, वहीं धीमी खनक को शांत और विनम्र स्वभाव का संकेत माना जाता है।

चूड़ियों को बनाए रखने के लिए टिप्स (Tips to Maintain Bangles)

चूड़ियां खूबसूरत तो लगती हैं, लेकिन इन्हें बनाए रखना भी जरूरी होता है। आइए, चूड़ियों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए कुछ आसान टिप्स जानते हैं:

  • रसायनों से बचें: चूड़ियों को इत्र, साबुन और अन्य रसायनों के संपर्क में आने से बचाएं। ये रसायन चूड़ियों की चमक को कम कर सकते हैं।
  • सुरक्षित रखें: चूड़ियों को संभालते समय सावधानी बरतें। इन्हें गिरने या टकराने से बचाएं, जिससे टूट-फूट हो सकती है।
  • सूखे कपड़े से साफ करें: चूड़ियों को गीले होने से बचाएं और इन्हें साफ करने के लिए सूखे और मुलायम कपड़े का इस्तेमाल करें।
  • अलग-अलग डिब्बों में रखें: चूड़ियों को अलग-अलग डिब्बों या बॉक्स में रखें, जिससे ये आपस में खरोंचे नहीं खाएंगी।

चूड़ियां भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं और उम्मीद है कि यह लेख आपको चूड़ियों के धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करने में सहायक रहा।

Green Bangles In Sawan

सावन में हरी चूड़ियां पहनने से क्या होता है? (Wearing Green Bangles In Sawan?)

सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस महीने में, विवाहित महिलाएं हरी चूड़ियां पहनती हैं, जो धार्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व रखती हैं।

हरी चूड़ी पहनने के फायदे (Benefits Of Green Bangles)

धार्मिक महत्व:

  • पार्वती का प्रतीक: हरा रंग प्रकृति, समृद्धि और नवीन जीवन का प्रतीक माना जाता है।
    • माता पार्वती को प्रकृति की देवी माना जाता है, इसलिए हरी चूड़ियां उनके प्रति श्रद्धा का प्रतीक हैं।
  • सौभाग्य का प्रतीक:
    • हरी चूड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं।
    • ऐसा माना जाता है कि इनसे विवाहित महिलाओं को पति का प्यार और लंबा जीवन मिलता है।
  • भगवान शिव का प्रसाद:
    • हरा रंग भगवान शिव का प्रिय रंग भी माना जाता है।
    • इसलिए, सावन में हरी चूड़ियां पहनकर महिलाएं भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करती हैं।

वैज्ञानिक महत्व:

  • रक्त संचार:
    • ऐसा माना जाता है कि चूड़ियां पहनने से कलाईयों के आसपास रक्त संचार बेहतर होता है।
    • हरी चूड़ियां कांच या प्लास्टिक से बनी होती हैं, जो हल्की होती हैं और कलाई पर गतिविधि के दौरान हल्की मालिश जैसा प्रभाव पैदा करती हैं।
  • तनाव कम होना:
    • चूड़ियों की आवाज कुछ लोगों को सुखदायक लगती है।
    • हरी चूड़ियों की हल्की खनक मन को शांत करने और तनाव कम करने में मदद कर सकती है।
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
    • हरा रंग आशा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
    • हरी चूड़ियां पहनने से महिलाओं को मानसिक रूप से सकारात्मक और उत्साहित महसूस करने में मदद मिल सकती है।

सांस्कृतिक महत्व:

  • परंपरा:
    • सदियों से, सावन में विवाहित महिलाएं हरी चूड़ियां पहनती रही हैं।
    • यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ि चली आ रही है और भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।
  • सामाजिक जुड़ाव:
    • हरी चूड़ियां पहनना महिलाओं को एक-दूसरे से जोड़ता है।
    • यह एक सामाजिक प्रथा है जो महिलाओं को एकजुट करती है और उन्हें एक समुदाय का हिस्सा महसूस कराती है।
  • सौंदर्य:
    • हरी चूड़ियां महिलाओं के हाथों को सुंदर बनाती हैं।
    • विभिन्न रंगों और डिजाइनों में उपलब्ध हरी चूड़ियां महिलाओं को अपनी पसंद के अनुसार चुनने की स्वतंत्रता देती हैं।

