Mangalsutra Tradition: शादी के बाद महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं?

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Mangalsutra Tradition: मंगलसूत्र भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण प्रतीक है। जानें कि शादी के बाद महिलाएं इसे क्यों पहनती हैं, इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व क्या है, और इसका इतिहास क्या है।

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Mangalsutra Tradition:

शादी की रस्मों के दौरान दूल्हे द्वारा दुल्हन को पहनाया जाने वाला मंगलसूत्र (Mangalsutra), सोने और काले मोतियों से बना एक पवित्र आभूषण है, जो सिर्फ सजावट का सामान नहीं है। यह सदियों से विवाहित भारतीय महिलाओं के लिए गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक रहा है। मंगलसूत्र पहनने की परंपरा पीछे हजारों सालों का इतिहास समेटे हुए है, और यह कई पीढ़ियों से चली आ रही है।

इस लेख में, हम मंगलसूत्र परंपरा की गहराई से जांच करेंगे, जिसमें शादी के बाद महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं, इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है, और विभिन्न क्षेत्रों में इसकी विविधताएं क्या हैं।

मंगलसूत्र क्या होता है? (What is Mangalsutra?)

मंगलसूत्र, सिर्फ़ एक आभूषण से कहीं अधिक मंगलसूत्र, विवाहित हिंदू महिलाओं के गले में सजा एक पवित्र धागा, सदियों पुरानी परंपराओं और गहरे धार्मिक अर्थों से जुड़ा हुआ है। यह सिर्फ़ सोने या काले मोतियों का धागा नहीं है, बल्कि पतिव्रता, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक है।

महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं? (Mangalsutra Tradition Marriage)

शादी के बाद मंगलसूत्र (Significance Of Mangalsutra) पहनने के कई कारण हैं जो इस प्रकार हैं:

  • मंगलसूत्र का सांस्कृतिक प्रतीक

मंगलसूत्र को शादीशुदा महिला की पहचान का प्रतीक माना जाता है। भारतीय समाज में, जब एक महिला मंगलसूत्र पहनती है, तो यह संकेत होता है कि वह विवाहित है। यह आभूषण समाज में उसकी बदली हुई स्थिति को दर्शाता है और यह परिवार और समाज के प्रति उसकी नई जिम्मेदारियों को भी इंगित करता है। यह शादी के बंधन में बंधने का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और यह संकेत करता है कि महिला अब एक नए अध्याय में प्रवेश कर चुकी है।

  • धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म में मंगलसूत्र का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे देवी पार्वती और भगवान शिव के आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने पति भगवान शिव की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए मंगलसूत्र पहना था। यह आभूषण विवाहिता महिला के पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगलसूत्र पहनने से पति-पत्नी के बीच का रिश्ता मजबूत और सुखमय रहता है। यह आभूषण देवी पार्वती के आशीर्वाद का प्रतीक है, जो वैवाहिक जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।

  • सुरक्षा का प्रतीक

मंगलसूत्र को सुरक्षा और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसे पहनने से यह विश्वास किया जाता है कि पति और पत्नी दोनों की रक्षा होती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। काले मोती और सोने का मिश्रण बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में सहायक माना जाता है। काले मोती विशेष रूप से बुरी नजर से बचाने वाले माने जाते हैं, जबकि सोना पवित्रता और शुभता का प्रतीक होता है।

  • सामाजिक दृष्टिकोण

भारतीय समाज में मंगलसूत्र पहनना एक सामाजिक परंपरा है। यह शादीशुदा महिलाओं की जिम्मेदारियों और समर्पण को दर्शाता है। विवाह के बाद महिला द्वारा मंगलसूत्र पहनना उसकी नई सामाजिक पहचान और उसके परिवार के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह एक प्रकार से महिला के वैवाहिक संबंधों को सम्मान देने का प्रतीक है और परिवार व समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारियों को दर्शाता है। सामाजिक दृष्टि से, यह एक मान्यता है कि मंगलसूत्र पहनने से महिला समाज में अधिक सम्मानित और सुरक्षित महसूस करती है।

  • स्वास्थ्य लाभ

पारंपरिक दृष्टिकोण से, मंगलसूत्र पहनने का स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव माना जाता है। यह विशेष रूप से महिलाओं की मानसिक शांति और तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। सोने और काले मोतियों का संयोजन ऊर्जा संतुलन और सकारात्मक वाइब्रेशन का स्रोत माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, सोने का संपर्क शरीर के साथ रहने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा, काले मोती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं, जो उन्हें मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

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मंगलसूत्र पहनने के वैज्ञानिक कारण (Scientific reason behind wearing mangalsutra)

मंगलसूत्र पहनने की परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वों से भरी है, लेकिन इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी बताए जाते हैं।

  1. स्वास्थ्य लाभ:

