Difference Between Marriage And Nikah: शादी और निकाह में क्या अंतर है?

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Difference Between Marriage And Nikah

Difference Between Marriage And Nikah: जानिए शादी और निकाह के बीच का अंतर, उनके धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं, विधि-विधान, और कानूनी मान्यताओं को इस विस्तृत विश्लेषण में। हिंदू और इस्लामी विवाह की प्रमुख रस्में और महत्व समझें।

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Difference Between Marriage And Nikah:

भारत जैसे विविधता भरे देश में, विवाह की प्रथाओं में भी बहुत विविधता पाई जाती है। भारतीय समाज में विवाह को सिर्फ एक व्यक्तिगत संबंध नहीं माना जाता, बल्कि यह दो परिवारों और समुदायों का मिलन होता है। निकाह और शादी में क्या फर्क है? यह एक आम सवाल है जो लोगों के मन में उठता है। शादी और निकाह, दोनों ही विवाह के रूप हैं, लेकिन उनके बीच धार्मिक, सांस्कृतिक, और विधि-विधान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अंतर होते हैं।

हिंदू धर्म में विवाह (Hindu Wedding) को एक पवित्र संस्कार माना जाता है, जिसमें धार्मिक रस्मों का विशेष महत्व होता है। दूसरी ओर, इस्लाम धर्म में निकाह (Islamic Wedding) एक पवित्र अनुबंध है, जिसे अल्लाह के नाम पर संपन्न किया जाता है। कुरान के अनुसार निकाह क्या है? (What is Nikaah?) यह एक ऐसा अनुबंध है जो न केवल दो व्यक्तियों को, बल्कि दो परिवारों को भी जोड़ता है।

इस लेख में हम शादी और निकाह (Marriage and Nikah) के बीच के प्रमुख अंतर, उनकी परंपराएँ, विधि-विधान, और कानूनी मान्यताओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या निकाह और शादी एक ही है या नहीं, और कैसे ये दोनों विवाह के रूप अपने-अपने धर्म और समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

निकाह और शादी में क्या फर्क है? (Difference Between Marriage and Nikah) 

Difference Between Marriage And Nikah

शादी: हिंदू विवाह की परंपरा (Wedding: Hindu Marriage Traditions)

  • शादी की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा

शादी मुख्य रूप से हिंदू धर्म की परंपरा है, हालांकि इसे अन्य धर्मों में भी अपनाया जाता है। हिंदू विवाह का उद्देश्य सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है, बल्कि दो परिवारों और समुदायों का भी मिलन है। क्या निकाह और शादी एक ही है? नहीं, यह अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं का पालन करते हैं।

  • शादी के विधि-विधान

हिंदू शादी में कई महत्वपूर्ण रस्में होती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

– सात फेरे: दूल्हा और दुल्हन अग्नि के चारों ओर सात बार चलते हैं, हर फेरे के साथ एक वचन लेते हैं।

– कन्यादान: दुल्हन के माता-पिता अपनी बेटी को दूल्हे को सौंपते हैं।

– वरमाला: दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को माला पहनाते हैं, जो उनके मिलन का प्रतीक है।

– मांग भरना और सिंदूर दान: दूल्हा दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है, जो विवाह का प्रमुख चिन्ह है।

– मंगलसूत्र: दूल्हा दुल्हन के गले में मंगलसूत्र बांधता है, जो उनके विवाह का प्रतीक है।

  • शादी के कानूनी मान्यता

भारतीय कानून के अनुसार, शादी को कानूनी रूप से पंजीकृत कराना आवश्यक है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत इसे कानूनी मान्यता प्राप्त है। विवाह पंजीकरण के लिए दूल्हा और दुल्हन की सहमति, उनकी आयु (पुरुष के लिए 21 वर्ष और महिला के लिए 18 वर्ष) और अन्य आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।

  • शादी के लिए सामाजिक दृष्टिकोण

शादी एक महत्वपूर्ण सामाजिक समारोह है जिसमें परिवार और समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह एक ऐसा अवसर है जिसमें समाज के सभी सदस्य भाग लेते हैं और आशीर्वाद देते हैं। शादी को एक सामाजिक कर्तव्य और धार्मिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है।

Difference Between Marriage And Nikah

निकाह: इस्लामी विवाह की परंपरा (Nikah: The Islamic Marriage Tradition)

  • निकाह के धार्मिक परंपरा

कुरान के अनुसार निकाह क्या है? निकाह इस्लाम धर्म में विवाह का धार्मिक अनुष्ठान है। यह एक पवित्र अनुबंध है जिसे अल्लाह के नाम पर संपन्न किया जाता है। निकाह का उद्देश्य सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है, बल्कि दो आत्माओं और परिवारों का भी मिलन है। निकाह का मतलब एक पवित्र अनुबंध है।

  • निकाह कैसे होता है?

निकाह में निम्नलिखित अनुष्ठान शामिल होते हैं:

– निकाहनामा: यह विवाह का अनुबंध होता है जिसमें दूल्हा और दुल्हन के साथ-साथ दो गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। इसमें विवाह की शर्तें और महर का उल्लेख होता है।

– कबूलनामा: दूल्हा और दुल्हन दोनों अपने विवाह को तीन बार “कबूल” कहते हैं, जो उनके सहमति का संकेत है।

– खुतबा: निकाह के समय धार्मिक भाषण (खुतबा) दिया जाता है, जिसमें विवाह के महत्व और जिम्मेदारियों पर चर्चा की जाती है।

– महर: महर विवाह का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें दूल्हा दुल्हन को एक निश्चित राशि या उपहार देता है। यह विवाह का आवश्यक तत्व है और इसका उल्लेख निकाहनामा में किया जाता है।