Red Bangle

लाल चूड़ी का महत्व (Significance of Red Bangle)

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

  • सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक: लाल रंग को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। विवाहित महिलाएं लाल चूड़ियां पहनकर अपने पति के सुख-सांमृद्धि की कामना करती हैं।
  • पारंपरिक प्रथा: लाल चूड़ियां पहनना भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए, लाल चूड़ियां उनके सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं।
  • शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक: लाल रंग को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। लाल चूड़ियां पहनने से महिलाओं को आत्मविश्वास और शक्ति मिल सकती है।

वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ:

  • रक्तचाप नियंत्रित करना: कुछ लोगों का मानना है कि लाल चूड़ियां पहनने से रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
  • ब्लड सर्कुलेशन: लाल चूड़ियां पहनने से कलाईयों में रक्त संचार बेहतर होता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: कुछ लोगों का मानना है कि लाल चूड़ियां नकारात्मक ऊर्जा से बचा सकती हैं।

चूड़ियों के टोटके (Tricks For Bangles)

चूड़ियां सदियों से भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। इनके धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व के अलावा, इनसे जुड़े कुछ रोचक टोटके भी प्रचलित हैं।

धन-समृद्धि के लिए:

  • गुरुवार को लाल चूड़ियां खरीदें और अपनी कलाई पर पहनें।
  • सफेद चावल में एक लाल चूड़ी छुपाकर मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
  • सोने या चांदी की चूड़ी में हरा मोती जड़वाकर पहनें।

सुख-शांति के लिए:

  • सभी शुभ कार्यों में हरी चूड़ियां पहनें।
  • पूजा करते समय चंदन या हल्दी से चूड़ियों पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
  • बुधवार को गणेश जी को पंचरंगी चूड़ियां अर्पित करें।

प्रेम और विवाह के लिए:

  • गुलाबी या लाल चूड़ियां पहनकर शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  • अपने होने वाले पति के नाम की चिट्ठी एक लाल चूड़ी में बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें।
  • सोमवार को शिव-पार्वती की पूजा में सफेद चूड़ियां अर्पित करें।

चूड़ियों का दान

  • शुक्रवार को चूड़ियों का दान: शुक्रवार के दिन कांच की चूड़ियों का दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  • सर्वोत्तम लाभ: चूड़ियों का दान गरीब महिलाओं को करें। इससे दानकर्ता को जीवन में खुशहाली और समृद्धि प्राप्त होती है।

सावधानियां:

  • टूटे हुए चूड़ों को कभी नहीं पहनना चाहिए।
  • किसी और की चूड़ियां पहनना अशुभ माना जाता है।
  • चूड़ियों को हमेशा स्वच्छ रखें और इन्हें सम्मान के साथ पहनें।

निष्कर्ष:

चूड़ियां (Bangles for Women) सिर्फ एक आभूषण नहीं हैं, बल्कि सदियों पुरानी परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक पहलुओं को समेटे हुए हैं। ये विवाहित महिलाओं के सौभाग्य, सुख-समृद्धि और स्त्रीत्व का प्रतीक हैं। चूड़ियां पहनने की परंपरा (Tradition of Wearing Bangles) हर क्षेत्र में थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन इसका सांस्कृतिक महत्व हर जगह समान है।

Bangles for Women: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्र: हमें चूड़ियां क्यों पहननी चाहिए वैज्ञानिक कारण?

उत्तर:  चूड़ियां पहनने से कलाई की नसों पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे रक्त संचार में सुधार होता है। चूड़ियों की खनक से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं, जिससे महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्र: महिलाएं चूड़ी क्यों पहनती हैं?