  • काले मोती: काले मोती में आयरन और कैल्शियम जैसे तत्व होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और थायराइड ग्रंथि के कार्य में सुधार करने में मदद करते हैं।
  • पीला धागा: हल्दी वाला पीला धागा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और संक्रमण से बचाने में मददगार माना जाता है।
  • सोना: सोना रक्त संचार को बेहतर बनाने और तनाव को कम करने में सहायक माना जाता है।
  1. चुंबकीय क्षेत्र:

  • मंगलसूत्र को गले के बाएं तरफ पहना जाता है, जो हृदय के करीब होता है।
  • काले मोती में चुंबकीय गुण होते हैं जो रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने और हृदय गति को सामान्य रखने में मदद करते हैं।
  1. स्त्री रोगों से बचाव:

  • मंगलसूत्र के काले मोती गर्भाशय को विकिरण से बचाने में मदद करते हैं, जिससे स्त्री रोगों का खतरा कम होता है।

मंगलसूत्र में कितने मोती होने चाहिए? (How Many Black Beads In Mangalsutra)

मंगलसूत्र में कितने मोती होने चाहिए, इसका कोई निश्चित नियम नहीं है।

परंपरागत रूप से:

    • दो या सात मोती सबसे आम होते हैं।
    • दो मोती पति-पत्नी के बीच पवित्र बंधन का प्रतीक हो सकते हैं।
    • सात मोती सप्तपदी का प्रतीक हो सकते हैं, जो हिंदू विवाह के सात फेरे हैं।
    • नौ मोती भी लोकप्रिय हैं, जो नवग्रहों का प्रतीक हो सकते हैं।

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मंगलसूत्र का इतिहास क्या है? (What Is The History Behind Mangalsutra?)

पौराणिक कथा:

हिंदू धर्म के अनुसार, मंगलसूत्र पहनने की परंपरा शिव-पार्वती के विवाह से जुड़ी है। माता सती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया। विवाह के दौरान, भगवान शिव को माता सती की याद आने लगी।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि माता पार्वती को कोई अनहोनी न हो, भगवान शिव ने पीले धागे में काले मोती पिरोकर एक रक्षा सूत्र बनाया और विवाह के दौरान माता पार्वती को पहना दिया।

मान्यता:

इस घटना के बाद से ही, हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं मंगलसूत्र पहनने लगीं।

इतिहास:

इतिहासकारों का मानना ​​है कि मोहनजोदड़ो की खुदाई में मिले अवशेष मंगलसूत्र के शुरुआती प्रमाण हो सकते हैं। लेकिन समय के साथ, मंगलसूत्र के डिजाइन और शैली में बदलाव आया है।

मंगलसूत्र के डिजाइन और उसकी विविधता (Mangalsutra Designs And Variations)

मंगलसूत्र डिजाइन और उसकी विविधता भी इसे एक अद्वितीय आभूषण बनाती है। विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों में इसके डिजाइन में भिन्नता होती है, जैसे:

  1. मराठी मंगलसूत्र: 

इसमें दो वाती (काले और सोने के मोती) होते हैं, जो परंपरागत और आकर्षक होते हैं।

  1. तमिल मंगलसूत्र:

जिसे थाली कहा जाता है, इसमें एक विशेष पेंडेंट होता है, जिसे विशेष अवसरों पर ही पहना जाता है।

  1. तेलुगु मंगलसूत्र: 

इसे पुसलु कहा जाता है, जिसमें कई छोटे मोती और सोने की चेन होती है।

  1. उत्तर भारतीय मंगलसूत्र: 

इसमें काले मोती और सोने के मिश्रण से बनी चेन होती है, जो हर रोज पहनने योग्य होती है।

  1. बंगाल:

‘शाखा पोल’ नामक मंगलसूत्र सोने या चांदी की लड़ी से बना होता है।

निष्कर्ष:

मंगलसूत्र (Mangalsutra Tradition) भारतीय विवाहित महिलाओं के जीवन का एक अहम हिस्सा है। यह न केवल एक आभूषण है, बल्कि उनके वैवाहिक जीवन के प्रति सम्मान, समर्पण और सुरक्षा का प्रतीक भी है। सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, मंगलसूत्र का महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि प्राचीन काल में था। मंगलसूत्र का यह महत्व ही है जो इसे हर विवाहित महिला के लिए एक अमूल्य धरोहर बनाता है।

Mangalsutra Tradition: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्र: महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं?

उत्तर: हिंदू धर्म में, विवाहित महिलाएं मंगलसूत्र को सुहाग का प्रतीक मानती हैं। यह पति की दीर्घायु और वैवाहिक जीवन की खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्र: हम शादी के बाद मंगलसूत्र क्यों पहनते हैं?

उत्तर: मंगलसूत्र शादी का एक पवित्र बंधन है जो पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह स्त्रीत्व और पतिव्रता का भी प्रतीक है।

प्रश्र: मंगलसूत्र का इतिहास क्या है?