  • निकाह के लिए कानूनी मान्यता

निकाह को इस्लामी कानून और भारत के विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत मान्यता प्राप्त है। यह भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत आवेदन) अधिनियम, 1937 द्वारा शासित होता है। निकाह नामा इन हिंदी और निकाह नामा पेपर का पंजीकरण आवश्यक होता है।

  • मुस्लिम विवाह के उद्देश्य

मुस्लिम विवाह (Muslim Marriage) का उद्देश्य सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है, बल्कि उनके आध्यात्मिक और सामाजिक दायित्वों को भी पूरा करना है। मुस्लिम विवाह के प्रकार और निकाह हदीस में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। 

निष्कर्ष:

निकाह और विवाह में क्या अंतर है? (Difference Between Marriage And Nikah) शादी और निकाह दोनों ही विवाह के प्रकार हैं, लेकिन उनकी विधियाँ, धार्मिक परंपराएँ और सांस्कृतिक मान्यताएँ अलग-अलग हैं। शादी मुख्य रूप से हिंदू धर्म की परंपरा है जबकि निकाह इस्लाम धर्म की परंपरा है। दोनों ही विवाह के प्रकार अपने-अपने धर्म और समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और उनके अपने-अपने नियम और रस्में होती हैं।

इसलिए चाहे आप शादी करें या निकाह, दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ हैं। यह निर्णय व्यक्तिगत, धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वासों पर निर्भर करता है। उम्मीद है कि यह लेख आपको शादी और निकाह के बीच के अंतर को समझने में मदद करेगा।

Difference Between Marriage And Nikah: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न: कुरान के अनुसार निकाह क्या है?

उत्तर: कुरान के अनुसार, निकाह एक पवित्र अनुबंध है जो पुरुष और महिला के बीच होता है। यह अनुबंध अल्लाह के नाम पर किया जाता है और इसमें दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक होती है। निकाह का उद्देश्य समाज में नैतिकता और पारिवारिक स्थिरता को बनाए रखना है।

प्रश्र: क्या निकाह और शादी एक ही है?

उत्तर: नहीं, निकाह और शादी एक ही नहीं हैं। निकाह इस्लाम धर्म में विवाह का धार्मिक अनुष्ठान है, जबकि शादी मुख्य रूप से हिंदू धर्म में प्रचलित विवाह की परंपरा है। दोनों के विधि-विधान और धार्मिक परंपराएँ अलग-अलग होती हैं।

प्रश्न: निकाह और विवाह में क्या अंतर है?

उत्तर: निकाह और विवाह में कई अंतर होते हैं:

  • धार्मिक परंपरा: निकाह इस्लामी धार्मिक परंपरा है जबकि विवाह हिंदू धर्म की परंपरा है।
  • विधि-विधान: निकाह में निकाहनामा और महर की प्रथा होती है, जबकि विवाह में सात फेरे, कन्यादान और मांग भरना शामिल होते हैं।
  • कानूनी मान्यता: निकाह को इस्लामी कानून और भारतीय विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त है, जबकि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी को कानूनी मान्यता प्राप्त है।

प्रश्न: निकाह कैसे होता है?

उत्तर: निकाह में निम्नलिखित अनुष्ठान शामिल होते हैं:

  • निकाहनामा: दूल्हा और दुल्हन के बीच एक लिखित अनुबंध होता है।
  • कबूलनामा: दूल्हा और दुल्हन दोनों अपने विवाह को तीन बार “कबूल” कहते हैं।
  • महर: दूल्हा दुल्हन को एक निश्चित राशि या उपहार देता है।
  • गवाह: निकाह में दो गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
  • खुतबा: निकाह के समय धार्मिक भाषण दिया जाता है।

प्रश्न: शादी का सही अर्थ क्या है?

उत्तर: शादी का सही अर्थ है दो व्यक्तियों का विवाह, जिसमें वे एक सामाजिक, धार्मिक और कानूनी बंधन में बंधते हैं। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं में साझेदारी और सहयोग का प्रतीक है।

प्रश्न: क्या निकाह शादी से अलग है?

उत्तर: हाँ, निकाह और शादी अलग हैं। निकाह इस्लामी धार्मिक अनुबंध है, जबकि शादी मुख्य रूप से हिंदू धर्म की परंपरा है। उनके विधि-विधान, धार्मिक परंपराएँ और कानूनी मान्यताएँ अलग-अलग होती हैं।

प्रश्न: इस्लाम में निकाह क्यों जरूरी है?

उत्तर: इस्लाम में निकाह इसलिए जरूरी है क्योंकि यह एक धार्मिक और नैतिक अनुबंध है जो समाज में नैतिकता और पारिवारिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए किया जाता है। यह पुरुष और महिला के बीच पवित्र संबंध स्थापित करता है और उन्हें समाज के प्रति जिम्मेदार बनाता है।

प्रश्न: निकाह का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: निकाह का मुख्य उद्देश्य है:

  • नैतिकता और पारिवारिक स्थिरता को बढ़ावा देना।
  • पति और पत्नी के बीच जिम्मेदारियों और अधिकारों को स्पष्ट करना।
  • समाज में नैतिकता और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखना।

प्रश्न: विवाह का सही अर्थ क्या है?

उत्तर: विवाह का सही अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच एक सामाजिक, धार्मिक और कानूनी बंधन। यह बंधन जीवन के विभिन्न पहलुओं में साझेदारी, सहयोग और समर्थन का प्रतीक है। विवाह एक समाज में पारिवारिक स्थिरता और नैतिकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न: हिंदू धर्म में कितनी शादी कर सकता है?

उत्तर: हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुसार, हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति को एक समय में केवल एक ही शादी करने की अनुमति है। बहुविवाह (एक से अधिक शादी) अवैध है और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है।

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