उत्तर: शादीशुदा महिलाओं के लिए चूड़ियां उनके सुहाग का प्रतीक होती हैं। चूड़ियां महिलाओं की सुंदरता और श्रृंगार को बढ़ाती हैं।

प्रश्र: एक हाथ में कितनी चूड़ियां पहननी चाहिए?

उत्तर: शादीशुदा महिलाओं को एक हाथ में 6, 8 12 या 24 चूड़ियां पहनने की सलाह दी जाती है। 

प्रश्र: चूड़ी किस दिन पहनना शुभ होता है?

उत्तर: 

– शुक्रवार: शुक्रवार का दिन चूड़ियां पहनने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और चूड़ियां पहनने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

– सावन के सोमवार: सावन के महीने में सोमवार को हरी चूड़ियां पहनना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

प्रश्र: चूड़ियां किस दिन खरीदनी चाहिए?

उत्तर: 

– अक्षय तृतीया: अक्षय तृतीया का दिन चूड़ियां खरीदने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन खरीदी गई वस्तुएं अक्षय फलदायी होती हैं।

– धनतेरस: धनतेरस के दिन चूड़ियां खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन धन-धान्य और समृद्धि का प्रतीक होता है।

– शुक्रवार: किसी भी शुक्रवार को चूड़ियां खरीदना शुभ होता है, विशेषकर अगर वे सोने या चांदी की हों।

प्रश्र: शादीशुदा औरत को कितनी चूड़ियां पहननी चाहिए?

उत्तर: शादीशुदा महिलाओं को दोनों हाथों में समान संख्या में चूड़ियां पहननी चाहिए। यह संतुलन और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। सामान्यतः महिलाओं को दोनों हाथ में 24 चूड़ियां पहननी चाहिए।

प्रश्र: शादी में काली चूड़ी क्यों पहनते हैं?

उत्तर:  काली चूड़ियां पहनना नजर दोष से बचाने के लिए माना जाता है। इसे बुरी नजर से बचाने के उपाय के रूप में देखा जाता है। कुछ समुदायों में, शादी के समय काली चूड़ियां पहनने का विशेष रिवाज होता है ताकि नवविवाहित जोड़े को नजर न लगे।

प्रश्र: प्रेगनेंसी में चूड़ियां क्यों पहनी जाती हैं?

उत्तर: प्रेगनेंसी में चूड़ियां पहनने के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हो सकते हैं:

  • गर्भवती महिलाओं के लिए चूड़ियां पहनना शुभ माना जाता है। यह उनके और उनके अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
  • चूड़ियों की खनक से गर्भवती महिला को मानसिक शांति और सुकून मिलता है। यह गर्भवती महिला के मन को शांत और प्रसन्न बनाए रखता है।
  • चूड़ियां पहनने से कलाई पर दबाव पड़ता है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है और तनाव कम होता है।

प्रश्र: कांच की चूड़ी किसका प्रतीक है?

उत्तर:  कांच की चूड़ियां शुद्धता और पारदर्शिता का प्रतीक मानी जाती हैं। इन्हें पहनने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शादीशुदा महिलाओं के लिए कांच की चूड़ियां सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।

प्रश्र: क्या बुधवार को चूड़ियां पहन सकते हैं?

उत्तर: हाँ, बुधवार को चूड़ियां पहनना शुभ माना जाता है। इस दिन चूड़ियां पहनने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्र: क्या मंगलवार को चूड़ियां खरीद सकते हैं?

उत्तर: मंगलवार को चूड़ियां खरीदना कुछ मान्यताओं के अनुसार अशुभ माना जाता है। इस दिन को मंगल ग्रह का दिन माना जाता है और यह दिन धातु से बनी वस्तुएं खरीदने के लिए शुभ नहीं माना जाता। 

प्रश्र: चूड़ी टूटने का मतलब क्या होता है?

उत्तर: चूड़ी टूटने को आमतौर पर अशुभ माना जाता है। यदि चूड़ी टूट जाए तो उसे तुरंत फेंक देना चाहिए और नई चूड़ियां पहननी चाहिए। इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

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