उत्तर: मंगलसूत्र का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। वेदों में भी इसका उल्लेख मिलता है। पहले के समय में, मंगलसूत्र में सिर्फ काले मोती होते थे, जो ग्रह मंगल का प्रतीक हैं। धीरे-धीरे, इसमें सोने और चांदी के साथ विभिन्न प्रकार के रत्न भी शामिल किए जाने लगे।

प्रश्र: गले में मंगलसूत्र पहनने से क्या होता है?

उत्तर: हिंदू धर्म में मान्यता है कि गले में मंगलसूत्र पहनने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है। यह नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा भी करता है।

प्रश्र: पुरुष मंगलसूत्र क्यों नहीं पहनते?

उत्तर: यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसका कोई खास धार्मिक कारण नहीं है। माना जाता है कि मंगलसूत्र स्त्रीत्व और पतिव्रता का प्रतीक है, जो पुरुषों पर लागू नहीं होता।

प्रश्र: मंगलसूत्र का कारण क्या है?

उत्तर: मंगलसूत्र के कई कारण हैं। यह पति की दीर्घायु, वैवाहिक जीवन की खुशहाली, स्त्रीत्व, पतिव्रता और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव का प्रतीक है।

प्रश्र: मंगलसूत्र पहनने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है?

उत्तर: कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि मंगलसूत्र में मौजूद सोना और चांदी रक्त संचार में सुधार करते हैं और थायराइड ग्रंथि को स्वस्थ रखते हैं। काले मोती तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं।

प्रश्र: मंगलसूत्र किसका प्रतीक है?

उत्तर: मंगलसूत्र पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम, समर्पण, विश्वास, स्त्रीत्व, पतिव्रता और सुहाग का प्रतीक है।

प्रश्र: मंगलसूत्र में काले मोती क्यों होते हैं?

उत्तर: काले मोती ग्रह मंगल का प्रतीक हैं। मंगल को ग्रहों का सेनापति माना जाता है। यह पति की रक्षा करता है और उसकी आयु लंबी करता है।

प्रश्र: चांदी का मंगलसूत्र पहनने से क्या होता है?

उत्तर: चांदी को ठंडी धातु माना जाता है। यह मन को शांत रखता है और तनाव कम करता है।

प्रश्र: क्या विधवाएं मंगलसूत्र पहन सकती हैं?

उत्तर: कुछ समुदायों में, विधवाएं अपने मंगलसूत्र का सिर्फ काला मोती वाला हिस्सा पहनती हैं। कुछ समुदायों में, विधवाएं मंगलसूत्र बिलकुल नहीं पहनती हैं। यह एक व्यक्तिगत और सांस्कृतिक निर्णय है।

प्रश्र: लाल मोती का मंगलसूत्र पहनने से क्या होता है?

उत्तर: लाल मोती को शुभ माना जाता है। यह love, passion और prosperity का प्रतीक है।

प्रश्र: मंगलसूत्र में कितने मोती होने चाहिए?

उत्तर: मंगलसूत्र में मोतियों की संख्या का कोई खास नियम नहीं है। यह आपकी पसंद और परंपरा पर निर्भर करता है।

प्रश्र: नया मंगलसूत्र कब पहनना चाहिए?

उत्तर: आप अपनी शादी के दिन या उसके बाद किसी भी शुभ दिन में नया मंगलसूत्र पहन सकती हैं।

प्रश्र: मंगलसूत्र कौन से दिन खरीदना चाहिए?

उत्तर: मंगलसूत्र खरीदने के लिए शुभ दिनों को माना जाता है जैसे सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार। आप किसी ज्योतिषी से भी शुभ मुहूर्त के बारे में सलाह ले सकती हैं।

प्रश्र: मंगलसूत्र में काले पत्थर कौन से हैं?

उत्तर: परंपरागत रूप से, मंगलसूत्र में काले मोती होते हैं। हालांकि, कुछ आधुनिक मंगलसूत्रों में काले ओनिक्स या काले जेड जैसे अन्य काले रत्न भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

प्रश्र: मंगलसूत्र टूट जाए तो क्या होगा?

उत्तर: मंगलसूत्र के टूटने को अशुभ माना जा सकता है। लेकिन यह सिर्फ एक आस्था है। आप चाहें तो टूटे हुए मंगलसूत्र को ज्वैलर के पास ठीक करवा सकती हैं या किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर सकती हैं और नया मंगलसूत्र खरीद सकती हैं।

प्रश्र: मंगलसूत्र में कितने धागे होने चाहिए?

उत्तर: मंगलसूत्र में आम तौर पर पीले या काले सूती धागों का प्रयोग किया जाता है। धागों की संख्या एक से लेकर कई हो सकती है। यह क्षेत्रीय परंपरा पर निर्भर करता है।

प्रश्र: मंगलसूत्र की लंबाई कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंगलसूत्र की लंबाई भी आपकी पसंद और परंपरा पर निर्भर करती है। आम तौर पर यह 18 से 30 इंच लंबा होता है।

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